गिरिडीह: जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार (DSE Arvind Kumar) का विद्यालयों में महंगे कंपनी का मार्केटिंग करने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. डीएसई के खिलाफ लगातार कार्रवाई की मांग की जा रही है. सदर विधायक सुदिव्य कुमार (MLA Sudivya Kumar) ने भी डीएसई के कारनामे को गलत बताया है और कार्रवाई करने की बात कही है.
इसे भी पढे़ं: स्कूल में बैठकर DSE कर रहे थे दुकानदारी, खुला कैमरा तो हटाने लगे सामान
जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार स्कूलों में जाकर एक मल्टीनेशनल कंपनी का प्रोडक्ट बेच रहे हैं. इस बात का खुलासा बुधवार को हुआ है. अब इस मामले को सत्ताधारी दल के विधायक सुदिव्य कुमार ने गंभीरता से लिया है. विधायक सुदिव्य कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में साफ कहा कि डीएसई का यह करतूत सरकारी नौकरी की नियमावली और सेवा शर्तों का सीधा उल्लंघन है. जब डीएसई जैसे अधिकारी इस तरह का कार्य करेंगे तो समाज में क्या संदेश जाएगा. उन्होंने कहा कि वीडियो और तश्वीर साफ बता रहा है कि डीएसई किस तरह से अपनी दुकान का संचालन कर रहे हैं. इस पूरे मामले की जांच होगी, लोक लेखा समिति की मीटिंग में भी डीसी के सामने इस मामले को रखा जाएगा और कार्रवाई की मांग की जाएगी.
डीएसई की पहले भी आते रही है शिकायत
विधायक ने कहा कि डीएसई अरविंद कुमार की पहले भी शिकायत आई थी. पहले भी उन्होंने पाठ्य सामग्री की खरीद के लिए प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी पर यह दबाव बनाया था, कि किसी चिन्हित दुकान से ही पाठ्य सामग्री खरीदना है, लेकिन अब पहली बार प्रमाण के साथ डीएसई की करतूत सामने आई है. डीएसई के खिलाफ निश्चित ही कार्रवाई होगी.
इसे भी पढे़ं: गिरिडीह के एक मुखिया और पंचायत सचिव पर चलेगा धोखाधड़ी का मुकदमा, DC ने भेजा प्रस्ताव
क्या है मामला
पिछले कई महीने से गिरिडीह में इस बात की चर्चा थी कि डीएसई विद्यालय निरीक्षण या बैठक के दौरान एक नामी कंपनी का प्रोडक्ट जैसे क्रीम, पेस्ट, ब्रश समेत कई सामान बेचते हैं. इसके लिए कइयों पर दबाव भी बनाया जाता है. बुधवार को जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार सदर अंचल के अग्दोनी स्कूल में निरीक्षण करने पहुंचे थे और वहीं पर उन्होंने अपनी दुकानदारी शुरू कर दी थी. मामले की जानकारी मिलने के बाद जब ईटीवी भारत के संवाददाता मौके पर पहुंचे तो डीएसई साहब एक टेबल पर प्रोडक्ट रखकर बेचते नजर आए. कैमरा ऑन होते ही डीएसई ने सामान हटाना शुरू कर दिया. बाद में उन सामानों को कभी शिक्षकों का, कभी ड्राइवर का तो कभी अपना बताने लगे. डीएससी यह भी कहने लगे कि सामान कुछ भी है इससे आपको क्या?
इधर डीएसई का करतूत उजागर होने के बाद उनके साथ मल्टीनेशनल कंपनी का प्रोडक्ट बेचने में सहयोग कर रहे सरकारी कर्मी डरे हुए हैं. कइयों ने तो अपना मोबाइल भी बंद कर दिया है. जिन शिक्षक-शिक्षिकाओं को दबाव में डालकर सामान बेचवाया गया था वे भी डरे हुए हैं.