गिरिडीह: एकीकृत बिहार के समय 23 साल पहले 7 जुलाई 1998 को हुए बगोदर प्रखंड के अटका नरसंहार के आश्रितों को आज भी नौकरी का इंतजार है. तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी (CM Rabri Devi) की ओर से आश्रितों को नौकरी दिए जाने की घोषणा की गई थी. लेकिन घटना के 23 साल बीत गए आश्रितों को नौकरी नहीं मिल पाई है. नरसंहार की इस घटना (Incident of Massacre) में दस लोग मारे गए थे. आश्रितों को नौकरी नहीं मिलने का मलाल है और इसके लिए तत्कालीन बिहार सरकार (Bihar Government) से लेकर वर्तमान झारखंड के हेमंत सरकार (Hemant Government) को लोग कोस रहे हैं.
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भरी पंचायत में नक्सलियों ने की थी गोलियों की बौछार
7 जुलाई 1998 को पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने पंचायत में बैठे निहत्थे लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी थी. घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित 10 लोग मारे गए थे. घटना के दूसरे दिन तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी घटना स्थल पहुंची हुईं थीं. घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए आश्रित परिवारों के एक- एक सदस्य को नौकरी, मुआवजा के तौर पर एक- एक लाख नगद और इंदिरा आवास देने की घोषणा की गई थी. घोषणा के मुताबिक इंदिरा आवास (Indira Awas)और मुआवजा राशि तो आश्रितों को मिल गया. लेकिन घटना के 23 साल बीत गए आज तक आश्रितों को नौकरी नहीं मिली है. हालांकि नौकरी की आस अब भी आश्रित परिवारों ने नहीं छोड़ी है. उन्हें आज भी नौकरी मिलने की उम्मीद है.