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e-NAM वरदानः डिजिटल पेमेंट में 8वें स्थान पर हजारीबाग, फसल की ऑनलाइन बिक्री में किसानों ने बनाया रिकॉर्ड

हजारीबाग के किसानों ने पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस साल डिजिटल पेमेंट में नया रिकॉर्ड बनाया है. हालांकि पूरे देश में किसान ई-नाम से ही अपनी फसल की ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं. इस कड़ी में हजारीबाग ने सबसे ज्यादा बिक्री कर देश में 8वां स्थान प्राप्त किया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

hazaribag ranked 8th in digital payment on e-nam
डिजिटल पेमेंट में 8वें स्थान पर हजारीबाग
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Published : Jun 18, 2021, 1:56 PM IST

Updated : Jun 18, 2021, 6:32 PM IST

हजारीबाग: जिला के किसानों ने आपदा के वक्त भी बंपर कमाई की है. एक ओर किसान आपदा के दौरान खराब मौसम की मार झेल रहे थे, वैसे में पूरे देश में हजारीबाग के किसान अपनी उपज को सीधा खेत से ऑनलाइन बिक्री कर रहे थे. ऐसे में डिजिटल पेमेंट करने में हजारीबाग बाजार समिति ने टॉप 10 में पूरे देश में जगह बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया है.

ये भी पढ़ें- झारखंड : किसानों ने ऑनलाइन बेची डेढ़ करोड़ की सब्जी, जानें पूरी कहानी

e-NAM एक वरदान

किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार ई-नाम (e-NAM) वरदान साबित हो रहा है. कोविड के दौरान भी हजारीबाग के किसान अपनी उपज की सीधी ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं, जिससे उनके खाते में सीधा पैसा आ रहा है, ना बिचौलियों का डर और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन का डर. ऑनलाइन बिक्री करने से किसानों का पैसा भी नहीं फंस रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

1 करोड़ 18 लाख रुपया का डिजिटल पेमेंट

हजारीबाग बाजार समिति ने इस बार 1 करोड़ 18 लाख रुपया का डिजिटल पेमेंट किसानों को करवाया है, जिसमें गेहूं की फसल, टमाटर, तरबूज और प्याज शामिल है. ऐसे में बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि उन किसानों ने यह कीर्तिमान सूझ-बूझ और जागरुकता के कारण हासिल किया है. इसके साथ ही हजारीबाग ने देश में आठवां स्थान डिजिटल पेमेंट में बनाया है. कोरोना काल में किसानों के लिए ई-नाम अच्छा विकल्प बनकर उभरा है.

किसान कहते हैं कि उन्होंने मेहनत किया और अच्छी उपज हुई. उपज और भी अच्छी होती, पर मौसम की मार से काफी फसल बर्बाद भी हुई. इसके बावजूद संक्रमण के कारण व्यापारी किसानों के पास नहीं पहुंच रहे थे. इसके बाद किसान ई-नाम से जुड़े और बाजार समिति के सचिव ने उन्हें कैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग करनी है इसकी जानकारी भी दी.

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धान की कटाई करते किसान

कृषि में डिजिटल पेमेंट का बना नया रिकॉर्ड

पिछले वित्तीय वर्ष जून महीने तक मात्र 42 लाख रुपए का डिजिटल पेमेंट कृषि बाजार समिति के ई-नाम के जरिए हुआ था. इस बार जून महीने में ही 1 करोड़ 116 लाख रुपए से अधिक का डिजिटल पेमेंट किया गया है, जो खुद में ही एक रिकॉर्ड है.

बाजार समिति निसंदेह आज के समय में किसानों को अच्छी राह दिखा रही है और इसमें ई-नाम की भूमिका बेहद खास है. जरूरत है तमाम किसानों को ई-नाम से जुड़ने की ताकि उनका उत्पाद भी बिक जाए और उनका पैसा उनके एकाउंट तक पहुंच सके, जिससे बिचौलियों की मार से किसान बच पाएंगे.

