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अभ्रख की धरती कोडरमा पर रहा है बीजेपी का राज, माले प्रत्याशी लगा सकते हैं सेंध

कोडरमा सीट फिलहाल झारखंड में चर्चा में है. यहां पर उम्मीदवार को लेकर बीजेपी माथापच्ची कर रही है. लेकिन एक सच यह भी है कि यहां सबसे ज्यादा बार बीजेपी ने ही बाजी मारी है.

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Published : Mar 29, 2019, 7:56 PM IST

Updated : Apr 1, 2019, 8:02 PM IST

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गिरिडीहः कोडरमा लोकसभा सीट पर सबसे अधिक बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. अभी भी यह सीट भाजपा के कब्जे में है. लेकिन एकमात्र नेता बाबूलाल मरांडी ही रहे हैं. जो इस सीट से कभी भी चुनाव नहीं हारे. वहीं हाल के दो लोकसभा चुनाव में भाकपा माले का जनाधार भी बढ़ा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

अभ्रख-कोयला, बेशकीमती पत्थरों जैसे खनिज संपदा से भरे कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी उफान पर है. हर चौक-चौराहे पर चुनाव की चर्चा है. इस बार भी यहां पर त्रिकोणात्मक संघर्ष होने के आसार अभी से दिखने लगा हैं. अभी से यह कयास लगाया जा रहा है कि 2019 के चुनाव में भाजपा, माले और महागठबंधन की ओर से जेवीएम के उम्मीदवारों के बीच ही संघर्ष होना है. ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में तीनों दलों की सक्रियता बढ़ गयी है. इस सीट के इतिहास की चर्चा करे तो 1977 से 2014 तक यहां पर 12 दफा लोकसभा का चुनाव हुआ है.

पांच बार जीते रीतलाल वर्मा
इस लोकसभा सीट पर सबसे अधिक रीतलाल प्रसाद वर्मा ने जीत दर्ज की है. रीतलाल पांच बार यहां से विजयी रहे. एक बार रीतलाल प्रसाद वर्मा भारतीय लोकदल व दूसरी बार जनता पार्टी तो तीन बार भाजपा के टिकट पर विजयी रहे. वहीं कांग्रेस के तिलकधारी सिंह दो बार तो जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने तीन बार यहां से जीत दर्ज की है. बाबूलाल एक बार भाजपा, एक बार निर्दलीय तो एक बार जेवीएम की टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं.

बड़ी बात है कि इस लोकसभा सीट से आठ बार लड़नेवाले रीतलाल प्रसाद वर्मा ने तीन बार हार का मुंह देखा है. आठ बार चुनाव लड़नेवाले तिलकधारी भी छह बारे हारे हैं. लेकिन तीन बार चुनाव लड़ चुके बाबूलाल मरांडी एक बार भी पराजित नहीं हुए हैं.

धीरे-धीरे बढ़ता गया माले का जनाधार
हाल के तीन लोकसभा चुनाव में मिले वोटों का आंकलन करें, तो इस लोकसभा सीट पर भाकपा माले ने खुद को न सिर्फ स्थापित किया बल्कि सीधी टक्कर भी दी. जिस भाकपा माले को 1999 के चुनाव में महज 21 हजार एक सौ मत मिला थे. वहीं माले आज जीत की प्रबल दावेदार में से एक बनकर उभर आयी है.

आंकड़ों की बात करें तो 2004 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज करनेवाले बाबूलाल मरांडी को 3 लाख 66 हजार 656 मत, झामुमो की टिकट पर खड़ी हुई चंपा वर्मा (स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा की पत्नी) को 2 लाख 11 हजार 712 मत तो भाकपा माले उम्मीदवार राजकुमार यादव को 1 लाख 36 हजार 554 मत मिले.

2009 के चुनाव में झाविमो के बाबूलाल मरांडी को 1 लाख 99 हजार 462 मत, भाकपा माले के राजकुमार को 1 लाख 50 हजार 942 मत तो भाजपा के लक्ष्मण स्वर्णकार को 1 लाख 15 हजार 145 मत मिले थे.

