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सीसीएल गिरिडीह के दोनों माइंस में मात्र 48 लाख टन कोयला, नो लॉस-नो प्रॉफिट का चला काम तो 7-8 साल में लग जाएगा ताला

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Published : Dec 11, 2021, 2:37 PM IST

CCL Coal Mines के दोनों कोल माइंस में कोयला का भंडारण कम है. कोलियरी के भविष्य को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही है. अब अधिकारी कह रहे हैं कि यहां कोयला का भंडारण मात्र 48 लाख टन ही है. ऐसे में यह कोलियरी कितने साल तक चल सकती है यह चर्चा का विषय है.

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गिरिडीह कोलियरी

गिरिडीहः पिछले कुछ वर्षों से गिरिडीह कोलियरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सीटीओ यानी Consent to Operate के अभाव में जहां तीन वर्षों से कबरीबाद माइंस बंद है. वहीं गिरिडीह ओपेनकास्ट माइंस का Environment clearance और सीटीओ की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी. सीटीओ और पर्यावरण मंजूरी की अवधि समाप्त होने के बाद कोयला खनन का काम बंद हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें- खदानों से कोयले का उत्पादन बढ़ा, लेकिन पावर प्लांट में सिर्फ 2 दिन का कोयला बचा

हालांकि इस समस्या से निपटने के सदर विधायक सुदिव्य कुमार के अलावा सीसीएल ढोरी एरिया के General Manager मनोज कुमार अपनी टीम के साथ लगे हुए हैं. जीएम की टीम पूरा प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द इसी के साथ साथ सीटीओ मिले ताकि माइंस से कोयला का उत्पादन निर्बाध गति से चलता रहे. लेकिन इन प्रयासों के बीच जो जानकारी मिली है वह चिंतित करनेवाली है. मिली जानकारी के अनुसार गिरिडीह के दोनों कोल माइंस में मात्र 48 लाख टन कोयला ही बचा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
हर वर्ष 12 लाख टन उत्पादन का लक्ष्यइस मामले पर ढोरी एरिया के महाप्रबंधक मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोलियरी बंद नहीं होगी. इसी कंसर्ट टू स्टेबलिश और सीटीओ का जो मामला है, उसका हल निकालने का प्रयास चल रहा है. इन अनुमतियों को प्राप्त करने में तीन-चार माह का समय लगेगा, तब तक ओपेनकास्ट का उत्पादन बाधित रह सकता है. हालांकि अनुमतियां मिलते ही सबकुछ पहले जैसा सामान्य हो जाएगा.
Coal storage less in both coal mines of CCL in Giridih
कोयला खदान

उन्होंने कहा कि अभी ओपेनकास्ट में लगभग 12 लाख टन कोयला का भंडार है जबकि कबरीबाद में लगभग 36 लाख टन कोयला का भंडारण है. साथ ही ये भी कहा कि EC और CTO मिलने के बाद दोनों माइंस से 6-6 लाख टन कोयला निकालने का लक्ष्य है ताकि कोलियरी नो प्रॉफिट नो लॉस पर रहे. ऐसे में दो साल के अंदर ओपेनकास्ट का कोयला निकाल लिया जाएगा. जबकि 6-7 साल में कबरीबाद का कोयला निकाल लिया जाएगा.

प्रोस्पेक्टिव माइनिंग से साफ होगी तश्वीर: इंटक
दूसरी तरफ यूनियन लीडर अधिकारियों की इन बातों से इतेफाक नहीं रखते. इंटक के एनपी सिंह बुल्लू का कहना है कि कहा कि पिछले 25-30 वर्षों से प्रोस्पेक्टिव माइनिंग नहीं हुई है. जब तक प्रोस्पेक्टिव माइनिंग नहीं होगा तब ही साफ हो सकेगा कोयला कितना है. इसके अलावा सीटीओ के मामले में ईमानदारी नहीं बरती जा रही है.

इसे भी पढ़ें- चतरा में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने किया कोयला खदान का निरीक्षण, देश में बिजली संकट को लेकर कही बड़ी बात

माइंस बंद करने की साजिश: शिवाजी
अधिवक्ता सह यूनियन लीडर शिवाजी सिंह का कहना है कि गिरिडीह कोलियरी में प्रोडक्शन बाधित होने का मुख्य वजह कबरीबाद माइंस का सीटीओ नहीं मिलना है. उन्होंने कहा कि सीटीओ नहीं मिलने के कारण कोलियरी के साथ साथ स्थानीय लोग प्रभावित हो रहे हैं. ये भी कहा कि सीसीएल का कहना है कि यहां 48 लाख टन है जो गलत है. पुराना डाटा को छोड़कर पुनः कोयला के भंडारण की जांच होनी चाहिए. वो कहते हैं कि सीसीएल का मानना है कि कोयला नहीं है जबकि अवैध माइंस लगातार चल रहा है. कहा कि कोलियरी बंद करने की साजिश है जिसे विफल कर दिया जाएगा.

Coal storage less in both coal mines of CCL in Giridih
कोल माइंस में कोयले की कमी
सीटीओ दिलवाने का हो प्रयास: बीएमएसबीएमएस के प्रमोद सिंह का कहना है कि इस कोलियरी से पांच लाख लोगों का भरण-पोषण चलता है. कहा कि कोलियरी बंद होने से लोगों का पलायन भी होने लगेगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक और सांसद भी सीटीओ व EC दिलवाने का प्रयास करें. वो कहते हैं कि बीएमएस वेट एंड वाच की स्थिति में है. मार्च तक सीटीओ नहीं आता है तो बीएमएस आंदोलन करेगी.कोयला का अकूत भंडार: झाकोमयूझारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन गिरिडीह के सचिव तेजलाल मंडल का कहना है कि यहां कोयले का अकूत भंडार है. सीसीएल सीएमपीडीआई के साथ मिलकर सर्वे करें. यहां इतना कोयला है कि वर्षों तक इस कोलियरी को कुछ नहीं होगा. यूनियन सचिव ने कहा कि सीटीओ व EC के लिए विधायक सुदिव्य कुमार और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी प्रयास कर रहे हैं. गिरिडीह कोलियरी की दशा को सुधारने में जो करना होगा झाकोमयू करेगी.

