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संथाल परगना प्रमंडल में नहीं है एक भी ट्रॉमा सेंटर, सड़क हादसे में घायल लोगों को नहीं मिलता समुचित इलाज

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Published : Jun 1, 2022, 5:27 PM IST

संथाल परगना प्रमंडल में एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है. इससे सड़क हादसे में घायल मरीजों को आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाती है. स्थिति यह है कि बेहतर चिकित्सीय सुविधा के अभाव में लोगों को जान गवानी पड़ रही है.

Santhal Pargana division
संथाल परगना प्रमंडल में नहीं है एक भी ट्रॉमा सेंटर

दुमकाः दुमका सहित संथाल परगना प्रमंडल में आए दिन सड़क हादसे में लोग घायल हो रहे हैं. इसमें कई लोगों को समुचित इलाज के अभाव में जान गंवानी पड़ती है. इसकी वजह है कि संथाल परगाना प्रमंडल में एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है. ट्रॉमा सेंटर के अभाव में घायल मरीजों को आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाती है.

यह भी पढ़ेंःवाह रे रिम्स! पुराने इमरजेंसी में मरीजों के लिए बेड नहीं, ट्रॉमा सेंटर के हाईटेक व्यवस्था में मरीज नहीं

संथाल परगना प्रमंडल में दुमका, देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज और गोड्डा जिले हैं. इन जिलों के एक भी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही सुपरस्पेशियलिटी ट्रॉमा सेंटर है. इस स्थिति में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को सिर्फ प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. इससे बेहतर अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान चली जाती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

अगर हम आंकड़ों की बात करें तो दुमका जिले में पिछले 1 वर्ष में 180 लोगों की सड़क दुर्घटना में जान गई है. वहीं, घायलों की संख्या पांच सौ से अधिक हैं. संथाल परगना प्रमंडल में मौत का आंकड़ा 600 से अधिक है. इस स्थिति में सभी जिलों में ट्रॉमा सेंटर स्थापित हो जाये तो निश्चित रूप से मौत का आंकड़ा घटेगा.

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति लचर है. उन्होंने कहा कि दुमका में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई तो देवघर में एम्स बना. लेकिन अभी तक इन अस्पतालों में ट्रामा सेंटर नहीं है. क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ अनंत कुमार झा ने बताया कि इस प्रमंडल के सभी जिलों में ट्रॉमा सेंटर बनाने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं.


दुमका के सरैयाहाट प्रखंड के हंसडीहा में दो साल पहले 22 करोड़ की लागत से अस्पताल बनाने का काम शुरू किया गया. लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो सका. इस निर्माणाधीन अस्पताल को ट्रॉमा सेंटर बना दिया जाये तो दुमका के साथ साथ गोड्डा, देवघर और बिहार के बांका जिले के लोगों को लाभ मिलेगा.

दुमकाः दुमका सहित संथाल परगना प्रमंडल में आए दिन सड़क हादसे में लोग घायल हो रहे हैं. इसमें कई लोगों को समुचित इलाज के अभाव में जान गंवानी पड़ती है. इसकी वजह है कि संथाल परगाना प्रमंडल में एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है. ट्रॉमा सेंटर के अभाव में घायल मरीजों को आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाती है.

यह भी पढ़ेंःवाह रे रिम्स! पुराने इमरजेंसी में मरीजों के लिए बेड नहीं, ट्रॉमा सेंटर के हाईटेक व्यवस्था में मरीज नहीं

संथाल परगना प्रमंडल में दुमका, देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज और गोड्डा जिले हैं. इन जिलों के एक भी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही सुपरस्पेशियलिटी ट्रॉमा सेंटर है. इस स्थिति में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को सिर्फ प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. इससे बेहतर अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान चली जाती है.

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अगर हम आंकड़ों की बात करें तो दुमका जिले में पिछले 1 वर्ष में 180 लोगों की सड़क दुर्घटना में जान गई है. वहीं, घायलों की संख्या पांच सौ से अधिक हैं. संथाल परगना प्रमंडल में मौत का आंकड़ा 600 से अधिक है. इस स्थिति में सभी जिलों में ट्रॉमा सेंटर स्थापित हो जाये तो निश्चित रूप से मौत का आंकड़ा घटेगा.

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति लचर है. उन्होंने कहा कि दुमका में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई तो देवघर में एम्स बना. लेकिन अभी तक इन अस्पतालों में ट्रामा सेंटर नहीं है. क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ अनंत कुमार झा ने बताया कि इस प्रमंडल के सभी जिलों में ट्रॉमा सेंटर बनाने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं.


दुमका के सरैयाहाट प्रखंड के हंसडीहा में दो साल पहले 22 करोड़ की लागत से अस्पताल बनाने का काम शुरू किया गया. लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो सका. इस निर्माणाधीन अस्पताल को ट्रॉमा सेंटर बना दिया जाये तो दुमका के साथ साथ गोड्डा, देवघर और बिहार के बांका जिले के लोगों को लाभ मिलेगा.

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