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हाथी पर सवार होकर दिल्ली पहुंचेंगे रसूल बख्श! जेएमएम से टिकट नहीं मिलने पर हुए बागी - Lok Sabha seats

गिरिडीह लोकसभा से कुल 26 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है, जिसमें एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी का प्रत्याशी बसपा का रसूल बख्श हैं. रसूल बख्श कांग्रेस के पूर्व विधायक दिवंगत इजराइल अंसारी के भाई हैं. इससे पहले तक ये जेएमएम की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद वो बागी हो गए. अब रसूल बख्श लोकसभा चुनाव 2019 में हाथी की सवारी कर दिल्ली जाने की फिराक में हैं.

बसपा प्रत्याशी रसूल बख्श
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Published : Apr 25, 2019, 5:17 AM IST

गिरिडीह: लोकसभा क्षेत्र गिरिडीह के लिए जहां आजसू और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसी दो क्षेत्रीय पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है. वहीं, मायावती की पार्टी बसपा भी अब मैदान में आ गई है. झारखंड में कांग्रेस समर्थित महागठबंधन प्रत्याशी जगन्नाथ महतो के खिलाफ बसपा का प्रत्याशी मैदान में है.

बसपा प्रत्याशी रसूल बख्श

गिरिडीह लोकसभा से कुल 26 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है, जिसमें एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी का प्रत्याशी बसपा का रसूल बख्श हैं. रसूल बख्श कांग्रेस के पूर्व विधायक दिवंगत इजराइल अंसारी के भाई हैं. इससे पहले तक ये जेएमएम की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद वो बागी हो गए. अब रसूल बख्श लोकसभा चुनाव 2019 में हाथी की सवारी कर दिल्ली जाने की फिराक में हैं.

इजराइल अंसारी बोकारो के कथारा कोलियरी के झिरकी गांव के रहने वाले थे. झिरकी जहां के कोयला खदान में लगी आग पूरे देश में चर्चा में हैं. उसी झिरकी के इजरायल अंसारी की छवि एक सर्कुलर नेता के रूप में रही. इजराइल अंसारी के बारे में कहा जाता है की उन्होंने अपने प्रयास से कई मंदिरों का भी निर्माण कराया. कई लोगों की नौकरी लगवाई, तो कई हिन्दू-मुस्लिम परिवारों को मासिक आर्थिक मदद भी देते रहे.

इजराइल अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे इसराफिल उर्फ बबनी अब कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं. वो बोकारो विधानसभा से टिकट के लिए दावेदारों में से एक हैं. उन्हीं इजराइल अंसारी का भाई रसूल बख्श अब बसपा के हाथी पर चढ़कर दिल्ली दर्शन के लिए तैयार हैं. उन्हें विश्वास है कि उनके भाई इजराइल अंसारी ने जो क्षेत्र में काम किया है उसका फायदा उन्हें मिलेगा.

गिरिडीह: लोकसभा क्षेत्र गिरिडीह के लिए जहां आजसू और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसी दो क्षेत्रीय पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है. वहीं, मायावती की पार्टी बसपा भी अब मैदान में आ गई है. झारखंड में कांग्रेस समर्थित महागठबंधन प्रत्याशी जगन्नाथ महतो के खिलाफ बसपा का प्रत्याशी मैदान में है.

बसपा प्रत्याशी रसूल बख्श

गिरिडीह लोकसभा से कुल 26 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है, जिसमें एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी का प्रत्याशी बसपा का रसूल बख्श हैं. रसूल बख्श कांग्रेस के पूर्व विधायक दिवंगत इजराइल अंसारी के भाई हैं. इससे पहले तक ये जेएमएम की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद वो बागी हो गए. अब रसूल बख्श लोकसभा चुनाव 2019 में हाथी की सवारी कर दिल्ली जाने की फिराक में हैं.

इजराइल अंसारी बोकारो के कथारा कोलियरी के झिरकी गांव के रहने वाले थे. झिरकी जहां के कोयला खदान में लगी आग पूरे देश में चर्चा में हैं. उसी झिरकी के इजरायल अंसारी की छवि एक सर्कुलर नेता के रूप में रही. इजराइल अंसारी के बारे में कहा जाता है की उन्होंने अपने प्रयास से कई मंदिरों का भी निर्माण कराया. कई लोगों की नौकरी लगवाई, तो कई हिन्दू-मुस्लिम परिवारों को मासिक आर्थिक मदद भी देते रहे.

इजराइल अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे इसराफिल उर्फ बबनी अब कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं. वो बोकारो विधानसभा से टिकट के लिए दावेदारों में से एक हैं. उन्हीं इजराइल अंसारी का भाई रसूल बख्श अब बसपा के हाथी पर चढ़कर दिल्ली दर्शन के लिए तैयार हैं. उन्हें विश्वास है कि उनके भाई इजराइल अंसारी ने जो क्षेत्र में काम किया है उसका फायदा उन्हें मिलेगा.

Intro:गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के लिए जहां आजसू और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसी दो क्षेत्रीय पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है। वहीं बहन मायावती की पार्टी बसपा भी अब मैदान में आ गई है। यूपी में बहन मायावती की हाथी का साथ कांग्रेस के हाथ के साथ नहीं है। तो झारखंड में भी कांग्रेस समर्थित महागठबंधन के प्रत्याशी जगन्नाथ महतो के खिलाफ बसपा का प्रत्याशी मैदान में है। गिरिडीह लोकसभा से कुल 26 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है। जिसमें एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी का प्रत्याशी बसपा का रसूल वर्क्स हैं। रसूल बख्श कांग्रेस के पूर्व विधायक दिवंगत इजराइल अंसारी के भाई हैं। और इससे पहले तक यहां जेएमएम की राजनीति करते रहे हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद वह बागी हो गए थे। और अब हाथी की सवारी कर रहे हैं। इजराइल अंसारी बोकारो के कथारा कोलियरी के झिरकी गांव के रहने वाले थे। झिरकी जहां के कोयला खदान में लगी आग पूरे देश में चर्चा में हैं। उसी झिरकी के इजरायल अंसारी की छवि एक सर्कुलर नेता के रूप में थी। इजराइल अंसारी के बारे में कहा जाता है की उन्होंने अपने प्रयास से कई मंदिरों का भी निर्माण करवाया था। लोगों को नौकरी लगवाई तो कई हिन्दू मुस्लिम परिवारों को मासिक आर्थिक मदद भी देते रहते थे। इजराइल अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे इसराफिल उर्फ बबनी अब कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं। और बोकारो विधानसभा से टिकट के लिए दावेदारों में से एक हैं। उसी इजराइल अंसारी का भाई रसूल बक्श अब बसपा के हाथी पर चढ़कर दिल्ली दर्शन के लिए तैयार हैं। और उन्हें विश्वास है कि उनके भाई इजराइल अंसारी ने जो क्षेत्र में काम किया है उसका फायदा उन्हें मिलेगा। और वो दावा करते हैं की वह हाथी पर सवार होकर दिल्ली पहुंच जाएंगे। बाकी सभी प्रत्याशी बोकारो में ही रह जाएंगे। अब देखना है रसूल बक्स के दावों को गिरिडीह की जनता का कितना प्यार मिलता है। या वह महज वोट कटवा बन कर रह जाते हैं। बोकारो से आलोक रंजन सिंह की रिपोर्ट।


Body:रशूल बख्श, बीएसपी प्रत्याशी


Conclusion:रशूल बख्श, बीएसपी प्रत्याशी
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