दुमका: प्रशासनिक पदाधिकारी किसी गंभीर मामले को कितने हल्के में लेते हैं इसका उदाहरण दुमका का विजयपुर पुल है. अभियंताओं के द्वारा जांच के बाद इस पुल को क्षतिग्रस्त घोषित किया गया है. इसके बाद प्रशासन ने पुल के दोनों ओर बोर्ड लगाकर भारी वाहनों के आवागमन पर रोग लगा दी, लेकिन पुल पर भारी वाहनों का परिचालन हो रहा है या नहीं इसे देखने के लिए कोई भी पदाधिकारी या कर्मी या पुलिस वालों को इस ड्यूटी पर नहीं लगाया.
क्या कहते हैं ग्रामीण ?
वर्तमान में स्थिति यह है कि जिस पुल को प्रशासन ने जर्जर घोषित किया है, उस पर सैकड़ों भारी वाहन प्रतिदिन चल रहे हैं. जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना बढ़ती जा रही है. विजयपुर पुल के आसपास के ग्रामीण और आवागमन करने वाले लोग कहते हैं कि पूल क्षतिग्रस्त है प्रशासन ने सिर्फ बोर्ड लगाकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. जबकि यहां से आने-जाने में काफी खतरा महसूस होता है.
ये भी पढ़ें- जरमुंडी सीट पर LJP ने ठोकी दावेदारी, चिराग पासवान आज भरेंगे हुंकार
सत्तारूढ़ दल प्रशासन के गलती पर डाल रहा है पर्दा
लोगों का कहना है कि सिर्फ बोर्ड लगाने से काम नहीं चलेगा प्रशासन इसके लिए आदमी रखे, जो पुल पर भारी वाहनों के प्रवेश को रोकने का काम करें. इसके साथ ही इस पुल की जल्द से जल्द मरम्मती पर ठोस पहल की जाए. प्रशासन ने बोर्ड तो लगा दिया है कि भारी वाहन का परिचालन नहीं हो पर ठीक उसके बगल से सैकड़ों वाहन गुजरते नजर आ रहे हैं. प्रशासन के इस लापरवाही पर सत्तारूढ़ दल भाजपा के दुमका जिलाध्यक्ष निवास मंडल पर्दा डालते नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि बोर्ड लगाकर प्रशासन ने गंभीरता दिखाई है और अब मरम्मत की दिशा में पहल करेंगे.
कब खुलेगी प्रशासन की नींद ?
जब प्रशासन के अभियंताओं ने ही पुल जांच कर उसे क्षतिग्रस्त घोषित किया और भारी वाहनों के चलने योग्य नहीं पाया फिर भी अगर इस पर भारी वाहन चल रहे हैं. तो जाहिर है कि किसी भी दिन कोई बड़ी दुर्घटना होगी. शायद प्रशासन की नींद तब ही खुल सके.