दुमकाः भारत का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ धाम जहां पूरे वर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाती है. देश के सभी कोने से शिवभक्त यहां पहुंचते हैं और भोले बाबा की पूजा अर्चना करते हैं. इन श्रद्धालुओं के आने से ही यहां के पंडा समाज के लोगों की आजीविका चलती है. जो भी भक्त यहां शिवलिंग पर जलार्पण के लिए आते हैं वे पूजा संपन्न होने के बाद अपने पुरोहित को दक्षिणा स्वरूप कुछ रुपए दे जाते हैं. जिससे उनका घर चलता है. अब यहां परेशानी यह हो रही है कि पिछले लगभग 4 महीने से मंदिर बंद है. 3 महीने तक लॉकडाउन रहा और इस वर्ष श्रावणी मेला आयोजित नहीं हुआ. इससे पंडा समाज के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. मंदिर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यहां तक कि पवित्र शिवगंगा जहां पर लोग स्नान कर अपने पुरोहित से गंगा जल का संकल्प कराते थे उसमें पुलिस का पहरा है. बासुकीनाथ के पंडा समाज की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है.
बासुकीनाथ मंदिर लगभग पांच सौ पंडा परिवार मंदिर पर ही निर्भर है. यहां पूजा अर्चना कराने वाले पुरोहितों से पता चला की लॉकडाउन के कारण यहां की स्थिति अत्यंत नाजुक है. एक बुजुर्ग पंडा नवल किशोर ठाकुर बातचीत के दौरान रो पड़े. उन्होंने कहा कि घर की स्थिति काफी खराब है. भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है. वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. इसके साथ ही वे बाबा बासुकीनाथ से भी यह गुहार लगा रहे हैं कि इस कोरोना महामारी को वे अपनी जटा में लपेट लें. उनका कहना है कि मनुष्य के द्वारा जो प्रयास किया जाएगा वह तो किया जाएगा ऐसे समय में भगवान भी रहम करें. इधर रामकृष्ण मिश्र और मिथिलेश कुमार जो बासुकीनाथ के पुरोहित है उनका कहना है कि हमारी स्थिति भी अच्छी नहीं है. आमदनी तो शून्य हो गई है. वहीं पंडितों का कहना है कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी सराहनीय है. लोगों को कोरोना से बचाने के लिए ही सरकार ने मंदिर बंद कराया है, श्रावणी मेला नहीं लगाया जिसका सब स्वागत करते हैं, क्योंकि जान है तो जहान है.
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क्या कहते हैं उपायुक्त
इस संबंध में उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि मंदिर न्यास बोर्ड के तरफ जो सूची सौंपी गई थी और उसके अनुसार उन्हें मदद भी पहुंचाया गया है. इसके साथ ही साथ उन्होंने कहा कि मंदिर में कुछ ऐसी भी व्यवस्था की जा रही है ताकि स्थाई तौर पर पंडा समाज को लाभ मिल सके. राजेश्वरी बी ने यह भी आश्वासन दिया कि अगर पंडा समाज के हित में कोई और बेहतर कदम उठाया जा सकता है तो इस पर भी विचार किया जाएगा.
चार महीने से मंदिर बंद होने के कारण पुरोहित इससे काफी परेशान है. उनमें से कुछ मानते हैं कि महामारी में यह जरूरी भी था. यहां काफी संख्या में वैसे लोगों की भी है जिनकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल चरमरा गई है. उनका हाल बुरा है. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि इस पंडा समाज के लोगों के टच में रहे और जिन्हें मदद की जरूरत है उनके लिए हरसंभव सहायता करें.