जबकि 2014 में माले ने लंबी छलांग लगायी. इस चुनाव में भाजपा के डॉ रवींद्र कुमार राय को 3 लाख 65 हजार 410 मत तो भाकपा माले के राजकुमार यादव को 2 लाख 66 हजार 756 मत प्राप्त हुए थे. जबकि जेवीएम के टिकट पर खड़ा हुवे प्रणव वर्मा (स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र) को एक लाख 60 हजार 638 मत मिला था.

कब कौन बने सांसद
1977 - रीतलाल प्रसाद वर्मा (बीएलडी)
1980- रीतलाल प्रसाद वर्मा (जेएनपी)
1984- तिलकधारी सिंह (कांग्रेस)
1989- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1991- मुमताज अंसारी (राजद)
1996- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1998- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1999- तिलकधारी सिंह (कांग्रेस)
2004- बाबूलाल मरांडी (भाजपा)
2006- बाबूलाल मरांडी (निर्दलीय)
2009- बाबूलाल मरांडी (जेवीएम)
2014- डॉ रवींद्र कुमार राय (भाजपा)

बहरहाल गिरिडीह जिले के चार विधानसभा, कोडरमा और हजारीबाग जिले के एक-एक विधानसभा क्षेत्र को समेटे इस लोकसभा सीट पर इस बार कौन बाजी मारता है यह तो चुनाव परिणाम ही बातएगा. लेकिन पुराने आंकड़े यह जरूर बता रहे हैं कि यहां से भाजपा की राह बहुत आसान नहीं है.

गिरिडीहः कोडरमा लोकसभा सीट पर सबसे अधिक बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. अभी भी यह सीट भाजपा के कब्जे में है. लेकिन एकमात्र नेता बाबूलाल मरांडी ही रहे हैं. जो इस सीट से कभी भी चुनाव नहीं हारे. वहीं हाल के दो लोकसभा चुनाव में भाकपा माले का जनाधार भी बढ़ा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

अभ्रख-कोयला, बेशकीमती पत्थरों जैसे खनिज संपदा से भरे कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी उफान पर है. हर चौक-चौराहे पर चुनाव की चर्चा है. इस बार भी यहां पर त्रिकोणात्मक संघर्ष होने के आसार अभी से दिखने लगा हैं. अभी से यह कयास लगाया जा रहा है कि 2019 के चुनाव में भाजपा, माले और महागठबंधन की ओर से जेवीएम के उम्मीदवारों के बीच ही संघर्ष होना है. ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में तीनों दलों की सक्रियता बढ़ गयी है. इस सीट के इतिहास की चर्चा करे तो 1977 से 2014 तक यहां पर 12 दफा लोकसभा का चुनाव हुआ है.

पांच बार जीते रीतलाल वर्मा
इस लोकसभा सीट पर सबसे अधिक रीतलाल प्रसाद वर्मा ने जीत दर्ज की है. रीतलाल पांच बार यहां से विजयी रहे. एक बार रीतलाल प्रसाद वर्मा भारतीय लोकदल व दूसरी बार जनता पार्टी तो तीन बार भाजपा के टिकट पर विजयी रहे. वहीं कांग्रेस के तिलकधारी सिंह दो बार तो जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने तीन बार यहां से जीत दर्ज की है. बाबूलाल एक बार भाजपा, एक बार निर्दलीय तो एक बार जेवीएम की टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं.

बड़ी बात है कि इस लोकसभा सीट से आठ बार लड़नेवाले रीतलाल प्रसाद वर्मा ने तीन बार हार का मुंह देखा है. आठ बार चुनाव लड़नेवाले तिलकधारी भी छह बारे हारे हैं. लेकिन तीन बार चुनाव लड़ चुके बाबूलाल मरांडी एक बार भी पराजित नहीं हुए हैं.

