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जीनोम अध्ययन के लिए एकत्रित किए जा रहे रक्त के नमूने, स्वास्थ्य रक्षा के लिए बेहतर कदम

पूरे देश में जीनोम इंडिया परियोजना (Genome India Project) चलाया जा रहा है. इसके तहत विभिन्न समूहों के रक्त के नमूने लिए जा रहे हैं. इस परियोजना से बीमारियों को बेहतर ढंग से समझने, दवाओं के शरीर पर प्रभाव के सटीक भविष्यवाणी, फॉरेंसिक विज्ञान में उन्नति और मानव विकास को समझने में मदद मिलेगा.

Genome India Project
जीनोम का अध्ययन
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Published : Nov 18, 2021, 3:41 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 5:14 PM IST

हजारीबाग: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय विभाग पूरे देश में जीनोम इंडिया परियोजना (Genome India Project) चला रहा है. परियोजना के तहत देश की व्यापक अनुवांशिक विविधता का पता लगाने के लिए विभिन्न समूहों के रक्त के नमूने लिए जा रहे हैं. जीनोम इंडिया परियोजना के प्रथम चरण में देश के 10000 लोगों को अनुवांशिक मानचित्रण के लिए चुना जाना है. इस अनुसंधान में हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ गंगानाथ झा कोलेबेटर का काम कर रहे हैं. इस परियोजना की शुरुआत 2019 में हुई थी.

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मानव कोशिकाओं के भीतर अनुवांशिक पदार्थ होते हैं. जिसे DNA और RNA कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. हाल ही में विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय ने एक परियोजना के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग को भारत के 10000 लोगों के जीनोम की सिक्वेंसिग यानी अनुक्रमण किए जाने की योजना को मंजूरी दी है. यह पहला मौका है जब भारत में इतने बड़े स्तर पर जीनोम के अध्ययन के लिए खून का नमूना एकत्रित किया जा रहा है. हजारीबाग समेत झारखंड से भी नमूने एकत्रित किए गए हैं. इसके लिए जीनोम इंडिया परियोजना की शुरुआत की गई है. इनमें उन्हीं लोगों के रक्त का नमूना लिया जा रहा है जो लोग अलग-अलग अंत: विवाह समूह से आते हैं. खासकर ये ध्यान रखा जा रहा है कि अंत‌: विवाहित समूह के लोग आपस में रक्त संबंधी ना हो. जीनोम इंडिया परियोजना के लिए पॉपुलेशन का चुनाव पहचान के लिए विनोबा भावे विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ गंगानाथ झा कर रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी



अनुसंधान से चिकित्सा विज्ञान में नई संभावनाओं के खुलेंगे दरवाजे

जीनोम इंडिया परियोजना का कार्य मुख्य रूप से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के CVR और CSIR के IGIBG के नेतृत्व में हो रहा है. जबकि जनसंख्या का आंकड़ा डॉक्टर गंगानाथ झा के नेतृत्व में एकत्रित किया जा रहा है. इस अनुसंधान से चिकित्सा विज्ञान में नई संभावनाओं के दरवाजे खुलेंगे.

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बीमारियों का समय पर लगाया जा सकता है पता

जीनोम इंडिया परियोजना से बीमारियों को बेहतर ढंग से समझने, दवाओं के शरीर पर प्रभाव के सटीक भविष्यवाणी, फॉरेंसिक विज्ञान में उन्नति और मानव विकास को समझने में मदद मिलेगा. इससे यह भी पता चलेगा कि हमारे देश के लोग अन्य देशों के लोगों से किस प्रकार भिन्न हैं और यदि उनमें कुछ समानता है तो वह क्या है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बीमारी का पता ससमय रहते लगाया जा सकता है और उसका सटीक इलाज भी खोजा जा सकता है. जिनोम इंडिया परियोजना वर्तमान समय में सबसे बड़ी वैज्ञानिक परियोजना में से एक है. जिसका लक्ष्य किसी प्राणी के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम का पता करना है.

हजारीबाग: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय विभाग पूरे देश में जीनोम इंडिया परियोजना (Genome India Project) चला रहा है. परियोजना के तहत देश की व्यापक अनुवांशिक विविधता का पता लगाने के लिए विभिन्न समूहों के रक्त के नमूने लिए जा रहे हैं. जीनोम इंडिया परियोजना के प्रथम चरण में देश के 10000 लोगों को अनुवांशिक मानचित्रण के लिए चुना जाना है. इस अनुसंधान में हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ गंगानाथ झा कोलेबेटर का काम कर रहे हैं. इस परियोजना की शुरुआत 2019 में हुई थी.

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मानव कोशिकाओं के भीतर अनुवांशिक पदार्थ होते हैं. जिसे DNA और RNA कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. हाल ही में विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय ने एक परियोजना के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग को भारत के 10000 लोगों के जीनोम की सिक्वेंसिग यानी अनुक्रमण किए जाने की योजना को मंजूरी दी है. यह पहला मौका है जब भारत में इतने बड़े स्तर पर जीनोम के अध्ययन के लिए खून का नमूना एकत्रित किया जा रहा है. हजारीबाग समेत झारखंड से भी नमूने एकत्रित किए गए हैं. इसके लिए जीनोम इंडिया परियोजना की शुरुआत की गई है. इनमें उन्हीं लोगों के रक्त का नमूना लिया जा रहा है जो लोग अलग-अलग अंत: विवाह समूह से आते हैं. खासकर ये ध्यान रखा जा रहा है कि अंत‌: विवाहित समूह के लोग आपस में रक्त संबंधी ना हो. जीनोम इंडिया परियोजना के लिए पॉपुलेशन का चुनाव पहचान के लिए विनोबा भावे विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ गंगानाथ झा कर रहे हैं.

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अनुसंधान से चिकित्सा विज्ञान में नई संभावनाओं के खुलेंगे दरवाजे

जीनोम इंडिया परियोजना का कार्य मुख्य रूप से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के CVR और CSIR के IGIBG के नेतृत्व में हो रहा है. जबकि जनसंख्या का आंकड़ा डॉक्टर गंगानाथ झा के नेतृत्व में एकत्रित किया जा रहा है. इस अनुसंधान से चिकित्सा विज्ञान में नई संभावनाओं के दरवाजे खुलेंगे.

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बीमारियों का समय पर लगाया जा सकता है पता

जीनोम इंडिया परियोजना से बीमारियों को बेहतर ढंग से समझने, दवाओं के शरीर पर प्रभाव के सटीक भविष्यवाणी, फॉरेंसिक विज्ञान में उन्नति और मानव विकास को समझने में मदद मिलेगा. इससे यह भी पता चलेगा कि हमारे देश के लोग अन्य देशों के लोगों से किस प्रकार भिन्न हैं और यदि उनमें कुछ समानता है तो वह क्या है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बीमारी का पता ससमय रहते लगाया जा सकता है और उसका सटीक इलाज भी खोजा जा सकता है. जिनोम इंडिया परियोजना वर्तमान समय में सबसे बड़ी वैज्ञानिक परियोजना में से एक है. जिसका लक्ष्य किसी प्राणी के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम का पता करना है.

Last Updated : Nov 18, 2021, 5:14 PM IST
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