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Repeal of Agricultural Laws: भाकपा माले और किसान महासभा ने निकाला विजय जुलूस

कृषि कानूनों की वापसी पर गिरिडीह में भाकपा माले और किसान महासभा ने विजय जुलूस निकाला. इस मौके पर किसान महासभा के नेता और माले विधायक ने कहा कि किसानों की जीत हुई है.

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विजय जुलूस
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Published : Nov 19, 2021, 8:59 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 10:26 PM IST

गिरिडीहः कृषि कानूनों के पारित होने के बाद उसकी वापसी की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन लंबे समय तक चला. इस आंदोलन के बाद केंद्र सरकार की ओर से तीनों कृषि बिलों को वापस लेने की किए घोषणा से किसान महासभा, भाकपा माले और इसके घटक दलों में खुशी का माहौल है.

इसे भी पढ़ें- Withdrawal of Agricultural Laws: भाकपा माले ने निकाला विजय जुलूस, किसान आंदोलन की जीत- विनोद सिंह

केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों की वापसी की खुशी में शुक्रवार को बगोदर बाजार में भाकपा माले की ओर से विजय जुलूस निकाला गया. इस कार्यक्रम में भाकपा माले के बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे. माले विधायक ने कृषि बिलों की वापसी को किसानों के आंदोलन की बड़ी जीत बताया है.

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उन्होंने विजय जुलूस को संबोधित करते हुए कहा कि देश के कोने-कोने में चल रहे आंदोलनों के परिणाम स्वरूप केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को मजबूरन नए काले कृषि कानूनों की वापसी करने का फैसला लेना पड़ा है. यह महान किसान आंदोलन की महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जीत है पर यह जीत बेमानी हो जाएगी अगर मोदी सरकार किसानों को एमएसपी की गारंटी ना कर पाए. इसलिए सरकार को चाहिए कि वो किसानों को अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी करे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद गिरिडीह में किसान महासभा ने विजय जुलूस निकाला. इस कड़ी में जिला मुख्यालय के अलावा राजधनवार में विजय जुलूस निकालकर खुशी का इजहार किया गया. कार्यक्रम की अगुवाई पूर्व विधायक और किसान महासभा के संयोजक राजकुमार यादव, माले नेता राजेश यादव, राजेश सिन्हा ने किया. पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि तानाशाही मोदी सरकार को किसानों के आंदोलन के आगे झुकना पड़ा.

इसे भी पढ़ें- कृषि कानून वापस करने की घोषणा पर सीएम हेमंत की तीखी प्रतिक्रिया, मंत्री आलमगीर ने भी साधा निशाना

किसान महासभा के संयोजक राजकुमार यादव ने कहा कि कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा किसानों के आंदोलन की जीत के साथ मोदी सरकार के पतन का संकेत है. सरकार के सामने कृषि कानून को वापस लेने के अलावा कोई चारा भी नहीं था. उन्होंने कहा कि सात सौ से अधिक किसानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी. सरकार बैकफुट पर गयी है और उसके पतन की शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि सबसे अहम सवाल एमएसपी कानून लाना है, जब तक सरकार एमएसपी कानून बनाकर इसे लागू नहीं करती है, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.

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माले नेता राजेश यादव ने कहा कि यूपी चुनाव में हार के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लिया है जो कि किसानों के सामने सरकार का समर्पण है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को शहीद हुए किसानों के परिवार से माफी मांगनी चाहिए और आंदोलनकारियों पर देशद्रोह सहित लगाए गए अन्य मुकदमों को वापस लेना चाहिए. उन्होंने शहीद किसानों के परिवार वालों के लिए उचित मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग भी की. वहीं माले नेता राजेश सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए जनविरोधी कानून लेकर आती है, पूंजीपतियों की सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी. किसानों की एकता के सामने सरकार को घुटने टेकने पड़े हैं. देश की जनता मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों को जान गई है और इसके खिलाफ आंदोलन लगातार चलता रहेगा.

