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वज्रपात से दुमका में पिछले 2 सालों में 12 से अधिक की गई जान, जानें इससे कैसे बचें और क्या है सरकारी प्रावधान - What is provision after death of thunderclap in Dumka

झारखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है. जिसके बाद कई सूखी नदियां और तालाब में फिर से पानी की धाराएं बहती नजर आएंगी. मानसून के आते ही एक ओर लोगों का चेहरा खुशी से खिल उठता हैं तो वहीं दूसरी ओर वज्रपात से लोगों की मौत के मामले भी सामने आते हैं. जिससे बचने को लेकर विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए है.

12 people died of thunderclap in Dumka in last 2 years
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Published : Jun 18, 2020, 12:40 PM IST

दुमकाः बारिश के मौसम में एक ओर जहां सूखी नदियों, तालाब में जान आ जाती है, किसानों के चेहरे खिल जाते हैं, वहीं वज्रपात की भी संभावना काफी बढ़ जाती है. वज्रपात से जानमाल का काफी नुकसान होता है, लेकिन दुमका जिले की बात करें तो पिछले दो वर्षों में 12 से अधिक लोगों की जान वज्रपात से गई है. काफी संख्या में इससे मवेशियों की भी मौत हुई है. हालांकि झारखंड सरकार ने इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए मुआवजे का प्रावधान कर दिया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

उपायुक्त दुमका राजेश्वरी बी ने दी जानकारी

वज्रपात को लेकर डीसी ने सरकारी प्रावधान के बारे में बताया कि वज्रपात से एक व्यक्ति की मौत पर चार लाख रुपये देने का प्रावधान है, जबकि घरेलू मवेशी गाय वगैरह के लिए 25 हजार रुपये दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 10 लोगों की जान वज्रपात से गई थी. उन मृतकों के परिजनों के बैंक खाते में राशि का ट्रांसफर किया जा चुका है. इस वर्ष 2 लोगों ने वज्रपात से जान गवाई है. इनके मुआवजे की राशि देना प्रक्रियाधीन है. इसके साथ ही उपायुक्त ने बताया कि वज्रपात से बचने के लिए जो तौर- तरीके हैं. उसका प्रचार-प्रसार हम ब्लॉक स्तर पर करते हैं. गांव-गांव तक होर्डिंग -पोस्टर और अन्य माध्यमों से लोगों को जागरुक करते हैं.

क्या कहना है विशेषज्ञों का

वज्रपात को लेकर हमने सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विशेषज्ञ डॉ रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि संथालपरगना का जो इलाका है वह पहाड़ी इलाका है. ऐसे इलाकों में वज्रपात की संभावना बनी रहती है. उन्होंने कहा कि वज्रपात से बचने के लिए हमें सतर्क और सावधान रहना चाहिए. इसमें सबसे जरूरी है कि जब बारिश शुरू हुई तो आप खुले मैदान-खेतों में न जाएं. जलाशयों में भी जाने से बचें. साथ ही साथ ऊंचे पेड़ है उसके नीचे तो बिल्कुल खड़ा न रहे. डॉ रंजीत कुमार सिंह कहते हैं कि आप पक्के मकान में रहे और जो मकान में बिजली के उपकरण है उसका बिजली काट दें, क्योंकि वज्रपात के समय बिजली उपकरणों में शॉर्ट सर्किट की भी संभावना रहती है, जिससे आग लग सकता है.

ये भी पढ़ें- रांची में आज शाम को होगी UPA घटक दल की बैठक, कांग्रेस पर्यवेक्षक पीएल पुनिया भी रहेंगे मौजूद

क्या कहते हैं दुमका मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक

दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ दिलीप केसरी ने बताया कि वज्रपात से घायल व्यक्ति के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पूर्ण व्यवस्था है. इसमें लगभग वही इलाज होता है जो आग से झुलसे व्यक्ति का होता है.

सतर्कता और सावधानी से ही बचाव

वज्रपात जैसे प्राकृतिक आपदा से पूर्ण सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय अब तक सामने नहीं आया है. ऐसे में हम इससे सतर्क और सावधान रहकर ही अपनी जान माल की रक्षा कर सकते हैं.

दुमकाः बारिश के मौसम में एक ओर जहां सूखी नदियों, तालाब में जान आ जाती है, किसानों के चेहरे खिल जाते हैं, वहीं वज्रपात की भी संभावना काफी बढ़ जाती है. वज्रपात से जानमाल का काफी नुकसान होता है, लेकिन दुमका जिले की बात करें तो पिछले दो वर्षों में 12 से अधिक लोगों की जान वज्रपात से गई है. काफी संख्या में इससे मवेशियों की भी मौत हुई है. हालांकि झारखंड सरकार ने इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए मुआवजे का प्रावधान कर दिया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

उपायुक्त दुमका राजेश्वरी बी ने दी जानकारी

वज्रपात को लेकर डीसी ने सरकारी प्रावधान के बारे में बताया कि वज्रपात से एक व्यक्ति की मौत पर चार लाख रुपये देने का प्रावधान है, जबकि घरेलू मवेशी गाय वगैरह के लिए 25 हजार रुपये दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 10 लोगों की जान वज्रपात से गई थी. उन मृतकों के परिजनों के बैंक खाते में राशि का ट्रांसफर किया जा चुका है. इस वर्ष 2 लोगों ने वज्रपात से जान गवाई है. इनके मुआवजे की राशि देना प्रक्रियाधीन है. इसके साथ ही उपायुक्त ने बताया कि वज्रपात से बचने के लिए जो तौर- तरीके हैं. उसका प्रचार-प्रसार हम ब्लॉक स्तर पर करते हैं. गांव-गांव तक होर्डिंग -पोस्टर और अन्य माध्यमों से लोगों को जागरुक करते हैं.

क्या कहना है विशेषज्ञों का

वज्रपात को लेकर हमने सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विशेषज्ञ डॉ रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि संथालपरगना का जो इलाका है वह पहाड़ी इलाका है. ऐसे इलाकों में वज्रपात की संभावना बनी रहती है. उन्होंने कहा कि वज्रपात से बचने के लिए हमें सतर्क और सावधान रहना चाहिए. इसमें सबसे जरूरी है कि जब बारिश शुरू हुई तो आप खुले मैदान-खेतों में न जाएं. जलाशयों में भी जाने से बचें. साथ ही साथ ऊंचे पेड़ है उसके नीचे तो बिल्कुल खड़ा न रहे. डॉ रंजीत कुमार सिंह कहते हैं कि आप पक्के मकान में रहे और जो मकान में बिजली के उपकरण है उसका बिजली काट दें, क्योंकि वज्रपात के समय बिजली उपकरणों में शॉर्ट सर्किट की भी संभावना रहती है, जिससे आग लग सकता है.

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क्या कहते हैं दुमका मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक

दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ दिलीप केसरी ने बताया कि वज्रपात से घायल व्यक्ति के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पूर्ण व्यवस्था है. इसमें लगभग वही इलाज होता है जो आग से झुलसे व्यक्ति का होता है.

सतर्कता और सावधानी से ही बचाव

वज्रपात जैसे प्राकृतिक आपदा से पूर्ण सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय अब तक सामने नहीं आया है. ऐसे में हम इससे सतर्क और सावधान रहकर ही अपनी जान माल की रक्षा कर सकते हैं.

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