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बासुकीनाथ मंदिर में हुआ हरि का हर से मिलन, उपायुक्त ने की कोहबर की रस्म

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Published : Mar 19, 2022, 7:01 AM IST

Updated : Mar 19, 2022, 7:19 AM IST

बासुकीनाथ मंदिर में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार हरि और हर का मिलन कराया गया. परंपरा को निभाते हुए उपायुक्त दुमका रविशंकर शुक्ला अपनी पत्नी के साथ मिलकर कोहबर रस्म को पूरा किया. बासुकीनाथ मंदिर में परंपरा के अनुसार हरिहर मिलन और कोहबर की रस्म में भाग लेने स्थानीय के साथ-साथ दूरदराज से भी काफी श्रद्धालु आते हैं और इस परंपरा के गवाह बनते हैं.

Hari meets Har at Baba Basukinath Temple
Hari meets Har at Baba Basukinath Temple

दुमका: बासुकीनाथ मंदिर में फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी. मंदिर के पंडा पुरोहितों ने मंदिर में हरि और हर का मिलन समारोह मनाया. इस मौके पर दुमका उपायुक्त ने कोहबर पूजा की रस्म की.


बर्षो से चली आ रही परंपरा के अनुसार बासुकीनाथ धाम में हरिहर मिलन कराया गया. मंदिर के पुजारी दिवाकर झा ने बताया कि फागुन मास की पूर्णिमा को हरि यानि बिष्णु भगवान का महादेव से मिलन हुआ था. उसी परंपरा के अनुसार हरिहर मिलन उत्सव मनाया गया. मंदिर के मुख्य पुजारी सदाशिव पंडा ने बताया कि बरसों से चली आ रही है परंपरा के अनुसार चोठारी के दिन मंदिर मे कोहबर की पूजा की जाती है, उसी परंपरा को निभाते हुए उपायुक्त दुमका रविशंकर शुक्ला ने अपनी पत्नी के साथ कोहबर की पूजा की और परंपरा को निभाया.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: बासुकीनाथ मंदिर में जारी रहेगी स्पर्श पूजा, पंडा-पुरोहितों के विरोध पर प्रशासन ने हटाया अर्घा

क्या है हरि-हर मिलन के बारे में मान्यता: धर्मशास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन मास पूर्णिमा के अवसर पर ही रावण द्वारा महादेव को लंका ले जाने के क्रम में लघुशंका का एहसास हुआ. इससे निवृत्त होने के लिए ग्वाले के रूप में खड़े भगवान विष्णु यानी हरि के हाथ में कुछ समय के लिए शिवलिंग को पकड़ा दिया. हरि ने शिवलिंग लेने के बाद लघुशंका में बैठे रावण की परवाह किये बिना अपने हाथों से स्थापित कर दिया. मान्यता के अनुसार, तभी से हरि एवं हर का मिलन इस खास तिथि पर शुरू की गई जो आज तक जारी है.

दुमका: बासुकीनाथ मंदिर में फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी. मंदिर के पंडा पुरोहितों ने मंदिर में हरि और हर का मिलन समारोह मनाया. इस मौके पर दुमका उपायुक्त ने कोहबर पूजा की रस्म की.


बर्षो से चली आ रही परंपरा के अनुसार बासुकीनाथ धाम में हरिहर मिलन कराया गया. मंदिर के पुजारी दिवाकर झा ने बताया कि फागुन मास की पूर्णिमा को हरि यानि बिष्णु भगवान का महादेव से मिलन हुआ था. उसी परंपरा के अनुसार हरिहर मिलन उत्सव मनाया गया. मंदिर के मुख्य पुजारी सदाशिव पंडा ने बताया कि बरसों से चली आ रही है परंपरा के अनुसार चोठारी के दिन मंदिर मे कोहबर की पूजा की जाती है, उसी परंपरा को निभाते हुए उपायुक्त दुमका रविशंकर शुक्ला ने अपनी पत्नी के साथ कोहबर की पूजा की और परंपरा को निभाया.

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क्या है हरि-हर मिलन के बारे में मान्यता: धर्मशास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन मास पूर्णिमा के अवसर पर ही रावण द्वारा महादेव को लंका ले जाने के क्रम में लघुशंका का एहसास हुआ. इससे निवृत्त होने के लिए ग्वाले के रूप में खड़े भगवान विष्णु यानी हरि के हाथ में कुछ समय के लिए शिवलिंग को पकड़ा दिया. हरि ने शिवलिंग लेने के बाद लघुशंका में बैठे रावण की परवाह किये बिना अपने हाथों से स्थापित कर दिया. मान्यता के अनुसार, तभी से हरि एवं हर का मिलन इस खास तिथि पर शुरू की गई जो आज तक जारी है.

Last Updated : Mar 19, 2022, 7:19 AM IST
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