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छठ पर्व को लेकर प्रशासन उदासीन, आम जनता ने शुरू की झील की सफाई - छठ पर्व

आस्था का महापर्व छठ नहाए खाए के साथ शुरू हो गई है. ऐसे में जिनके यहां छठ पर्व हो रहा है वह छठ घाटों की तैयारी में भी जुट गए हैं. हजारीबाग में छठ घाट व्यवस्थित करने के लिए छात्रवृत्ति के परिवार वाले झील परिसर में भी दिख रहे हैं जो छठ घाटों का चयन कर उस पर अपना नाम अंकित कर रहे हैं ताकि जब अर्घ्य देने आए तो किसी भी तरह की परेशानी न हो.

झील की सफाई करते लोग
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Published : Oct 31, 2019, 12:08 PM IST

हजारीबाग: छठ पर्व आस्था का महापर्व के रूप में जाना जाता है. ऐसे में समाज के हर तबके के लोग पूरी श्रद्धा के साथ इस पर्व में हाथ बटाते हैं. जिसके यहां पर्व होता है वह तो तैयारी करते ही हैं लेकिन जिनके यहां छठ नहीं होता है वह भी पूरी भक्ति के साथ छठ पर्व ठीक से संपन्न कराने के लिए सेवा करते हैं. लेकिन हजारीबाग में जिला प्रशासन का सहयोग न मिलने के कारण लोग झील की सफाई खुद से ही करने में जुट गए है.

देखें पूरी खबर


हजारीबाग झील में जहां हजारों की संख्या में छठ व्रती अर्घ्य देने के लिए आते है. झील की स्थिति बेहद खराब है और ऐसे में जिला प्रशासन समय पर झील साफ नहीं करा पा रहा है तो समाज के कई लोग अब सेवा भाव से झील की सफाई में लग गए हैं. उनका कहना है कि अगर जिला प्रशासन अपना दायित्व पूरा नहीं कर रहा है तो आम लोगों को आगे आकर काम करना होगा इसलिए लगभग 20 मजदूर समाजसेवी ने छठ घाटों का सफाई कर रहे हैं.

ये भी देखें- नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना और आस्था का महापर्व छठ शुरू

वहीं, दूसरी ओर छठ घाटों को 1 सप्ताह पहले से ही छठ व्रती के परिवार वाले घाट की सफाई कर रहे हैं ताकि जब अर्घ्य देने आए तो इधर-उधर न भटकना पड़े. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे और उनके परिवार के लोग घाटों पर अपना नाम अंकित कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह छठ घाट की लूट नहीं है बल्कि अपने घाट को चिंहित करने का तरीका है. छठ घाट चिंहित करने वालों का कहना भी है कि यह काम जिला प्रशासन का है लेकिन जिला प्रशासन के सहयोग न मिलने के कारण हम लोग अपने घाट को चिंहित करते हैं ताकि पूजा के समय सहूलियत हो.

हजारीबाग: छठ पर्व आस्था का महापर्व के रूप में जाना जाता है. ऐसे में समाज के हर तबके के लोग पूरी श्रद्धा के साथ इस पर्व में हाथ बटाते हैं. जिसके यहां पर्व होता है वह तो तैयारी करते ही हैं लेकिन जिनके यहां छठ नहीं होता है वह भी पूरी भक्ति के साथ छठ पर्व ठीक से संपन्न कराने के लिए सेवा करते हैं. लेकिन हजारीबाग में जिला प्रशासन का सहयोग न मिलने के कारण लोग झील की सफाई खुद से ही करने में जुट गए है.

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हजारीबाग झील में जहां हजारों की संख्या में छठ व्रती अर्घ्य देने के लिए आते है. झील की स्थिति बेहद खराब है और ऐसे में जिला प्रशासन समय पर झील साफ नहीं करा पा रहा है तो समाज के कई लोग अब सेवा भाव से झील की सफाई में लग गए हैं. उनका कहना है कि अगर जिला प्रशासन अपना दायित्व पूरा नहीं कर रहा है तो आम लोगों को आगे आकर काम करना होगा इसलिए लगभग 20 मजदूर समाजसेवी ने छठ घाटों का सफाई कर रहे हैं.

