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हजारीबाग: आजीवन कारावास की सजा काट रहे 22 कैदी रिहा, परिवार को देख आंखों में छलके आंसू - आजीवन कारावास

हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा से गुरुवार देर शाम 22 कैदियों को रिहा किया गया. राज्य सजा पुनरीक्षण कमेटी के निर्णय के बाद कैदियों को रिहा किया गया है. इनमें वह कैदी है जिन्होंने 15 साल से अधिक की सजा काटी है.

22 prisoners released in Hazaribag
22 कैदी रिहा
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Published : Jan 23, 2020, 11:11 PM IST

हजारीबाग: लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा से गुरुवार देर शाम 22 कैदियों को रिहा किया गया. राज्य सजा पुनरीक्षण कमेटी के निर्णय के बाद कैदियों को रिहा किया गया है. इनमें वह कैदी है जिन्होंने 15 साल से अधिक की सजा काटी है. ऐसे कैदियों को उनके परिवार वाले भी लेने के लिए सुबह से ही जेल परिसर के सामने खड़ा रहे और जब उनके परिजन सामने आए तो आंखें भी छलक पड़ी.

देखिए पूरी खबर

अपनों से दूर रहने का दर्द जेल में बंद कैदी ही जान सकते हैं. जब रिहा होते हैं तो आंखों से आंसू छलक जाते हैं. ऐसा ही कुछ हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में देखने को मिला. 22 कैदियों को देर शाम रिहा किया गया, जिसमें एक परिवार के चार सदस्य भी इन 22 कैदियों में शामिल थे. जिनके बाहर निकलने के बाद उनके परिजन खुद को काबू में नहीं रख पाए और आंखें गमगीन हो गई. उनका कहना था कि आज हमारे जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है जब हमारे पिता और दो चाचा जेल से रिहा हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे दुश्मन को भी जेल न जाना पड़े.

वहीं, दूसरी ओर जेल से रिहा कैदी ने कहा कि अब पूरा जीवन तो जेल में ही कट गया है. अब जेल से रिहा होने के बाद हम अपने समाज और आसपास के लोगों को समझाएंगे कि आपस में किसी भी तरह का बैर मत रखो. अगर किसी बात को लेकर विवाद होता है तो बैठकर मामला को दूर करो न कि खून खराबा करो. क्योंकि जब एक व्यक्ति जेल जाता है तब पूरा परिवार ही बिखर जाता है. यह दर्द हम लोग से बेहतर कोई नहीं जानता है.

ये भी पढ़ें: नीम के पेड़ से निकल रहा मीठा दूध, चमत्कार मानकर लोग कर रहें पूजा-पाठ, बना जांच का विषय
बता दें कि पूरे राज्य भर से 139 बंदी को रिहा किया गया है. ये वैसे बंदी है जिन्होंने आजीवन कारावास की सजा पाया था और लंबी अवधि बीत जाने और कारागार में बेहतर आचरण, उनकी उम्र और उनके किए गए अपराध की प्रकृति पर राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद विचार करती है. रिहा करने कि अनुशंसा करती है. इसी आधार पर हजारीबाग के कैदियों को रिहा किया गया है.

हजारीबाग: लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा से गुरुवार देर शाम 22 कैदियों को रिहा किया गया. राज्य सजा पुनरीक्षण कमेटी के निर्णय के बाद कैदियों को रिहा किया गया है. इनमें वह कैदी है जिन्होंने 15 साल से अधिक की सजा काटी है. ऐसे कैदियों को उनके परिवार वाले भी लेने के लिए सुबह से ही जेल परिसर के सामने खड़ा रहे और जब उनके परिजन सामने आए तो आंखें भी छलक पड़ी.

देखिए पूरी खबर

अपनों से दूर रहने का दर्द जेल में बंद कैदी ही जान सकते हैं. जब रिहा होते हैं तो आंखों से आंसू छलक जाते हैं. ऐसा ही कुछ हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में देखने को मिला. 22 कैदियों को देर शाम रिहा किया गया, जिसमें एक परिवार के चार सदस्य भी इन 22 कैदियों में शामिल थे. जिनके बाहर निकलने के बाद उनके परिजन खुद को काबू में नहीं रख पाए और आंखें गमगीन हो गई. उनका कहना था कि आज हमारे जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है जब हमारे पिता और दो चाचा जेल से रिहा हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे दुश्मन को भी जेल न जाना पड़े.

