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दुमका में ऑनलाइन पढ़ाई का क्या है हाल, क्या रहा मलाल, ईटीवी भारत ने की पड़ताल

ऑनलाइन पढ़ाई में कई तरह की परेशानियां हो रही है. ऑनलाइन पढ़ाई का सबसे बड़ा दुश्मन यहां नेटवर्क है. ऐसे में दुमका में स्ट्रॉग नेटवर्क होना जरूरी है. वहीं अभिभावकों का फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन से अनबन भी जारी है. हलांकि कुछ अभिभावक इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ इसका विरोध भी कर रहे हैं, तो आइये जानते हैं दुमका में क्या है ऑनलाइन पढ़ाई का हाल.

Parents opinion on online education in dumka
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Published : Jul 30, 2020, 4:44 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 5:17 PM IST

दुमकाः इस साल मार्च महीने से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद से तमाम विद्यालय बंद है. शुरुआत में तो काफी दिनों तक स्कूल बंद रहे और शैक्षणिक कार्य ठप रहे लेकिन बाद में निजी स्कूलों ने निर्णय लिया कि विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी. हालांकि अभी भी स्कूल बंद ही है लेकिन अभिवावकों को कहा गया कि आप अपने बच्चे को स्मार्टफोन-लैपटॉप उपलब्ध कराएं. स्कूलों ने अपने शिक्षकों को कहा कि आप अपने स्टूडेंट्स के साथ ग्रुप बना ले और फिर उसपर लर्निंग मेटेरियल भेज कर पढ़ाई शुरू कराएं. इधर पढ़ाई शुरू होने के बाद स्कूल प्रबंधन अभिवावकों से फीस जमा करने की बात कह रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
सुबह 9 बजे से शुरू होती है ऑनलाइन क्लास

दुमका में ऑनलाइन पढ़ाई अब बच्चों की आदत में शुमार हो गई है. बच्चे जिस तरह स्कूल जाने के लिए तैयार होते थे उसी प्रकार तैयार होकर वे मोबाइल लेकर पढ़ने बैठ जा रहे हैं. बच्चों का कहना है कि जिस तरह कोरोना काल में स्कूल बंद है तो ऑनलाइन पढ़ाई से हम काम चला रहे हैं. स्कूल वाली पढ़ाई तो नहीं हो पा रही है, लेकिन पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं घर के अन्य छोटे बच्चे थोड़ी देर फोन पर ही गेम खेल कर अपना मनोरंजन कर लेते हैं.

नेटवर्क से परेशान हैं स्टूडेंट्स

बता दें कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सबसे जरूरी है बेहतर मोबाईल नेटवर्क. दुमका के मोबाइल नेटवर्क की स्थिति बेहद खराब है. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई करना काफी मुश्किल हो जाता है.

ये भी पढ़ें- कोविड 19 की जद में पुलिसिया सिस्टम, जवानों की ड्यूटी पर कोरोना का डंक

क्या है अभिवावकों की राय

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अभिवावकों से बात की तो किसी ने इस आधुनिक तरीके से पढ़ाई की सराहना की तो किसी ने कहा कि इसके लिए हमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदने पड़े जो इस लॉकडाउन की स्थिति में काफी परेशानी दे गया. यहां एक बात खास यह है कि स्कूलों द्वारा अब फीस की मांगा की जा रही है. पहले कुछ अभिवावकों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन फिर उन्होंने फीस भी भरा. वैसे अभी भी कुछ गार्जियन इसका विरोध कर रहे हैं.

क्या कहते हैं स्कूल संचालक

ऑनलाइन पढ़ाई और फीस को लेकर स्कूल संचालक का कहना है कि उन्होंने स्कूल बंद कर रखा है. क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. स्कूल खोल नहीं सकते हैं, इसलिए यह उपाय निकाला गया जो काफी सक्सेसफुल है. जहां तक फीस लेने की बात है तो फीस नहीं मिलने से स्कूल टीचर को सैलरी नहीं मिल पाएगी. ऐसे में उनका परिवार कैसे चलेगा इसलिये यह फिस की मांग की गई है.

ये भी पढे़ं- अद्भुत है यह संग्रह, 50 देशों के सिक्कों का कलेक्शन और 20 देशों के माचिस बॉक्स देखकर लोग हो जाते हैं हैरान


क्या कहते हैं जिला शिक्षा अधिकारी

इस पूरे मामले में दुमका की जिला शिक्षा अधिकारी पूनम कुमारी से बात की गई. उन्होंने कहा कि सरकार का इस संबंध में गाइड लाइन आई है कि निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेना है और किसी भी तरह का कोई अन्य फीस नहीं लेना है. कंप्यूटर या वाहन शुल्क नहीं लेना है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में निर्देश यह भी है कि स्कूल के प्रबंधन ने ऑनलाइन पढ़ाई से जिन बच्चों को जोड़ा है उसी से वे फीस ले सकते हैं. डीईओ कहती हैं कि अगर इन नियमों का कहीं उल्लंघन होता है तो उनके पास शिकायत करें कार्रवाई जरूर होगी.


