गिरिडीह: सीसीएल गिरिडीह कोलियरी (Giridih Colliery) पर दिन प्रतिदिन संकट के बादल मंडरा रहे हैं. गुरुवार को टाटा हिटाची मशीन को गिरिडीह से ढोरी के अमलो में शिफ्ट कर दिया गया है. मशीन शिफ्ट होने से कोयलांचल के लोग चिंतित हैं. लोगों को यह डर सता रहा है कि कहीं आनेवाले दिनों में गिरिडीह कोलियरी बंद न हो जाए.
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गिरिडीह परियोजना में दो माइंस है. कबरीबाद माइंस तीन वर्ष से बंद पड़ा है. जबकि 31 दिसम्बर को ओपेनकास्ट माइंस के सीटीओ की अवधि समाप्त हो जाएगी. ऐसे में 1 जनवरी से यहां से भी उत्पादन बंद हो जाएगा. बताया जाता है कि सीटीओ को लेकर अभी तक जो भी प्रयास किया गया है वह असफल साबित हुआ है. हालांकि स्थानीय सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और विधायक सुदिव्य कुमार का यह दावा है कि 31 दिसम्बर से पहले सीटीओ मिल जाएगा. लेकिन फिलहाल यह असंभव दिख रहा है.
सीटीओ मिलते ही वापस आएगी मशीन: पीओ
वहीं इस मामले पर परियोजना पदाधिकारी एसके सिंह का कहना है कि ओपेनकास्ट को सीटीओ मिलने में चार-पांच महीने का समय लग सकता है. ऐसे में टाटा हिटाची मशीन को ढोरी भेजा जा रहा है. इस मशीन का उपयोग अमलो प्रोजेक्ट के माइंस से कोयला और ओबी निकालने में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गिरिडीह के ओपेनकास्ट को सीटीओ मिलते ही मशीन वापस आ जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा अन्य नई मशीन भी गिरिडीह को मिलेगी.
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यूनियन लीडरों ने साधी चुप्पी
दूसरी तरफ मशीन को ले जाने का विरोध कर रही झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ने इस मामले में चुप्पी साध ली है. मामले पर यूनियन के लीडरों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पिछले दिनों भी इस मशीन को ले जाया जा रहा था. लेकिन झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था. वहीं अन्य मजदूर लीडर भी इस मामले पर कुछ नहीं बोल रहे हैं. विपक्षी पार्टियां भी चुप है.