इस दौरान किसान महासभा की ओर से पैक्सों में धान खरीदी के सवाल पर आंदोलन करने का ऐलान किया गया. पैक्सों में धान क्रय की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग रखी गयी और पंचायत स्तर पर पैक्सों के माध्यम से धान क्रय का विस्तार करने की मांग की गई. इन मुद्दों को लेकर आगामी 24 नवंबर को जिला के सभी प्रखंडों और 28 नवंबर को जिला मुख्यालय में आंदोलन किया जाएगा.

गिरिडीहः कृषि कानूनों के पारित होने के बाद उसकी वापसी की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन लंबे समय तक चला. इस आंदोलन के बाद केंद्र सरकार की ओर से तीनों कृषि बिलों को वापस लेने की किए घोषणा से किसान महासभा, भाकपा माले और इसके घटक दलों में खुशी का माहौल है.

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केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों की वापसी की खुशी में शुक्रवार को बगोदर बाजार में भाकपा माले की ओर से विजय जुलूस निकाला गया. इस कार्यक्रम में भाकपा माले के बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे. माले विधायक ने कृषि बिलों की वापसी को किसानों के आंदोलन की बड़ी जीत बताया है.

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उन्होंने विजय जुलूस को संबोधित करते हुए कहा कि देश के कोने-कोने में चल रहे आंदोलनों के परिणाम स्वरूप केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को मजबूरन नए काले कृषि कानूनों की वापसी करने का फैसला लेना पड़ा है. यह महान किसान आंदोलन की महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जीत है पर यह जीत बेमानी हो जाएगी अगर मोदी सरकार किसानों को एमएसपी की गारंटी ना कर पाए. इसलिए सरकार को चाहिए कि वो किसानों को अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी करे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद गिरिडीह में किसान महासभा ने विजय जुलूस निकाला. इस कड़ी में जिला मुख्यालय के अलावा राजधनवार में विजय जुलूस निकालकर खुशी का इजहार किया गया. कार्यक्रम की अगुवाई पूर्व विधायक और किसान महासभा के संयोजक राजकुमार यादव, माले नेता राजेश यादव, राजेश सिन्हा ने किया. पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि तानाशाही मोदी सरकार को किसानों के आंदोलन के आगे झुकना पड़ा.

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किसान महासभा के संयोजक राजकुमार यादव ने कहा कि कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा किसानों के आंदोलन की जीत के साथ मोदी सरकार के पतन का संकेत है. सरकार के सामने कृषि कानून को वापस लेने के अलावा कोई चारा भी नहीं था. उन्होंने कहा कि सात सौ से अधिक किसानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी. सरकार बैकफुट पर गयी है और उसके पतन की शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि सबसे अहम सवाल एमएसपी कानून लाना है, जब तक सरकार एमएसपी कानून बनाकर इसे लागू नहीं करती है, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.

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माले नेता राजेश यादव ने कहा कि यूपी चुनाव में हार के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लिया है जो कि किसानों के सामने सरकार का समर्पण है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को शहीद हुए किसानों के परिवार से माफी मांगनी चाहिए और आंदोलनकारियों पर देशद्रोह सहित लगाए गए अन्य मुकदमों को वापस लेना चाहिए. उन्होंने शहीद किसानों के परिवार वालों के लिए उचित मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग भी की. वहीं माले नेता राजेश सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए जनविरोधी कानून लेकर आती है, पूंजीपतियों की सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी. किसानों की एकता के सामने सरकार को घुटने टेकने पड़े हैं. देश की जनता मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों को जान गई है और इसके खिलाफ आंदोलन लगातार चलता रहेगा.

इस दौरान किसान महासभा की ओर से पैक्सों में धान खरीदी के सवाल पर आंदोलन करने का ऐलान किया गया. पैक्सों में धान क्रय की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग रखी गयी और पंचायत स्तर पर पैक्सों के माध्यम से धान क्रय का विस्तार करने की मांग की गई. इन मुद्दों को लेकर आगामी 24 नवंबर को जिला के सभी प्रखंडों और 28 नवंबर को जिला मुख्यालय में आंदोलन किया जाएगा.

Last Updated : Nov 19, 2021, 10:26 PM IST
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