बहरहाल, अब इन समस्याओं का एकमात्र स्थायी हल तो यही है कि कोरोना संकट समाप्त हो, ताकि स्कूल प्रबंधन और गार्जियन में जो तकरार है वह समाप्त हो सके. लेकिन जब तक यह स्थिति नहीं आती है तब तक सरकार को चाहिए कि इस मामले पर पैनी नजर बनाए रखे.

दुमकाः इस साल मार्च महीने से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद से तमाम विद्यालय बंद है. शुरुआत में तो काफी दिनों तक स्कूल बंद रहे और शैक्षणिक कार्य ठप रहे लेकिन बाद में निजी स्कूलों ने निर्णय लिया कि विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी. हालांकि अभी भी स्कूल बंद ही है लेकिन अभिवावकों को कहा गया कि आप अपने बच्चे को स्मार्टफोन-लैपटॉप उपलब्ध कराएं. स्कूलों ने अपने शिक्षकों को कहा कि आप अपने स्टूडेंट्स के साथ ग्रुप बना ले और फिर उसपर लर्निंग मेटेरियल भेज कर पढ़ाई शुरू कराएं. इधर पढ़ाई शुरू होने के बाद स्कूल प्रबंधन अभिवावकों से फीस जमा करने की बात कह रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
सुबह 9 बजे से शुरू होती है ऑनलाइन क्लास

दुमका में ऑनलाइन पढ़ाई अब बच्चों की आदत में शुमार हो गई है. बच्चे जिस तरह स्कूल जाने के लिए तैयार होते थे उसी प्रकार तैयार होकर वे मोबाइल लेकर पढ़ने बैठ जा रहे हैं. बच्चों का कहना है कि जिस तरह कोरोना काल में स्कूल बंद है तो ऑनलाइन पढ़ाई से हम काम चला रहे हैं. स्कूल वाली पढ़ाई तो नहीं हो पा रही है, लेकिन पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं घर के अन्य छोटे बच्चे थोड़ी देर फोन पर ही गेम खेल कर अपना मनोरंजन कर लेते हैं.

नेटवर्क से परेशान हैं स्टूडेंट्स

बता दें कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सबसे जरूरी है बेहतर मोबाईल नेटवर्क. दुमका के मोबाइल नेटवर्क की स्थिति बेहद खराब है. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई करना काफी मुश्किल हो जाता है.

ये भी पढ़ें- कोविड 19 की जद में पुलिसिया सिस्टम, जवानों की ड्यूटी पर कोरोना का डंक

क्या है अभिवावकों की राय

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अभिवावकों से बात की तो किसी ने इस आधुनिक तरीके से पढ़ाई की सराहना की तो किसी ने कहा कि इसके लिए हमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदने पड़े जो इस लॉकडाउन की स्थिति में काफी परेशानी दे गया. यहां एक बात खास यह है कि स्कूलों द्वारा अब फीस की मांगा की जा रही है. पहले कुछ अभिवावकों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन फिर उन्होंने फीस भी भरा. वैसे अभी भी कुछ गार्जियन इसका विरोध कर रहे हैं.

क्या कहते हैं स्कूल संचालक

ऑनलाइन पढ़ाई और फीस को लेकर स्कूल संचालक का कहना है कि उन्होंने स्कूल बंद कर रखा है. क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. स्कूल खोल नहीं सकते हैं, इसलिए यह उपाय निकाला गया जो काफी सक्सेसफुल है. जहां तक फीस लेने की बात है तो फीस नहीं मिलने से स्कूल टीचर को सैलरी नहीं मिल पाएगी. ऐसे में उनका परिवार कैसे चलेगा इसलिये यह फिस की मांग की गई है.

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क्या कहते हैं जिला शिक्षा अधिकारी

इस पूरे मामले में दुमका की जिला शिक्षा अधिकारी पूनम कुमारी से बात की गई. उन्होंने कहा कि सरकार का इस संबंध में गाइड लाइन आई है कि निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेना है और किसी भी तरह का कोई अन्य फीस नहीं लेना है. कंप्यूटर या वाहन शुल्क नहीं लेना है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में निर्देश यह भी है कि स्कूल के प्रबंधन ने ऑनलाइन पढ़ाई से जिन बच्चों को जोड़ा है उसी से वे फीस ले सकते हैं. डीईओ कहती हैं कि अगर इन नियमों का कहीं उल्लंघन होता है तो उनके पास शिकायत करें कार्रवाई जरूर होगी.


बहरहाल, अब इन समस्याओं का एकमात्र स्थायी हल तो यही है कि कोरोना संकट समाप्त हो, ताकि स्कूल प्रबंधन और गार्जियन में जो तकरार है वह समाप्त हो सके. लेकिन जब तक यह स्थिति नहीं आती है तब तक सरकार को चाहिए कि इस मामले पर पैनी नजर बनाए रखे.

Last Updated : Jul 30, 2020, 5:17 PM IST
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