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दुमका के दानीनाथ मंदिर परिसर में बिखरी है काले पत्थरों की दुर्लभ मूर्तियां, धरोहरों को संरक्षित करने में सरकार नाकाम

दुमका के दानीनाथ मंदिर में काले पत्थरों की दुर्लभ मूर्तियां बिखरी हुई हैं. इसको संरक्षित करने को लेकर सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. इससे स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है.

Daninath temple in Dumka
दुमका के दानीनाथ मंदिर परिसर में बिखरी है काले पत्थरों की दुर्लभ मूर्तियां
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Published : May 22, 2022, 10:36 PM IST

दुमकाः झारखंड सरकार अपने ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में गंभीर नहीं है. यही वजह है कि काठीकुंड प्रखंड के दानीनाथ मंदिर परिसर में काले पत्थरों से निर्मित बेशकीमती और दुर्लभ मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं. इन मूर्तियों को संरक्षित करने के बदले जैसे-तैसे रख दिया गया है.

यह भी पढ़ेंःदुमका: बासुकीनाथ मंदिर नहीं खुलने से पंडा-पुरोहित नाराज, सरकार से मांगी मदद

झारखंड की उपराजधानी दुमका जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर पाकुड़ जाने वाली मुख्य सड़क पर स्थित काठीकुंड प्रखंड में भगवान शिव का दानीनाथ मंदिर है. दानीनाथ मंदिर में भगवान शिव के साथ साथ माता पार्वती, मां काली, भगवान गणेश और भगवान हनुमान सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं. यहां श्रद्धालुओं की असीम श्रद्धा हैं. यही वजह है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु रोजाना पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में भव्य मेला का आयोजन होता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

मंदिर परिसर में काफी संख्या में काले पत्थर से निर्मित देवी-देवताओं की मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां बिखरी पड़ी हैं. इस परिसर में बिखरे मूर्तियों को देखकर खुला संग्रहालय भी कह सकते हैं. बताया जाता है कि ये सब मूर्तियां सदियों पुरानी और गुप्तकालीन संस्कृति से जुड़ी हुई हैं. इतिहासकार पंडित अनूप कुमार वाजपेयी कहते हैं कि मंदिर परिसर में रखी गई मूर्तियां कई काल खंडों की हैं, जो ढाई सौ साल से लेकर हजारों साल पुरानी हैं. उन्होंने कहा कि इन मूर्तियों को सहेजने को लेकर आज तक कोई पहल नहीं की गई है.

मंदिर परिसर की मूर्तियां भले सदियों पुरानी हो. लेकिन आज तक इस पर कोई शोध नहीं हुआ है. वहीं, राज्य सरकार ने भी कभी इन मूर्तियों की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को तलाशने का प्रयास नहीं किया. स्थिति यह है कि खुले आसमान में रखी मूर्ति का क्षरण हो रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं कि श्रद्धालु इस मंदिर परिसर में बिखरे देवी- देवताओं की मूर्तियों को देख काफी दुखित होते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस मंदिर पर ध्यान देती है तो मंदिर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो जाएगी.

शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन कहते हैं कि मंदिर को विकसित करने को लेकर लंबे समय से लगे हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम हुआ है. उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से चरणबद्ध तरीके से योजनाओं का क्रियान्वयन भी करवा रहे हैं. काले पत्थरों की मूर्तियां पर शोध हो. इसको लेकर शीघ्र ही प्रयास करेंगे.

दुमकाः झारखंड सरकार अपने ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में गंभीर नहीं है. यही वजह है कि काठीकुंड प्रखंड के दानीनाथ मंदिर परिसर में काले पत्थरों से निर्मित बेशकीमती और दुर्लभ मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं. इन मूर्तियों को संरक्षित करने के बदले जैसे-तैसे रख दिया गया है.

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झारखंड की उपराजधानी दुमका जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर पाकुड़ जाने वाली मुख्य सड़क पर स्थित काठीकुंड प्रखंड में भगवान शिव का दानीनाथ मंदिर है. दानीनाथ मंदिर में भगवान शिव के साथ साथ माता पार्वती, मां काली, भगवान गणेश और भगवान हनुमान सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं. यहां श्रद्धालुओं की असीम श्रद्धा हैं. यही वजह है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु रोजाना पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में भव्य मेला का आयोजन होता है.

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मंदिर परिसर में काफी संख्या में काले पत्थर से निर्मित देवी-देवताओं की मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां बिखरी पड़ी हैं. इस परिसर में बिखरे मूर्तियों को देखकर खुला संग्रहालय भी कह सकते हैं. बताया जाता है कि ये सब मूर्तियां सदियों पुरानी और गुप्तकालीन संस्कृति से जुड़ी हुई हैं. इतिहासकार पंडित अनूप कुमार वाजपेयी कहते हैं कि मंदिर परिसर में रखी गई मूर्तियां कई काल खंडों की हैं, जो ढाई सौ साल से लेकर हजारों साल पुरानी हैं. उन्होंने कहा कि इन मूर्तियों को सहेजने को लेकर आज तक कोई पहल नहीं की गई है.

मंदिर परिसर की मूर्तियां भले सदियों पुरानी हो. लेकिन आज तक इस पर कोई शोध नहीं हुआ है. वहीं, राज्य सरकार ने भी कभी इन मूर्तियों की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को तलाशने का प्रयास नहीं किया. स्थिति यह है कि खुले आसमान में रखी मूर्ति का क्षरण हो रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं कि श्रद्धालु इस मंदिर परिसर में बिखरे देवी- देवताओं की मूर्तियों को देख काफी दुखित होते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस मंदिर पर ध्यान देती है तो मंदिर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो जाएगी.

शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन कहते हैं कि मंदिर को विकसित करने को लेकर लंबे समय से लगे हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम हुआ है. उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से चरणबद्ध तरीके से योजनाओं का क्रियान्वयन भी करवा रहे हैं. काले पत्थरों की मूर्तियां पर शोध हो. इसको लेकर शीघ्र ही प्रयास करेंगे.

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