हजारीबाग: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अखबार में छपी खबर पर संज्ञान लिया है. जहां बताया गया था कि 73 साल गुजर जाने के बाद भी इचाक प्रखंड के डाडीघाघरा गांव में मूलभूत सुविधा नहीं पहुंची है. इस पर संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से हजारीबाग के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश मिथिलेश प्रसाद को इस पर कार्रवाई कर संबंधित गांव का जायजा लेने का निर्देश दिया था. टीम ने पहुंचकर वहां जायजा लिया और देखा कि वहां की स्थिति बेहद खराब है.
संज्ञान लेने के बाद हजारीबाग के प्रधान जिला सह सत्र न्यायधीश ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्यों का टीम गठित कर भेजा. जहां लोगों ने लिखित और मौखिक रूप से आवेदन देकर अपनी समस्या बतायी. सत्यापन के बाद टीम ने पाया है कि गांव में आज भी सड़क और पुल पुलिया की सुविधा से कोसों दूर है. जहां एक स्कूल है जिसमें आठवीं क्लास तक की पढ़ाई होती है. उच्च शिक्षा के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. बरसात के समय गांव टापू में तब्दील हो जाता है. यहां एक अस्पताल भी है लेकिन वहां अस्पताल में आज तक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में वहां सरकारी सुविधा भी नहीं पहुंच रही है. सबसे अहम बात है कि कई ग्रामीण हैं जिन्हें आज तक वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिला.
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टीम के लौटने के बाद हजारीबाग के प्रधान जिला सह सत्र न्यायाधीश मिथिलेश प्रसाद ने बताया कि गांव के लोगों में झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के टीम के जाने के बाद खुशी और विश्वास जगा है कि अब विकास होगा और सरकार की बुनियादी सुविधा भी उन्हें मिलेगी. न्यायाधीश ने बताया कि गांव में 23 फरवरी को एक शिविर भी लगाया जाएगा. जहां लोगों की समस्याओं को सुना जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि कोशिश की जाएगी कि सभी प्रखंड और ब्लॉक में एक ही दिन एक साथ शिविर लगाया जाए ताकि पूरे क्षेत्र में विकास की योजना पहुंच सके.