हजारीबाग: जिले की जनसंख्या में जितनी तेजी से वृद्धि हुई है उतनी ही तेजी से शहर का विस्तार भी हो रहा है. घनी आबादियों के रहने के लिए बड़े पैमान पर बस्तियां बनाई जा रही है. शहर में जिस रफ्तार के साथ घरों और कॉलोनियों का विस्तार हो रहा है क्या उसी अनुपात में सुरक्षा के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त इंतजाम उपलब्ध है. जवाब होगा शायद नहीं. गर्मियों में अक्सर घनी बस्तियों में आग लगने की खबरें आती है इसके बावजूद अग्निशमन जैसी आपातकालीन सेवा का विस्तार नहीं किया जा सका है. शहर की बड़ी आबादी महज दो दमकल की गाड़ियों पर निर्भर है.
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आग लगने पर बचाव मुश्किल: हजारीबाग के दमकल विभाग की हालत को देखें तो शहर की सुरक्षा भगवान भरोसे ही प्रतीत होती है. जिले के 16 प्रखंडों में आग बुझाने के लिए विभाग के पास केवल 2 गाड़ियां मौजूद है जबकि दो गाड़ी खराब है. पानी भरने के लिए भी दमकल की गाड़ियां झील के भरोसे है. जिला मुख्यालय से विष्णुगढ़ की दूरी 40 किलोमीटर, केरेडारी की दूरी 40 किमी, कटकमसांडी की दूरी 20 किमी, चुरचू आंगों की दूरी 30 किमी, चरही की दूरी 20 किमी, कटकमदाग की दूरी 15 किमी है. ऐसे में समझा जा सकता है कि आगजनी के वक्त इन गाड़ियों को घटनास्थल पर पहुंचने में कितना वक्त लगता होगा.
16 प्रखंडों में 11 फायर फाइटर: दमकल गाड़ियों की तरह इस विभाग में पदस्थापित फायर फायटरों की संख्या भी महज 11 है. इनमें एक प्रभारी, चार हवलदार, छह अग्निचालक कार्यरत हैं कर्मियों की कमी से भी विभाग को परेशानी उठानी पड़ती है. अग्निशमन विभाग की खराब दमकल गाड़ी की मरम्मत व नये वाहनों की खरीद के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. प्रभारी उत्तम महतो ने बताया कि कम संसाधनों में भी जिला में बेहतर कार्य हो रहा है.
झील के भरोसे दमकल विभाग: राज्य के अन्य अग्निशमन कार्यालयों में डीप बोरिंग है ओर उन्हें पानी के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाना नहीं पड़ता. लेकिन हजारीबाग में पानी भरने के लिए विभाग को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. विभाग झील के पानी के भरोसे चल रही है. विषम परिस्थिति तब खड़ा हो जाता है जब आपात परिस्थिति में इन्हें रात में पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में सारा समय उनका पानी भरने में चला जाता है और चाह कर भी समय पर आग बुझ नहीं पाती है.