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तरबूज

कृषि उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री के लिए e-NAM

राष्ट्रीय कृषि बाजार अर्थात ई-नाम कृषि उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री के लिए पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल है. एपीओ (Agricultural Productivity Organization) की ओर से सीमांत किसानों को संगठित कर बड़े पैमाने पर व्यापार किया जा रहा है. जिसमें किसान-उत्पादक समूह (Farmer-Producer Organization) का मुख्य सहयोग रहा है. वर्तमान में ई-नाम हजारीबाग से 26 एफपीओ पंजीकृत हुए हैं. छोटे-छोटे किसानों को संगठित कर एक एफपीओ बनाया जाता है. वर्तमान में इस ई-नाम से 20 राज्यों की 1000 बाजार समिति जुड़ी हुई है. अगर झारखंड की बात की जाए तो 19 बाजार समिति है.

ये भी पढ़ें- ई-नाम से खिल उठे किसानों के मुरझाए चेहरे, उत्पादों का मिलने लगा उचित मूल्य

क्या है e-NAM और फसल कैसे बेची जाती है

ई-नाम (e-NAM) कृषि मंत्रालय की ओर से बनाया गया एक पोर्टल है, जिसमें किसान निःशुल्क अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन कराते समय किसान को अपना आधार कार्ड, अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर, जिससे उसका आधार और बैंक अकाउंट लिंक देना होता है. रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वो बाजार समिति के पदाधिकारी या फिर अन्य किसान, जो जानकार हैं उसकी मदद ले सकते हैं. फसल जब तैयार हो जाती है तो किसान अपनी उपज की तस्वीर ई-नाम (e-NAM) पोर्टल पर अपलोड करता है. इसके बाद बीडिंग का ऑप्शन आता है. बीडिंग में देशभर के व्यापारी बोली लगाते हैं. किसान को अपनी न्यूनतम राशि देनी होती है जो सबसे अधिक बोली लगाते हैं उसे किसान फसल बेच देते हैं.

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तरबूज के खेत में किसान

इसके बाद बाजार समिति की मदद से किसान के खेत से ही फसल उठा ली जाती है और जहां उसे गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. लाने और पहुंचाने की जिम्मेदारी बाजार समिति और व्यापारी की होती है. इसके लिए व्यापारी को ट्रांसपोर्टिंग चार्ज देना होता है. वर्तमान समय में ई-नाम से सिर्फ किसान भी नहीं बल्कि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी जुड़ रहे हैं, जिसमें छोटे-छोटे किसान मिलकर कंपनी बनाते हैं और इसी प्रक्रिया से अपना उत्पाद बेचते हैं. ई-नाम से अपना उत्पाद बेचने से किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलता है. इसी उद्देश्य से इस सुविधा की शुरुआत की गई है.

हजारीबाग: जिला के किसानों ने आपदा के वक्त भी बंपर कमाई की है. एक ओर किसान आपदा के दौरान खराब मौसम की मार झेल रहे थे, वैसे में पूरे देश में हजारीबाग के किसान अपनी उपज को सीधा खेत से ऑनलाइन बिक्री कर रहे थे. ऐसे में डिजिटल पेमेंट करने में हजारीबाग बाजार समिति ने टॉप 10 में पूरे देश में जगह बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया है.

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e-NAM एक वरदान

किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार ई-नाम (e-NAM) वरदान साबित हो रहा है. कोविड के दौरान भी हजारीबाग के किसान अपनी उपज की सीधी ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं, जिससे उनके खाते में सीधा पैसा आ रहा है, ना बिचौलियों का डर और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन का डर. ऑनलाइन बिक्री करने से किसानों का पैसा भी नहीं फंस रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

1 करोड़ 18 लाख रुपया का डिजिटल पेमेंट

हजारीबाग बाजार समिति ने इस बार 1 करोड़ 18 लाख रुपया का डिजिटल पेमेंट किसानों को करवाया है, जिसमें गेहूं की फसल, टमाटर, तरबूज और प्याज शामिल है. ऐसे में बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि उन किसानों ने यह कीर्तिमान सूझ-बूझ और जागरुकता के कारण हासिल किया है. इसके साथ ही हजारीबाग ने देश में आठवां स्थान डिजिटल पेमेंट में बनाया है. कोरोना काल में किसानों के लिए ई-नाम अच्छा विकल्प बनकर उभरा है.

