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Vat Savitri Puja 2021: वट सावित्री व्रत रख कर महिलाओं ने की अखंड सौभाग्य की कामना, वट वृक्ष का किया पूजन

दुमका सहित राज्यभर में महिलाओं ने आज वट सावित्री पूजा (Vat Savitri Puja) की और अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की. इस मौके पर महिलाएं पूरी तरह भक्ति में सराबोर दिखीं. वहीं, सभी एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर बधाई देती नजर आई.

Vat Savitri Puja
वट वृक्ष की पूजा करती महिलाएं
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Published : Jun 10, 2021, 12:47 PM IST

Updated : Jun 10, 2021, 1:10 PM IST

हजारीबाग, जामताड़ा, गिरिडीह, दुमका: राज्य भर में महिलाएं आज अपने पति के लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत(Vat Savitri Puja) कर रही हैं. अलग-अलग जगहों पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर रही हैं और सदा सुहागन रहने की ईश्वर से कामना करते हुए वट वृक्ष के चारो ओर लाल धागा या मौली सूत बांध रही हैं. दुमका में पूजा करने आई महिलाओं के चेहरे पर खुशी की झलक दिखी. इस मौके पर महिलाएं एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर बधाई देती नजर आईं.

दुमका में वट सावित्री व्रत

ये भी पढ़ें-Vat Savitri Vrat: जानें वट सावित्री व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और कथा

पुराकथा और मान्यताओं के अनुसार सावित्री अपने पति सत्यवान की जिंदगी यमराज से वापस ले आती है उन्हीं को याद कर यह व्रत किया जाता है. हालांकि, पूजा कर रही महिलाओं में कोरोना का भी खौफ नजर नहीं आया, उनका कहना था कि व्रत पति की सलामती का है तो उसके सामने कोरोना से क्या डरना.

वट सावित्री व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में वट सावित्री पूजा का विशेष स्थान होता है. पत्नी अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य कामना के लिए पूजा करती है. ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर के कपाट बंद है. इसलिए बरगद पेड़ के नीचे पूजा संभव नहीं है. वहीं, कुछ स्थानों पर घर पर ही महिलाएं सांकेतिक रूप से बरगद वृक्ष की टहनी लगाकर पूजा करती नजर आई. वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती रही है. ऐसा माना जाता कि बरगद के वृक्ष के में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. इसलिए पूजा करने से पति की दीर्घायु होने के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. हजारीबाग में कोरोना के कारण कई महिलाएं घर पर ही पूजा करती दिखीं. हालांकि ऐसी महिलाओं की भी कमी नहीं थी जो बाहर जाकर वट वृक्ष की पूजा कर रही थीं.

हजारीबाग में वट सावित्री व्रत

जामताड़ा में वट सावित्री व्रत

इधर, जामताड़ा में भी वट सावित्री पूजा को लेकर सुहागिन महिलाओं की भीड़ वट वृक्ष के नीचे उमड़ पड़ी. सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु और सदा सुहागन के लिए व्रत रखा और वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना की और पति की दीर्घायु को लेकर मनोकामना की. जामताड़ा के मुख्य चौक में वटवृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं ने इस मौके पर काफी संख्या में पूजा अर्चना की और कथा सुनकर वृक्ष की परिक्रमा की.

जामताड़ा में वट सावित्री व्रत

गिरिडीह में वट सावित्री व्रत

बगोदर-सरिया अनुमंडल क्षेत्र में सुहागिनों ने परंपरागत तरीके से वट सावित्री पूजा की. सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. बगोदर, सरिया और बिरनी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में वट (बरगद) वृक्षों के नीचे सामुहिक रूप से सुहागिनों ने पूरे विधि-विधान से पूजा की. इस दौरान ब्राह्मणों ने वट पूजा की कथा से सुहागिनों को अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि वट वृक्ष की पूजा करने से महिलाएं आजीवन सुहागिन रहती है.

गिरिडीह में वट सावित्री व्रत

Vat Savitri Puja 2021: वट सावित्री व्रत रख कर महिलाओं ने की अखंड सौभाग्य की कामना, वट वृक्ष का किया पूजन

हजारीबाग, जामताड़ा, गिरिडीह, दुमका: राज्य भर में महिलाएं आज अपने पति के लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत(Vat Savitri Puja) कर रही हैं. अलग-अलग जगहों पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर रही हैं और सदा सुहागन रहने की ईश्वर से कामना करते हुए वट वृक्ष के चारो ओर लाल धागा या मौली सूत बांध रही हैं. दुमका में पूजा करने आई महिलाओं के चेहरे पर खुशी की झलक दिखी. इस मौके पर महिलाएं एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर बधाई देती नजर आईं.

दुमका में वट सावित्री व्रत

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पुराकथा और मान्यताओं के अनुसार सावित्री अपने पति सत्यवान की जिंदगी यमराज से वापस ले आती है उन्हीं को याद कर यह व्रत किया जाता है. हालांकि, पूजा कर रही महिलाओं में कोरोना का भी खौफ नजर नहीं आया, उनका कहना था कि व्रत पति की सलामती का है तो उसके सामने कोरोना से क्या डरना.

वट सावित्री व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में वट सावित्री पूजा का विशेष स्थान होता है. पत्नी अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य कामना के लिए पूजा करती है. ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर के कपाट बंद है. इसलिए बरगद पेड़ के नीचे पूजा संभव नहीं है. वहीं, कुछ स्थानों पर घर पर ही महिलाएं सांकेतिक रूप से बरगद वृक्ष की टहनी लगाकर पूजा करती नजर आई. वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती रही है. ऐसा माना जाता कि बरगद के वृक्ष के में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. इसलिए पूजा करने से पति की दीर्घायु होने के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. हजारीबाग में कोरोना के कारण कई महिलाएं घर पर ही पूजा करती दिखीं. हालांकि ऐसी महिलाओं की भी कमी नहीं थी जो बाहर जाकर वट वृक्ष की पूजा कर रही थीं.

हजारीबाग में वट सावित्री व्रत

जामताड़ा में वट सावित्री व्रत

इधर, जामताड़ा में भी वट सावित्री पूजा को लेकर सुहागिन महिलाओं की भीड़ वट वृक्ष के नीचे उमड़ पड़ी. सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु और सदा सुहागन के लिए व्रत रखा और वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना की और पति की दीर्घायु को लेकर मनोकामना की. जामताड़ा के मुख्य चौक में वटवृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं ने इस मौके पर काफी संख्या में पूजा अर्चना की और कथा सुनकर वृक्ष की परिक्रमा की.

जामताड़ा में वट सावित्री व्रत

गिरिडीह में वट सावित्री व्रत

बगोदर-सरिया अनुमंडल क्षेत्र में सुहागिनों ने परंपरागत तरीके से वट सावित्री पूजा की. सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. बगोदर, सरिया और बिरनी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में वट (बरगद) वृक्षों के नीचे सामुहिक रूप से सुहागिनों ने पूरे विधि-विधान से पूजा की. इस दौरान ब्राह्मणों ने वट पूजा की कथा से सुहागिनों को अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि वट वृक्ष की पूजा करने से महिलाएं आजीवन सुहागिन रहती है.

गिरिडीह में वट सावित्री व्रत
Last Updated : Jun 10, 2021, 1:10 PM IST
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