वहीं, दूसरी ओर जेल से रिहा कैदी ने कहा कि अब पूरा जीवन तो जेल में ही कट गया है. अब जेल से रिहा होने के बाद हम अपने समाज और आसपास के लोगों को समझाएंगे कि आपस में किसी भी तरह का बैर मत रखो. अगर किसी बात को लेकर विवाद होता है तो बैठकर मामला को दूर करो न कि खून खराबा करो. क्योंकि जब एक व्यक्ति जेल जाता है तब पूरा परिवार ही बिखर जाता है. यह दर्द हम लोग से बेहतर कोई नहीं जानता है.

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बता दें कि पूरे राज्य भर से 139 बंदी को रिहा किया गया है. ये वैसे बंदी है जिन्होंने आजीवन कारावास की सजा पाया था और लंबी अवधि बीत जाने और कारागार में बेहतर आचरण, उनकी उम्र और उनके किए गए अपराध की प्रकृति पर राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद विचार करती है. रिहा करने कि अनुशंसा करती है. इसी आधार पर हजारीबाग के कैदियों को रिहा किया गया है.

Intro:अपनों से दूर रहने का दर्द वही जान सकता है जो चारदीवारी के अंदर कैद हो। हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा से गुरुवार देर शाम 22 कैदियों को रिहा किया गया ।राज्य सजा पुनरीक्षण कमेटी के निर्णय के बाद कैदियों को रिहा किया गया है। इनमें वह कैदी है जिन्होंने 15 साल से अधिक की सजा काटा है। ऐसे कैदियों को उनके परिवार वाले भी लेने के लिए सुबह से ही जेल परिसर के सामने खड़ा रहे और जब उनके परिजन सामने आए तो आंखें भी छलक पड़ी।


Body:अपनों से दूर रहने का दर्द जेल में बंद कैदी ही जान सकते हैं। जब रिहा होते हैं तो आंख से आंसू छलक जाते हैं ।ऐसा ही कुछ हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में देखने को मिला। 22 कैदियों को देर शाम रिहा किया गया।जिसमें एक परिवार के चार सदस्य भी इन 22 कैदियों में शामिल थे। जिनके बाहर निकलने के बाद उनके परिजन खुद को काबू में नहीं रख पाए और आंखें गमगीन हो गई ।उनका कहना था कि आज हमारे जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है जब हमारे पिता और दो चाचा जेल से रिहा हुए हैं।उन्होंने कहा कि हमारे दुश्मन को भी जेल ना जाना पड़े ।

तो दूसरी ओर जेल से रिहा कैदी ने कहा कि अब पूरा जीवन तो जेल में ही कट गया है अब जेल से रिहा होने के बाद हम अपने समाज और आसपास के लोगों को समझा एंगे की आपस में किसी भी तरह का बैर मत रखो। अगर किसी बात को लेकर विवाद होता है तो बैठकर मामला को दुर करो ना कि खून खराबा करो। क्योंकि जब एक व्यक्ति जेल जाता है तब पूरा परिवार ही बिखर जाता है। यह दर्द हम लोग से बेहतर कोई नहीं जानता है।

byte... तेजो साव बरही निवासी
byte... कलावती देवी परिजन पीला साल में
byte.... परिजन


Conclusion:बताते चलें कि पूरे राज्य भर से 139 बंदी को रिहा किया गया है। ये वैसे बंदी है जिन्होंने आजीवन कारावास की सजा पाया था और लंबी अवधि बीत जाने और कारागार में बेहतर आचरण, उनकी उम्र और उनके किए गए अपराध की प्रकृति पर राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद विचार करती है और रिहा करने कि अनुशंसा करती है। इसी आधार पर हजारीबाग के कैदियों को रिहा किया गया है।
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