गिरिडीहः पिछले कुछ वर्षों से गिरिडीह कोलियरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सीटीओ यानी Consent to Operate के अभाव में जहां तीन वर्षों से कबरीबाद माइंस बंद है. वहीं गिरिडीह ओपेनकास्ट माइंस का Environment clearance और सीटीओ की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी. सीटीओ और पर्यावरण मंजूरी की अवधि समाप्त होने के बाद कोयला खनन का काम बंद हो जाएगा.

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हालांकि इस समस्या से निपटने के सदर विधायक सुदिव्य कुमार के अलावा सीसीएल ढोरी एरिया के General Manager मनोज कुमार अपनी टीम के साथ लगे हुए हैं. जीएम की टीम पूरा प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द इसी के साथ साथ सीटीओ मिले ताकि माइंस से कोयला का उत्पादन निर्बाध गति से चलता रहे. लेकिन इन प्रयासों के बीच जो जानकारी मिली है वह चिंतित करनेवाली है. मिली जानकारी के अनुसार गिरिडीह के दोनों कोल माइंस में मात्र 48 लाख टन कोयला ही बचा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
हर वर्ष 12 लाख टन उत्पादन का लक्ष्यइस मामले पर ढोरी एरिया के महाप्रबंधक मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोलियरी बंद नहीं होगी. इसी कंसर्ट टू स्टेबलिश और सीटीओ का जो मामला है, उसका हल निकालने का प्रयास चल रहा है. इन अनुमतियों को प्राप्त करने में तीन-चार माह का समय लगेगा, तब तक ओपेनकास्ट का उत्पादन बाधित रह सकता है. हालांकि अनुमतियां मिलते ही सबकुछ पहले जैसा सामान्य हो जाएगा.
Coal storage less in both coal mines of CCL in Giridih
कोयला खदान

उन्होंने कहा कि अभी ओपेनकास्ट में लगभग 12 लाख टन कोयला का भंडार है जबकि कबरीबाद में लगभग 36 लाख टन कोयला का भंडारण है. साथ ही ये भी कहा कि EC और CTO मिलने के बाद दोनों माइंस से 6-6 लाख टन कोयला निकालने का लक्ष्य है ताकि कोलियरी नो प्रॉफिट नो लॉस पर रहे. ऐसे में दो साल के अंदर ओपेनकास्ट का कोयला निकाल लिया जाएगा. जबकि 6-7 साल में कबरीबाद का कोयला निकाल लिया जाएगा.

प्रोस्पेक्टिव माइनिंग से साफ होगी तश्वीर: इंटक
दूसरी तरफ यूनियन लीडर अधिकारियों की इन बातों से इतेफाक नहीं रखते. इंटक के एनपी सिंह बुल्लू का कहना है कि कहा कि पिछले 25-30 वर्षों से प्रोस्पेक्टिव माइनिंग नहीं हुई है. जब तक प्रोस्पेक्टिव माइनिंग नहीं होगा तब ही साफ हो सकेगा कोयला कितना है. इसके अलावा सीटीओ के मामले में ईमानदारी नहीं बरती जा रही है.

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माइंस बंद करने की साजिश: शिवाजी
अधिवक्ता सह यूनियन लीडर शिवाजी सिंह का कहना है कि गिरिडीह कोलियरी में प्रोडक्शन बाधित होने का मुख्य वजह कबरीबाद माइंस का सीटीओ नहीं मिलना है. उन्होंने कहा कि सीटीओ नहीं मिलने के कारण कोलियरी के साथ साथ स्थानीय लोग प्रभावित हो रहे हैं. ये भी कहा कि सीसीएल का कहना है कि यहां 48 लाख टन है जो गलत है. पुराना डाटा को छोड़कर पुनः कोयला के भंडारण की जांच होनी चाहिए. वो कहते हैं कि सीसीएल का मानना है कि कोयला नहीं है जबकि अवैध माइंस लगातार चल रहा है. कहा कि कोलियरी बंद करने की साजिश है जिसे विफल कर दिया जाएगा.

Coal storage less in both coal mines of CCL in Giridih
कोल माइंस में कोयले की कमी
सीटीओ दिलवाने का हो प्रयास: बीएमएसबीएमएस के प्रमोद सिंह का कहना है कि इस कोलियरी से पांच लाख लोगों का भरण-पोषण चलता है. कहा कि कोलियरी बंद होने से लोगों का पलायन भी होने लगेगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक और सांसद भी सीटीओ व EC दिलवाने का प्रयास करें. वो कहते हैं कि बीएमएस वेट एंड वाच की स्थिति में है. मार्च तक सीटीओ नहीं आता है तो बीएमएस आंदोलन करेगी.कोयला का अकूत भंडार: झाकोमयूझारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन गिरिडीह के सचिव तेजलाल मंडल का कहना है कि यहां कोयले का अकूत भंडार है. सीसीएल सीएमपीडीआई के साथ मिलकर सर्वे करें. यहां इतना कोयला है कि वर्षों तक इस कोलियरी को कुछ नहीं होगा. यूनियन सचिव ने कहा कि सीटीओ व EC के लिए विधायक सुदिव्य कुमार और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी प्रयास कर रहे हैं. गिरिडीह कोलियरी की दशा को सुधारने में जो करना होगा झाकोमयू करेगी.
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