हजारीबाग: पूरे देश में बहोरनपुर अपना विशेष स्थान पुरातात्विक उत्खनन के जरिए बना रहा है. हजारीबाग के बहोरनपुर में बौद्ध काल के ऐतिहासिक धरोहर मिले हैं. यह धरोहर पाल वंश के समय के बताए जा रहे हैं. ऐसे में अब यहां कई लोग भी देखने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं, पद्मश्री से नवाजे बुलु इमाम ने भी क्षेत्र भ्रमण किया और खुशी जाहिर की, कि हजारीबाग में ऐसे ऐतिहासिक धरोहर मिल रहे हैं. उनका कहना है कि 1992 में ही उन्होंने इस क्षेत्र के बारे में अपने पुस्तक में लिखा था और जो लिखा वह आज साफ-साफ दिख रहा है.
हजारीबाग को मिलेगी नई पहचान
पद्मश्री बुलु इमाम ने बहोरनपुर क्षेत्र का भ्रमण किया है और पाल वंश के समय के ऐतिहासिक बौद्ध धरोहर को देखकर काफी खुशी जाहिर की. उनका कहना है कि यह हजारीबाग के लिए काफी खुशी का पल है कि यहां ऐतिहासिक धरोहर मिल रहे हैं. उनका कहना है कि आज से सालों साल पहले अपने पुस्तक में उन्होंने क्षेत्र का वर्णन किया था और बताया था कि यह बौद्ध स्तूप हो सकते हैं. ऐसे में अब पुरातात्विद इस क्षेत्र का उत्खनन कर रहे हैं. उत्खनन के दौरान जो साक्ष्य मिले हैं यह साक्ष्य काफी खुशी प्रदान करने वाले हैं कि हजारीबाग को अब एक नई पहचान मिली है.
दो महीने से उत्खनन का कार्य है जारी
वहीं, पूरनपुर में पुरातात्विक विभाग पिछले नवंबर महीने से उत्खनन का कार्य कर रहा है. उत्खनन के दौरान घंट कूट मिले हैं जो कठोर पत्थर के बने बताए जा रहे हैं. इसके साथ ही साथ ईंट के बड़े-बड़े दीवार भी खुदाई के दौरान मिले हैं. इसके अलावा भारी मात्रा में मृदभांड और टूटे हुए मूर्ति के अवशेष भी मिल रहे हैं. जिसमें पांच छोटे स्तूप का पत्थर से बना आधार मिला है. टीले में खंडित बुद्ध की मूर्ति भी मिली है, साथ ही साथ पाली भाषा में पत्थर पर कुछ लिखा हुआ मिला है जो स्पष्ट करता है कि यह क्षेत्र 9 से 10 वीं सदी के बीच काफी अधिक समृद्ध रहा होगा. वहीं, 2 दिन पहले यहां टूटा हुआ कमल फूल बनी आकृति भी प्राप्त हुई है. दूसरे टीले में भी बौद्ध सेटलमेंट का पता चल रहा है. दूसरे टीले में खुदाई के दौरान पत्थर की बनी नाली मिली है. बीच के हिस्से में ईंट और उसके किनारे पर दीवार देखने को मिलते हैं.
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पर्यटक के रूप किया जा सकता है विकसित
पद्मश्री बुलु इमाम का कहना है कि इस क्षेत्र को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन विकास के नाम पर हजारों पेड़ न काटे जाएं जो रास्ता बना हुआ है उसको ही रहने दिया जाए और न कि करोड़ों रुपया खर्च कर फोरलेन बनाने की आवश्यकता है. आज का समय टेक्नोलॉजी का युग है. सीतागढ़ा में ही अगर एक छोटा हेलीपैड बना दिया जाए. बौद्ध गया से हजारीबाग के लिए डेली सर्विस शुरू कर दी जाए तो गया से भी बुद्धिस्ट यहां आ सकते हैं और यह क्षेत्र विकसित हो सकता है.