गिरिडीह: गैरमजरूआ और सरकारी जमीन को गलत तरीके से हासिल करने के मामले में प्रशासन की स्तर से जांच तेज कर दी गयी है. इसे लेकर मधुबन में स्थित जैन धर्म के आठ संस्थाओं को कागजात प्रस्तुत करने का नोटिस भी दिया गया है. कुछ संस्थाओं ने कागजात प्रस्तुत कर दिया है, जबकि कुछ संस्थाओं ने कागजात प्रस्तुत करने का समय मांगा है.
बता दें कि गिरिडीह के सदर विधायक सुदिव्य कुमार की शिकायत पर सरकारी जमीन पर गलत तरीके कब्जा जमाने के मामले की जांच करने पिछले दिनों राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव अवध नारायण प्रसाद गिरिडीह पहुंचे थे. इनके द्वारा मधुबन समेत विभिन्न स्थानों पर जाकर निरीक्षण भी किया गया था.
बीस पंथी संस्था के पास सभी कागजात
इस मामले पर मधुबन स्थित बीस पंथी कोठी के प्रबंधक सुधाकर अन्नदाते से बात की गयी तो उन्होंने साफ कहा कि उनकी संस्था ने किसी प्रकार का अवैध कब्जा नहीं किया है. इनका कहना है कि 1913 में सौ एकड़ से अधिक जमीन का निबंधन रजिस्टर्ड पट्टा से लिया गया है. सीलिंग एक्ट के अनुसार, 54.64 एकड़ राज्य सरकार को वापस भी किया जा चुका है. इस 54.64 एकड़ भूमि को भूमिहीनों के बीच वितरित भी किया गया है. जमीन पर पिछले 100 वर्षों से जमाबंदी कायम है. सारा कागजात है और बीस पंथी कोठी ने एक टुकड़ा जमीन भी अवैध कब्जा नहीं किया है.
इसी तरह जैन स्वेतांबर सोसायटी के प्रबंधक दीपक बेगानी भी एक इंच जमीन पर भी अवैध कब्जा को गलत बताते हैं. इनका कहना है कि संस्था के पास जितनी भी जमीन है सभी पर जमाबंदी कायम है. सभी का कागजात मौजूद है. खतियान के हिसाब से किसी प्रकार का गैरमजरूआ या सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं है. इस मामले पर सिद्धायतन संस्था के जीएम नितेश जैन भी वन भूमि या सरकारी भूमि पर कब्जा की बात को गलत बताते हैं. इनका कहना है कि संस्था के पास जमीन के सारे कागजात हैं और विभाग को कागजात दिया जाएगा.
'कागजात जमा होने के बाद होगी जांच'
इधर, पीरटांड़ के अंचलाधिकारी विनय प्रकाश तिग्गा ने बताया कि वन भूमि, गैरमजरूआ जमीन पर कब्जा की शिकायत विधायक द्वारा की गयी थी. इसके मधुबन में स्थित जैन धर्म के 8 संस्थाओं को जमीन के सभी कागजात जमा करने का नोटिस दिया गया है. कुछेक संस्थाओं ने कागजात जमा कर दिया है. बाकी अन्य संस्थाओं ने कुछ समय मांगा है. सभी कागजात जमा होने के बाद पूरे मामले की जांच की जाएगी.