दुमका: नौ दिन तक मां की अराधना के बाद आज मां की विदाई का दिन विजयादशमी है. मां दुर्गे की विदाई से पहले बांग्ला परंपरा में सिंदूर खेला का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और विजयादशमी की बधाई देती हैं. सभी महिलाएं एक साथ मिलकर मां दुर्गा से सुहाग की रक्षा करने और अगले वर्ष जल्दी आने की मन्नत मांगती हैं.
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महिलाओं में दिखा उत्साह
सिंदूर खेला के दौरान महिलाओं ने मां दुर्गा के मंडप के सामने ढाक की आवाज पर जमकर नृत्य किया. दरअसल धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा को खुशी खुशी विदाई दी जाती है. इस मौके पर उनसे प्रार्थना की जाती है कि मां आप जा रहे हैं लेकिन अगले वर्ष फिर आप जल्दी आइए.
सिंदूर खेला को लेकर क्या है मान्यता?
- मां की विदाई: ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 9 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और 10वें दिन यानि विजयादशमी को वे मायके से विदा लेती हैं. इस उपलक्ष्य में सुहागन महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर उनसे आशीर्वाद लेती हैं.
- पति की लंबी उम्र की कामना: सिंदूर खेला के दिन महिलाएं पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श करती हैं. उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं.
- धुनुची नृत्य करती हैं महिलाएं: सिंदूर खेला बंगाल में काफी मशहूर है. इस दिन बंगाली महिलाएं मां दुर्गा को खुश करने के लिए पारंपरिक धुनुची नृत्य करती हैं.
- क्या है धार्मिक महत्व: सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व भी है. माना जाता है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था. तभी से लोगों में इस रस्म को लेकर काफी मान्यता है और हर साल पूरे धूमधाम से इस रस्म को मनाया जाता है.