गिरिडीहः पिछले कुछ वर्षों से गिरिडीह कोलियरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सीटीओ यानी Consent to Operate के अभाव में जहां तीन वर्षों से कबरीबाद माइंस बंद है. वहीं गिरिडीह ओपेनकास्ट माइंस का Environment clearance और सीटीओ की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी. सीटीओ और पर्यावरण मंजूरी की अवधि समाप्त होने के बाद कोयला खनन का काम बंद हो जाएगा.
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हालांकि इस समस्या से निपटने के सदर विधायक सुदिव्य कुमार के अलावा सीसीएल ढोरी एरिया के General Manager मनोज कुमार अपनी टीम के साथ लगे हुए हैं. जीएम की टीम पूरा प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द इसी के साथ साथ सीटीओ मिले ताकि माइंस से कोयला का उत्पादन निर्बाध गति से चलता रहे. लेकिन इन प्रयासों के बीच जो जानकारी मिली है वह चिंतित करनेवाली है. मिली जानकारी के अनुसार गिरिडीह के दोनों कोल माइंस में मात्र 48 लाख टन कोयला ही बचा है.
उन्होंने कहा कि अभी ओपेनकास्ट में लगभग 12 लाख टन कोयला का भंडार है जबकि कबरीबाद में लगभग 36 लाख टन कोयला का भंडारण है. साथ ही ये भी कहा कि EC और CTO मिलने के बाद दोनों माइंस से 6-6 लाख टन कोयला निकालने का लक्ष्य है ताकि कोलियरी नो प्रॉफिट नो लॉस पर रहे. ऐसे में दो साल के अंदर ओपेनकास्ट का कोयला निकाल लिया जाएगा. जबकि 6-7 साल में कबरीबाद का कोयला निकाल लिया जाएगा.
प्रोस्पेक्टिव माइनिंग से साफ होगी तश्वीर: इंटक
दूसरी तरफ यूनियन लीडर अधिकारियों की इन बातों से इतेफाक नहीं रखते. इंटक के एनपी सिंह बुल्लू का कहना है कि कहा कि पिछले 25-30 वर्षों से प्रोस्पेक्टिव माइनिंग नहीं हुई है. जब तक प्रोस्पेक्टिव माइनिंग नहीं होगा तब ही साफ हो सकेगा कोयला कितना है. इसके अलावा सीटीओ के मामले में ईमानदारी नहीं बरती जा रही है.
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माइंस बंद करने की साजिश: शिवाजी
अधिवक्ता सह यूनियन लीडर शिवाजी सिंह का कहना है कि गिरिडीह कोलियरी में प्रोडक्शन बाधित होने का मुख्य वजह कबरीबाद माइंस का सीटीओ नहीं मिलना है. उन्होंने कहा कि सीटीओ नहीं मिलने के कारण कोलियरी के साथ साथ स्थानीय लोग प्रभावित हो रहे हैं. ये भी कहा कि सीसीएल का कहना है कि यहां 48 लाख टन है जो गलत है. पुराना डाटा को छोड़कर पुनः कोयला के भंडारण की जांच होनी चाहिए. वो कहते हैं कि सीसीएल का मानना है कि कोयला नहीं है जबकि अवैध माइंस लगातार चल रहा है. कहा कि कोलियरी बंद करने की साजिश है जिसे विफल कर दिया जाएगा.