किसान कहते हैं कि उन्होंने मेहनत किया और अच्छी उपज हुई. उपज और भी अच्छी होती, पर मौसम की मार से काफी फसल बर्बाद भी हुई. इसके बावजूद संक्रमण के कारण व्यापारी किसानों के पास नहीं पहुंच रहे थे. इसके बाद किसान ई-नाम से जुड़े और बाजार समिति के सचिव ने उन्हें कैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग करनी है इसकी जानकारी भी दी.

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धान की कटाई करते किसान

कृषि में डिजिटल पेमेंट का बना नया रिकॉर्ड

पिछले वित्तीय वर्ष जून महीने तक मात्र 42 लाख रुपए का डिजिटल पेमेंट कृषि बाजार समिति के ई-नाम के जरिए हुआ था. इस बार जून महीने में ही 1 करोड़ 116 लाख रुपए से अधिक का डिजिटल पेमेंट किया गया है, जो खुद में ही एक रिकॉर्ड है.

बाजार समिति निसंदेह आज के समय में किसानों को अच्छी राह दिखा रही है और इसमें ई-नाम की भूमिका बेहद खास है. जरूरत है तमाम किसानों को ई-नाम से जुड़ने की ताकि उनका उत्पाद भी बिक जाए और उनका पैसा उनके एकाउंट तक पहुंच सके, जिससे बिचौलियों की मार से किसान बच पाएंगे.

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तरबूज

कृषि उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री के लिए e-NAM

राष्ट्रीय कृषि बाजार अर्थात ई-नाम कृषि उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री के लिए पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल है. एपीओ (Agricultural Productivity Organization) की ओर से सीमांत किसानों को संगठित कर बड़े पैमाने पर व्यापार किया जा रहा है. जिसमें किसान-उत्पादक समूह (Farmer-Producer Organization) का मुख्य सहयोग रहा है. वर्तमान में ई-नाम हजारीबाग से 26 एफपीओ पंजीकृत हुए हैं. छोटे-छोटे किसानों को संगठित कर एक एफपीओ बनाया जाता है. वर्तमान में इस ई-नाम से 20 राज्यों की 1000 बाजार समिति जुड़ी हुई है. अगर झारखंड की बात की जाए तो 19 बाजार समिति है.

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क्या है e-NAM और फसल कैसे बेची जाती है

ई-नाम (e-NAM) कृषि मंत्रालय की ओर से बनाया गया एक पोर्टल है, जिसमें किसान निःशुल्क अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन कराते समय किसान को अपना आधार कार्ड, अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर, जिससे उसका आधार और बैंक अकाउंट लिंक देना होता है. रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वो बाजार समिति के पदाधिकारी या फिर अन्य किसान, जो जानकार हैं उसकी मदद ले सकते हैं. फसल जब तैयार हो जाती है तो किसान अपनी उपज की तस्वीर ई-नाम (e-NAM) पोर्टल पर अपलोड करता है. इसके बाद बीडिंग का ऑप्शन आता है. बीडिंग में देशभर के व्यापारी बोली लगाते हैं. किसान को अपनी न्यूनतम राशि देनी होती है जो सबसे अधिक बोली लगाते हैं उसे किसान फसल बेच देते हैं.

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तरबूज के खेत में किसान

इसके बाद बाजार समिति की मदद से किसान के खेत से ही फसल उठा ली जाती है और जहां उसे गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. लाने और पहुंचाने की जिम्मेदारी बाजार समिति और व्यापारी की होती है. इसके लिए व्यापारी को ट्रांसपोर्टिंग चार्ज देना होता है. वर्तमान समय में ई-नाम से सिर्फ किसान भी नहीं बल्कि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी जुड़ रहे हैं, जिसमें छोटे-छोटे किसान मिलकर कंपनी बनाते हैं और इसी प्रक्रिया से अपना उत्पाद बेचते हैं. ई-नाम से अपना उत्पाद बेचने से किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलता है. इसी उद्देश्य से इस सुविधा की शुरुआत की गई है.

Last Updated : Jun 18, 2021, 6:32 PM IST
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