धीरे-धीरे बढ़ता गया माले का जनाधार
हाल के तीन लोकसभा चुनाव में मिले वोटों का आंकलन करें, तो इस लोकसभा सीट पर भाकपा माले ने खुद को न सिर्फ स्थापित किया बल्कि सीधी टक्कर भी दी. जिस भाकपा माले को 1999 के चुनाव में महज 21 हजार एक सौ मत मिला थे. वहीं माले आज जीत की प्रबल दावेदार में से एक बनकर उभर आयी है.

आंकड़ों की बात करें तो 2004 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज करनेवाले बाबूलाल मरांडी को 3 लाख 66 हजार 656 मत, झामुमो की टिकट पर खड़ी हुई चंपा वर्मा (स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा की पत्नी) को 2 लाख 11 हजार 712 मत तो भाकपा माले उम्मीदवार राजकुमार यादव को 1 लाख 36 हजार 554 मत मिले.

2009 के चुनाव में झाविमो के बाबूलाल मरांडी को 1 लाख 99 हजार 462 मत, भाकपा माले के राजकुमार को 1 लाख 50 हजार 942 मत तो भाजपा के लक्ष्मण स्वर्णकार को 1 लाख 15 हजार 145 मत मिले थे.

जबकि 2014 में माले ने लंबी छलांग लगायी. इस चुनाव में भाजपा के डॉ रवींद्र कुमार राय को 3 लाख 65 हजार 410 मत तो भाकपा माले के राजकुमार यादव को 2 लाख 66 हजार 756 मत प्राप्त हुए थे. जबकि जेवीएम के टिकट पर खड़ा हुवे प्रणव वर्मा (स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र) को एक लाख 60 हजार 638 मत मिला था.

कब कौन बने सांसद
1977 - रीतलाल प्रसाद वर्मा (बीएलडी)
1980- रीतलाल प्रसाद वर्मा (जेएनपी)
1984- तिलकधारी सिंह (कांग्रेस)
1989- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1991- मुमताज अंसारी (राजद)
1996- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1998- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1999- तिलकधारी सिंह (कांग्रेस)
2004- बाबूलाल मरांडी (भाजपा)
2006- बाबूलाल मरांडी (निर्दलीय)
2009- बाबूलाल मरांडी (जेवीएम)
2014- डॉ रवींद्र कुमार राय (भाजपा)

बहरहाल गिरिडीह जिले के चार विधानसभा, कोडरमा और हजारीबाग जिले के एक-एक विधानसभा क्षेत्र को समेटे इस लोकसभा सीट पर इस बार कौन बाजी मारता है यह तो चुनाव परिणाम ही बातएगा. लेकिन पुराने आंकड़े यह जरूर बता रहे हैं कि यहां से भाजपा की राह बहुत आसान नहीं है.

Intro:गिरिडीह। वैसे तो कोडरमा लोकसभा सीट पर सबसे अधिक भाजपा ने जीत दर्ज की है और अभी भी यह सीट भाजपा के कब्जे में है लेकिन एकमात्र नेता बाबूलाल मरांडी ही रहे हैं जो इस सीट से कभी भी चुनाव नहीं हारे. वहीं हाल के दो लोकसभा चुनाव में भाकपा माले का जनाधार भी बढ़ा है.


Body:अबरख-कोयला, बेसकीमती पत्थरों जैसे खनिज संपदा से भरे कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी उफान पर है. हर चौक-चौराहे पर चुनाव की चर्चा है. इस बार भी यहां पर त्रिकोणात्मक संघर्ष होने के आसार अभी से दिखने लगा है. अभी से यह कयास लगायी जा रही है कि 2019 के चुनाव में भाजपा-माले व महागठबंधन की ओर से जेवीएम के उम्मीदवारों के बीच ही संघर्ष होना है. ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में तीनों दलों की सक्रियता बढ़ गयी है. इस सीट के इतिहास की चर्चा करे तो 1977 से 2014 तक यहां पर 12 दफा लोकसभा का चुनाव हुआ है.

