दुमका: सरकार जन कल्याण के लिए विकास योजना बनाती है. उसके लिए आधारभूत संरचना तैयार किया जाता है लेकिन जिसमें करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन यह मॉनिटरिंग नहीं करती कि जनता को उस योजना का लाभ मिला या नहीं. दुमका (Dumka) में करोड़ों की राशि से बने अलग-अलग विभागों के कई ऐसे भवन हैं जिसके निर्माण के काफी समय बीत गए हैं. पर उसका किसी तरह का कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसमें से एक-दो भवन तो ऐसे हैं जिसके निर्माण के 5 वर्ष से अधिक बीत गए हैं और वह उद्घाटन की बाट जोह रहे हैं.
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21 करोड़ की राशि से बने हंसडीहा अस्पताल का नहीं हो रहा इस्तेमाल: दुमका के ऐसे कई भवन जिसके निर्माण में करोड़ों खर्च हुए लेकिन आज तक उसका इस्तेमाल नहीं हो पाया. इस कड़ी में शामिल हैं दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के हंसडीहा में बने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital) का. इसका निर्माण लगभग तीन वर्ष पहले पूरा कर लिया गया, लेकिन आज तक इसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इस हॉस्पिटल को आजतक चालू नहीं कराया जा सका है. जबकि अगर यह हॉस्पिटल चालू होता तो दुमका के साथ-साथ गोड्डा और देवघर जिला के भी लोगों को लाभ पहुंचता.
एक डिग्री कॉलेज और एक मॉडल कॉलेज का निर्माण तो हुआ पर नहीं शुरू हुई पढ़ाई: महाविद्यालय की पढ़ाई ग्रामीण स्तर के छात्र-छात्राओं को मिले इसके लिए दुमका सदर प्रखंड के विजयपुर में एक मॉडल कॉलेज और जरमुंडी प्रखंड में एक डिग्री कॉलेज (Degree College) का निर्माण लगभग दो वर्ष पहले पूर्ण करा लिया गया है. दोनों की लागत लगभग 25 करोड़ है, वर्तमान समय में स्टूडेंट को जिला मुख्यालय में बने महाविद्यालय में आकर पढ़ना पड़ता है. इसके बावजूद इन दोनों स्थानों पर बने कॉलेज को आज तक शुरू नहीं कराया जा सका.
छात्राओं के दो हॉस्टल बन कर पड़े हैं बेकार: दुमका में दूरदराज से आकर शहर में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए बने दो हॉस्टल (Girls Hostel) का कोई इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. इसमें से एक हॉस्टल कल्याण विभाग द्वारा शहर के रेलवे स्टेशन रोड में बनाया गया था. दो करोड़ की लागत से निर्मित इस छात्रावास का 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसके साथ ही संथाल परगना महिला महाविद्यालय परिसर में यूजीसी फंड से 5 वर्ष पूर्व दो करोड़ की लागत से एक हॉस्टल का निर्माण कराया गया था. इसमें 50 लाख की लागत से बेड टेबल और अन्य सामग्री की खरीददारी भी की गई लेकिन आज तक यह सब बेकार पड़ें हैं.
स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स के निर्माण के बीत गए महीनों पर नहीं हुआ चालू: दुमका के जामा प्रखंड के कमारदुधानी में 5 करोड़ की लागत से एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (Sports Complex) का निर्माण कार्य दस वर्ष पहले 2011 में शुरू हुआ था. इसके निर्माण में लगभग 10 वर्ष लग गए. आखिरकार यह बन तो गया लेकिन लगभग 8 महीने बीत जाने के बाद भी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में किसी तरह की खेल गतिविधि चालू नहीं किया जा सका.
शिकारीपाड़ा में पर्यटन विभाग का सुविधा केंद्र नहीं हुआ चालू: अगर हम अन्य भवनों की बात करें तो शिकारीपाड़ा प्रखंड में पर्यटन विभाग (Facilitation center of tourism department in Shikaripada block) के द्वारा दो करोड़ की लागत से एक सुविधा केंद्र का निर्माण कराया गया था. इसमें तारापीठ जाने वाले लोगों के विश्राम की व्यवस्था की गई थी, साथ ही साथ यहां पर्यटन विभाग के द्वारा अधिकारी-कर्मचारी रहते जो पर्यटकों को दुमका और आसपास के क्षेत्रों के पर्यटन केंद्रों की जानकारी देते कि आप कहां और कैसे जाएं.