दुमकाः सरकारी संपत्ति का किस कदर दुरुपयोग होता है इसका नमूना उपराजधानी में देखा जा सकता है. दुमका शहर के बीचो-बीच निजी बस पड़ाव के समीप सरकारी कर्मचारियों के लिए बने लगभग तीन दर्जन क्वार्टर प्रशासनिक अनदेखी की वजह से खंडहर के रूप में तब्दील हो गये हैं. इसका फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं और उन्होंने कई सरकारी क्वार्टर को अपना आशियाना बना लिया है.
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सरकारी कर्मी आवास की बदहाली से परेशानः दुमका में अत्यंत कीमती भूखंड पर तीन दर्जन सरकारी आवास बनाये गए थे. कई वर्षों तक तो यह गुलजार रहा लेकिन प्रशासनिक अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे इन आवासों की स्थिति जर्जर होने लगी है. वर्तमान समय में तो अधिकांश आवास खंडहर के रूप में तब्दील हो चुके हैं. वहीं अभी भी कई ऐसे क्वार्टर हैं जिसमें सरकारी कर्मचारी रहते तो हैं पर आवास की दयनीय स्थिति से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. वायरिंग और छत की जर्जर स्थिति से अनहोनी की आशंका बनी रहती है.
क्या कहते हैं कर्मचारीः हमने इस सरकारी आवासों में रहने वाले कर्मियों और उनके परिजनों से बात की. उन्होंने बताया कि हमारा आवास बिल्कुल जर्जर हो चुका है. बरसात के दिनों में तो स्थिति और बदतर हो जाती है. चारों तरफ से छत और दीवाक फटे हुए हैं. जिससे पानी अंदर आता है. वे कहते हैं कि प्रशासन इस पर ध्यान दे और जल्द से जल्द इन आवासों की मरम्मत कराए. जिससे कि उनकी परेशानी दूर हो.
असामाजिक तत्वों ने बनाया अपना आशियानाः जिन आवासों में सरकारी कर्मियों ने रहना छोड़ दिया है, उन पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा कर लिया है. इससे भी लोगों को परेशानी हो रही है. इधर असामाजिक तत्वों को पता है कि इसे देखने वाला कोई नहीं, तो वे इसके दरवाजे- चौखट भी उठा कर ले जा रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी से शहर के बीचोबीच स्थित सरकारी परिसर की स्थिति अत्यंत बदहाल है. जिस पर तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है.