हजारीबाग: हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribag Medical College Hospital) में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) बनाने का काम पिछले 75 दिनों से ठप पड़ा है. जिसके कारण अस्पताल का चक्कर लगा लगा कर अभिभावकों का हाल बेहाल है. अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 4,000 से अधिक जन्म प्रमाण पत्र और 100 से अधिक मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) के आवेदन कार्यालय में ही डंप पड़ा हुआ है.
जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए लोग परेशान
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Sheikh Bhikhari Medical College Hospital) में हजारीबाग के अलावा चतरा, कोडरमा, रामगढ़, बोकारो के मरीज इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. यहां प्रसव के लिए काफी अच्छी व्यवस्था है लेकिन यहां जन्म प्रमाण पत्र बनाने का कार्य पिछले 75 दिनों से बंद है. लगभग 4,000 से अधिक आवेदन कार्यालय में ही डंप पड़े हुए हैं. यही नहीं मृत्यु प्रमाण पत्र भी अस्पताल से नहीं बन रहे हैं.
अध्यक्ष को लिखा पत्र
इस बात को लेकर हजारीबाग के समाजसेवी और भाकपा जिला सचिव गणेश कुमार सीटू ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भारत सरकार अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है. पत्र में कहा है कि न्यू बोर्न बेबी को जन्म प्रमाण पत्र लेने का संवैधानिक अधिकार है. फिर भी अस्पताल लापरवाही बरत रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अक्टूबर 2020 से तत्कालीन उपायुक्त ने एक आदेश जारी किया था कि ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र ही निर्गत किया जाएगा. लेकिन आज तक अस्पताल में न सिस्टम है, न ऑपरेटर और न ही प्रिंटर, मात्र स्टाफ के जरिए यह कार्य कराया जा रहा है. कोरोना काल के दौरान उन्हें भी यहां से हटा दिया गया है.
सालों बीत जाने के बाद भी नहीं मिली सुविधा
गणेश कुमार सीटू ने 19 अगस्त 2020 को ही पत्र लिखकर अस्पताल के निबंधन विभाग को कंप्यूटर, प्रिंटर और ऑपरेटर उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था ताकि जन्म और मृत्यु का निबंधन ऑनलाइन हो सके. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई. विभाग में 2 कर्मचारी कार्यरत हैं. उनमें से एक कर्मचारी ऑनलाइन काम किया करता था. उन्हें संक्रमण के दौरान 24 अप्रैल 2021 से ऑक्सीजन डिपार्टमेंट में लगा दिया गया है.
सुपरिटेंडेंट ने दिलाया भरोसा
अब मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट ने भरोसा दिलाया है कि 2 से 3 दिनों के अंदर काम शुरू कर दिया जाएगा. लोगों के पास कर्मियों की कमी है. एक कर्मी को कोरोना काल में दूसरे विभाग में लगाया गया था. वे दोबारा अपने जगह पर आ जाएंगे और इस समस्या का समाधान भी हो जाएगा.