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यहां आज भी कायम है तिलिस्म, ताली बजाते ही गिरने लगता है पानी - झारखंड के पर्यटन स्थल

हजारीबाग से 50 किलोमीटर दूर स्थित झिकझोर जंगल के पास बरसोपानी नाम की जगह है. जहां गुफा के अंदर ताली बजाने से पत्थर से पानी गिरने लगता है.

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बरसोपानी
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Published : Feb 16, 2020, 2:57 PM IST

हजारीबाग: जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर और बड़कागांव प्रखंड से 20 किलोमीटर पर झिकझोर जंगल के पास एक बस्ती बसा है. जिसे झिकझोर बस्ती के नाम से जाना जाता है. यहां बरसो पानी नाम का एक जगह है, जो पर्यटन स्थल है. यहां ताली बजाने से एक ऊपरी चट्टान से पानी गिरने लगता है.

देखें पूरी खबर

ताली बजाते ही गिरने लगता है पानी

यह बड़कागांव हेंदेगीर पथ पर स्थित जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. पास में ही झरना और जलाशय भी हैं. बता दें कि धरातल से लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर गुफा नुमा स्थल है जिसे बरसो पानी कहते हैं. बरसो पानी के बारे में हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बताते हैं कि यह कनपुरा बेसिन का पश्चिमी भाग है और महोदी पहाड़ी का हिस्सा है. पूरे गुफा को अगर देखा जाए तो यह ग्रेनाइट और निस पत्थर का बना हुआ है. गुफा का सीलिंग ग्रेनाइट पत्थर का है और उसके ठीक ऊपर झील जैसी आकृति है. जहां पानी जमा रहता है. उन्होंने कहा कि वहां से ही पानी पेड़ पौधों की जड़ों से रिसते हुए गुफा तक पहुंचता है.

लोगों से बातचीत करते संवाददाता गौरव प्रकाश

ये भी पढ़ें- लालू यादव की किडनी बनी चिंता का सबब, AIIMS दिल्ली में जांच कराने की तैयारी में जुटा रिम्स प्रबंधन

विकास से कोसों दूर

प्रोफेसर ने बताया कि जब गुफा के निचले हिस्से में जाकर कोई ताली या फिर आवाज देता है तो उस कंपन से पानी गिरता है. इसे ही बरसो पानी कहा जाता है. उनका यह भी मानना है कि यह एक प्राकृतिक देन है. उनका कहना है कि अगर क्षेत्र को विकसित किया जाए तो यह कौतूहल का विषय बन सकता है. यहां पर्यटन की अपार संभावना हैं. लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है.

पर्यटन के अपार संभावनाएं

वहीं, स्थानीय लोगों का मानना भी है कि अगर इस क्षेत्र का विकास होता तो पर्यटन के अपार संभावना यहां खुलते और क्षेत्र का विकास होता. साथ ही साथ देश-विदेश से पर्यटक भी यहां पहुंचते. जिससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो तो होती ही, दूसरे तरफ से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता.

ये भी पढ़ें- बाल सुधार गृह में डबल मर्डर के आरोपी को गांजा पहुंचाने आए दो युवक गिरफ्तार, नशीला पदार्थ बरामद

सार्थक परिणाम सामने नहीं आया

हजारीबाग में पर्यटन और इको टूरिज्म को लेकर कई संभावनाएं हैं, लेकिन इस ओर कभी फोकस नहीं किया गया. इसे बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों, पर्यटन खेलकूद एवं पर्यावरण के प्रति दिलचस्पी रखनेवालों के बीच समय-समय पर बैठक भी हुई, पर कुछ भी सार्थक परिणाम सामने नहीं आया.

हजारीबाग: जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर और बड़कागांव प्रखंड से 20 किलोमीटर पर झिकझोर जंगल के पास एक बस्ती बसा है. जिसे झिकझोर बस्ती के नाम से जाना जाता है. यहां बरसो पानी नाम का एक जगह है, जो पर्यटन स्थल है. यहां ताली बजाने से एक ऊपरी चट्टान से पानी गिरने लगता है.

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ताली बजाते ही गिरने लगता है पानी

यह बड़कागांव हेंदेगीर पथ पर स्थित जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. पास में ही झरना और जलाशय भी हैं. बता दें कि धरातल से लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर गुफा नुमा स्थल है जिसे बरसो पानी कहते हैं. बरसो पानी के बारे में हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बताते हैं कि यह कनपुरा बेसिन का पश्चिमी भाग है और महोदी पहाड़ी का हिस्सा है. पूरे गुफा को अगर देखा जाए तो यह ग्रेनाइट और निस पत्थर का बना हुआ है. गुफा का सीलिंग ग्रेनाइट पत्थर का है और उसके ठीक ऊपर झील जैसी आकृति है. जहां पानी जमा रहता है. उन्होंने कहा कि वहां से ही पानी पेड़ पौधों की जड़ों से रिसते हुए गुफा तक पहुंचता है.

लोगों से बातचीत करते संवाददाता गौरव प्रकाश

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विकास से कोसों दूर

प्रोफेसर ने बताया कि जब गुफा के निचले हिस्से में जाकर कोई ताली या फिर आवाज देता है तो उस कंपन से पानी गिरता है. इसे ही बरसो पानी कहा जाता है. उनका यह भी मानना है कि यह एक प्राकृतिक देन है. उनका कहना है कि अगर क्षेत्र को विकसित किया जाए तो यह कौतूहल का विषय बन सकता है. यहां पर्यटन की अपार संभावना हैं. लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है.

पर्यटन के अपार संभावनाएं

वहीं, स्थानीय लोगों का मानना भी है कि अगर इस क्षेत्र का विकास होता तो पर्यटन के अपार संभावना यहां खुलते और क्षेत्र का विकास होता. साथ ही साथ देश-विदेश से पर्यटक भी यहां पहुंचते. जिससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो तो होती ही, दूसरे तरफ से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता.

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सार्थक परिणाम सामने नहीं आया

हजारीबाग में पर्यटन और इको टूरिज्म को लेकर कई संभावनाएं हैं, लेकिन इस ओर कभी फोकस नहीं किया गया. इसे बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों, पर्यटन खेलकूद एवं पर्यावरण के प्रति दिलचस्पी रखनेवालों के बीच समय-समय पर बैठक भी हुई, पर कुछ भी सार्थक परिणाम सामने नहीं आया.

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