दुमकाः झारखंड सरकार जनहित में योजनाएं बनाती है. इन योजनाओं पर कोरोड़ों रुपये आवंटित भी करती है, ताकि निर्धारित समय से योजनाएं पूरी होने के साथ साथ लोगों को लाभ मिलना शुरू हो जाए. लेकिन मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं होने से योजनाएं निर्धारित समय से धरातल पर नहीं उतरती है. इसका बड़ा उदाहरण दुमका का खेलगांव है. खेलगांव का निर्माण कार्य 10 वर्ष पहले शुरू किया गया, जो अब तक तैयार नहीं हो सका है. स्थिति यह है कि खेलगांव के अभाव में जिले के खिलाड़ी काफी परेशान हैं.
झारखंड की उपराजधानी दुमका के जामा प्रखंड, जहां साल 2012 में लगभग 5 करोड़ की लागत से खेलगांव का निर्माण कार्य शुरू किया गया. इस खेलगांव परिसर में एथलेटिक्स, फुटबॉल सहित कई आउटडोर खेलों की व्यवस्था की जानी है, जहां खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के साथ साथ खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन की व्यवस्था की जानी है. लेकिन 10 साल के बाद भी बिल्डिंग आधा-अधूरा और परिसर उबड़-खाबड़ स्थिति में है.
यह खेलगांव दुमका-मसालिया रोड पर स्थित विजयपुर गांव के समीप बन रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि खेलगांव बनना शुरू हुआ तो काफी खुशी हुई. इस खेलगांव के जरिए आसपास के गांवों में खेल का माहौल बनता और खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण मिलता. उन्होंने कहा कि खेलगांव में टूर्नामेंट का आयोजन होता तो स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता. लेकिन खेलगांव का निर्माण कार्य आधा-अधूरा ही है. हालांकि, खेल मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि खेलगांव के अधूरे निर्माण की जानकारी है. इस खेलगांव के निर्माण कार्य शीघ्र पूरा कराएंगे.