ये भी देखें- नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना और आस्था का महापर्व छठ शुरू

वहीं, दूसरी ओर छठ घाटों को 1 सप्ताह पहले से ही छठ व्रती के परिवार वाले घाट की सफाई कर रहे हैं ताकि जब अर्घ्य देने आए तो इधर-उधर न भटकना पड़े. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे और उनके परिवार के लोग घाटों पर अपना नाम अंकित कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह छठ घाट की लूट नहीं है बल्कि अपने घाट को चिंहित करने का तरीका है. छठ घाट चिंहित करने वालों का कहना भी है कि यह काम जिला प्रशासन का है लेकिन जिला प्रशासन के सहयोग न मिलने के कारण हम लोग अपने घाट को चिंहित करते हैं ताकि पूजा के समय सहूलियत हो.

Intro:आस्था का महापर्व छठ नहाए खाए के साथ शुरू हो गई । ऐसे में जिनके हाथ छठ पर्व हो रहा है वह छठ घाटों की तैयारी में भी जुट गए हैं। हजारीबाग में छठ घाट व्यवस्थित करने के लिए छात्रवृत्ति के परिवार वाले झील परिसर में भी दिख रहे हैं ।जो छठ घाटों का चयन कर उस पर अपना नाम अंकित कर रहे हैं। ताकि जब आए तो किसी भी प्रकार की समस्या अर्ध के समय ना हो।


Body:छठ पर्व आस्था का महापर्व के रूप में जाना जाता है ।ऐसे में समाज का हर एक तबका पूरी श्रद्धा के साथ इस पर्व में हाथ बताता है। जिसके यहां पर्व होता है वो तो तैयारी करते ही हैं। लेकिन जिनके यहां छट नहीं होता है वह भी पूरी भक्ति के साथ छठ पर्व अच्छा से संपन्न हो किसके लिए सेवा देते हैं ।ऐसे में हजारीबाग झील में जहां हजारों हजार की संख्या में छठ व्रती अर्घ देने के लिए पहुंचेंगे। जिला प्रशासन के अलावा समाजसेवी भी झील की सफाई करते दिख रहे हैं। क्योंकि झील की स्थिति बेहद खराब है और वह परिसर काफी बड़ा भी है। ऐसे में जिला प्रशासन समय पर झील साफ नहीं करा पा रहा है तो समाज के कई लोग अब सेवा भाव से झील की सफाई में लग गए हैं ।उनका भी कहना है कि अगर जिला प्रशासन अपना दायित्व पूरा नहीं कर रहा है तो हम लोगों को आगे आकर काम करना होगा। इसलिए लगभग 20 मजदूर समाजसेवी के द्वारा दिया गया है जो छठ घाटों का सफाई कर रहे हैं।

तो दूसरी ओर छठ घाटों 1 सप्ताह पहले से ही छठ व्रती के परिवार वाले बुक कर रहे हैं। ताकि जब अर्घ देने आए तो यहां वहां ना जाना पड़े ।ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे और उनके परिवार के लोग घाटों पर अपना नाम अंकित कर चिन्हित भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह छठ घाट की लूट नहीं है बल्कि अपने घाट को चिन्हित करने का तरीका है। छठ घाट चिन्हित करने वालों का कहना भी है कि यह काम जिला प्रशासन का है ।लेकिन जिला प्रशासन के सहयोग न मिलने के कारण हम लोग अपने घाट को चिन्हित करते हैं ताकि पूजा के वक्त सहूलियत हो।

byte.... ज्योति कुमारी, स्थानीय
byte.... अक्षय कुमार, स्थानीय
byte..... त्रिवेणी राणा, झील सफाई समिति सदस्य, बुजुर्ग व्यक्ति


Conclusion:आस्था का महापर्व छठ आपसी एकता का भी प्रतीक बन जाता है। जब समाज का हर एक तबका आगे बढ़कर हिस्सा लेता है। जरूरत है इस जज्बे को सलामत रखने की।
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