पांच बार जीते रीतलाल
इस लोकसभा सीट पर सबसे अधिक रीतलाल प्रसाद वर्मा ने जीत दर्ज की. रीतलाल पांच पर यहां से विजयी रहे, एक बार रीतलाल प्रसाद वर्मा भारतीय लोकदल व दूसरी बार जनता पार्टी तो तीन बार भाजपा के टिकट पर विजयी रहे. वहीं कांग्रेस के तिलकधारी सिंह दो बार तो जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने तीन बार यहां से जीत दर्ज की है. बाबूलाल एक बार भाजपा, एक बार निर्दलीय तो एक बार जेवीएम के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं.

बड़ी बात है कि इस लोकसभा सीट से आठ बार लड़नेवाले रीतलाल प्रसाद वर्मा ने तीन बार हार का मुंह देखा, आठ बार चुनाव लड़नेवाले तिलकधारी भी छह बारे हारे लेकिन तीन बार चुनाव लड़ चुके बाबूलाल मरांडी एक बार भी पराजित नहीं हुवे हैं.

धीरे-धीरे बढ़ता गया माले का जनाधार
हाल के तीन लोकसभा चुनाव में मिले वोटों का आकलन करे तो इस लोकसभा सीट पर भाकपा माले खुद को न सिर्फ स्थापित किया बल्कि सीधी टक्कर भी दी. जिस भाकपा माले को 1999 के चुनाव में महज 21 हजार एक सौ मत मिला था वहीं माले आज जीत की प्रबल दावेदार में से एक बनकर उभर आयी है.

आंकड़ों की बात करे तो 2004 के चुनाव में जहां भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज करनेवाले बाबूलाल मरांडी को 3 लाख 66 हजार 656 मत, झामुमो के टिकट पर खड़ी हुई चम्पा वर्मा (स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा की पत्नी) को 2 लाख 11 हजार 712 मत तो भाकपा माले उम्मीदवार राजकुमार यादव को 1 लाख 36 हजार 554 मत मिले.
2009 के चुनाव में झाविमो के बाबूलाल को 1 लाख 99 हजार 462 मत, भाकपा माले के राजकुमार को 1 लाख 50 हजार 942 मत तो भाजपा के लक्ष्मण स्वर्णकार को 1 लाख 15 हजार 145 मत मिला था.

जबकि 2014 में माले ने लम्बी छलांग लगायी. इस चुनाव में भाजपा के डॉ रविन्द्र कुमार राय को 3 लाख 65 हजार 410 मत तो भाकपा माले के राजकुमार यादव को 2 लाख 66 हजार 756 मत प्राप्त हुआ था. जबकि जेवीएम के टिकट पर खड़ा हुवे प्रणव वर्मा (स्व रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र) को एक लाख 60 हजार 638 मत मिला था.

कौन-कौन बने सांसद
1977 - रीतलाल प्रसाद वर्मा (बीएलडी)
1980- रीतलाल प्रसाद वर्मा (जेएनपी)
1984- तिलकधारी सिंह (कांग्रेस)
1989- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1991- मुमताज अंसारी (राजद)
1996- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1998- रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
1999- तिलकधारी सिंह (कांग्रेस)
2004- बाबूलाल मरांडी (भाजपा)
2006- बाबूलाल मरांडी (निर्दलीय)
2009- बाबूलाल मरांडी (जेवीएम)
2014- डॉ रविन्द्र कु राय (भाजपा)





Conclusion:बहरहाल गिरिडीह जिले के चार विधानसभा, कोडरमा व हजारीबाग जिले के एक-एक विधानसभा क्षेत्र को समेटे इस लोकसभा सीट पर इस बार कौन बाजी मारता है यह तो चुनाव परिणाम ही बातयेगा लेकिन पुराने आंकड़ें यह जरूर बता रहा है कि यहां से भाजपा की राह बहुत आसान नहीं है.

बाइट 1: लक्ष्मण सिंह, भाजपा नेता
बाइट 2: बाबूलाल मरांडी, अध्यक्ष, जेवीएम
बाइट 3: राजकुमार यादव, धनवार विधायक सह भाकपा माले प्रत्याशी
Last Updated : Apr 1, 2019, 8:02 PM IST
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