हजारीबाग: बरसात के दिनों में अस्पतालों में अधिकतर मरीज बरसाती बीमारी से परेशान होकर पहुंचते हैं. ऐसे में झारखंड सरकार ने बरसात के समय में होने वाली बीमारियों के बचाव के लिए सभी जिला मुख्यालय को तैयारी करने का निर्देश दिया है. इस बाबत हजारीबाग में भी व्यापक तैयारी चल रही है. इसके साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. इसके बावजूद मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है, क्योंकि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribag Medical College Hospital) में डेंगू की जांच नहीं हो पा रही है.
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बरसाती बीमारी से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार
बारिश होते ही मलेरिया, डेंगू, कालाजार का प्रकोप बढ़ जाता है. साथ ही बच्चों में दस्त की समस्या भी देखने को मिलती है. स्वास्थ्य विभाग ने इन बीमारियों से लड़ने और रोकथाम के लिए अभी से ही कवायद शुरू कर दी है. हजारीबाग स्वास्थ्य विभाग (Hazaribag Health Department) डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक भी कर रहा है. इसके साथ ही बैनर, पोस्टर और पंपलेट भी बांटे जा रहे हैं ताकि आम जनता सतर्क रहे.
घर के आसपास पानी जमा नहीं होने की दी सलाह
इसे लेकर पदाधिकारी बताते हैं कि मच्छर के काटने से डेंगू बीमारी होती है. डेंगू के मच्छर जमे हुआ पानी में पनपते हैं. पानी सूख जाने के बाद भी इसका अंडा जीवित रहता है. जैसे ही पानी मिलता है तो वह सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को अपने घर के आसपास पानी जमा नहीं होने देना चाहिए.
मानसून में बढ़ जाता है बीमारियों का खतरा
इसके अलावा मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू, जापानी इंसेफ्लाइटिस, दस्त का भी खतरा मानसून में बढ़ जाता है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में काफी परेशानी होती है. यहां लापरवाही के कारण जान भी चली जाती है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्र में उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी दवा का व्यापक इंतजाम करने का दावा किया है. पदाधिकारी बताते हैं कि लोग साफ-सफाई के लिए नगर निगम से भी संपर्क स्थापित करते हैं. दोनों के संयुक्त तत्वाधान में अभियान चलाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में मुखिया के जरिए लोग जागरूक करते हैं. स्वास्थ्य विभाग मच्छरदानी भी वितरित करता है ताकि संक्रमण मच्छर के कारण ना फैले.
सिविल सर्जन ने दी जानकारी
हजारीबाग सिविल सर्जन डॉक्टर संजय जायसवाल भी बताते हैं कि इस बार हजारीबाग में मानसून समय से पहले आ गया है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे ने समय से पहले ही तैयारी भी कर ली है. सर्जन ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण होता है कि यह बीमारी न फैले, अगर फैले तो उसका इलाज हो. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज किया जाता है. अगर बेहतर इलाज की जरूरत पड़ती है तो हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया जाता है. यहां पूरी व्यवस्था की गई है, फिर भी लोगों को बरसाती बीमारी से बचने के लिए जागरूक होने की जरूरत है.
अस्पताल में नहीं होता टेस्ट
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribag Medical College Hospital) में डेंगू, चिकनगुनिया की जांच के लिए यूनिट तो लगाये गये हैं, लेकिन अभी सक्रिय नहीं हैं क्योंकि सभी कर्मियों को कोरोना जांच में लगाया गया है. इस संबंध में पदाधिकारी बताते हैं कि अगर टेस्ट कराना होता है तो लोग स्वाब लेकर रिम्स भेजेते है. जिसके बाद दूसरे दिन लोगों को रिपोर्ट मिलती है.