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दुमका में बीएयू के जोनल रिसर्च सेंटर से किसानों को नहीं मिल रहा फायदा, धूल फांक रही करोड़ों की मशीनें - farmers not getting benefit

दुमका में स्थापित है बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र. बीएयू का यह रीजनल रिसर्च सेंटर किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में किसानों को आधुनिक कृषि के गुर सिखाने की योजना थी. इसके साथ ही किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना भी इसके उद्देश्य में शामिल था.

जोनल रिसर्च सेंटर से किसानों को नहीं मिल रहा फायदा
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Published : Nov 21, 2019, 12:06 PM IST

दुमका: सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने की बात करती है. हालांकि आय दोगुनी करने को लेकर जो सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए, वह नहीं उठाए जा रहे हैं या फिर जो संसाधन उपलब्ध हैं उनका बेहतर इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दुमका में स्थापित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की. बीएयू का यह रीजनल रिसर्च सेंटर किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में किसानों को आधुनिक कृषि के गुर सिखाने की योजना थी. इसके साथ ही किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना भी इसके उद्देश्य में शामिल था.

ये भी पढ़ें- बोकारो में CM ने जनसभा को किया संबोधित, कहा- वोट मजबूत सरकार को दे ना कि मजबूर सरकार को

यहां के मशरूम उत्पादन केंद्र की बात करें, तो वह पिछले 1 साल से बंद है. वहीं, तैयार फसल की कटाई और उसकी छटाई, यहां तक कि उपलब्ध अनाज की पैकेजिंग के लिए 45 लाख की लागत से लगभग 2 साल पहले हार्वेस्टर मशीन मंगाई गई. इसके बावजूद उस मशीन को चलाने वाला कोई नहीं है. कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थिति पर किसान और अन्य स्थानीय लोग काफी नाखुश है. उनका कहना है कि व्यवस्था तो काफी है लेकिन खामियों की वजह से इसका फायदा किसानों को नहीं मिल पाता. किसान लगातार सरकार से इसे दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं.

मामले को लेकर जोनल रिसर्च सेंटर के अधिकारी डॉ पी. बी. साहा का कहना है कि तकनीकी खामियों की वजह से संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है, लेकिन इसकी जानकारी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को दी गई है. जल्द ही सब दुरुस्त हो जाएगा.

दुमका: सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने की बात करती है. हालांकि आय दोगुनी करने को लेकर जो सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए, वह नहीं उठाए जा रहे हैं या फिर जो संसाधन उपलब्ध हैं उनका बेहतर इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

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दुमका में स्थापित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की. बीएयू का यह रीजनल रिसर्च सेंटर किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में किसानों को आधुनिक कृषि के गुर सिखाने की योजना थी. इसके साथ ही किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना भी इसके उद्देश्य में शामिल था.

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यहां के मशरूम उत्पादन केंद्र की बात करें, तो वह पिछले 1 साल से बंद है. वहीं, तैयार फसल की कटाई और उसकी छटाई, यहां तक कि उपलब्ध अनाज की पैकेजिंग के लिए 45 लाख की लागत से लगभग 2 साल पहले हार्वेस्टर मशीन मंगाई गई. इसके बावजूद उस मशीन को चलाने वाला कोई नहीं है. कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थिति पर किसान और अन्य स्थानीय लोग काफी नाखुश है. उनका कहना है कि व्यवस्था तो काफी है लेकिन खामियों की वजह से इसका फायदा किसानों को नहीं मिल पाता. किसान लगातार सरकार से इसे दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं.

मामले को लेकर जोनल रिसर्च सेंटर के अधिकारी डॉ पी. बी. साहा का कहना है कि तकनीकी खामियों की वजह से संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है, लेकिन इसकी जानकारी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को दी गई है. जल्द ही सब दुरुस्त हो जाएगा.

Intro:

दुमका -
आज सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने की बात करती है लेकिन देखा जा रहा है कि किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में जो सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए वह नहीं उठाए जा रहे हैं या फिर जो संसाधन उपलब्ध हैं उनका बेहतर इस्तेमाल नहीं हो रहा है । हम बात कर रहे हैं दुमका में स्थापित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र का । बीएयू का यह रीजनल रिसर्च सेंटर किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है ।

उपलब्ध संसाधन हो रहे हैं बेकार साबित ।
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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में किसानों को आधुनिक कृषि के गुर सिखाने की योजना थी । साथ ही साथ किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना भी इसके उद्देश्य में शामिल था । हम अगर यहां के मशरूम उत्पादन केंद्र की बात करें तो वह पिछले 1 वर्ष से बंद है । वही तैयार फसल कटाई और उसके छंटाई यहाँ तक कि उपलब्ध अनाज की पैकेजिंग के लिए 45 लाख की लागत से लगभग 2 वर्ष पहले हार्वेस्टर मशीन मंगाई गई लेकिन उस मशीन को चलाने वाला कोई नहीं । वहीं अगर हम यहां के उत्तक संवर्धन प्रयोगशाला की बात करें तो इसमें उत्तम क्वालिटी के पौधे उपलब्ध उगाए जाने थे लेकिन यह प्रयोगशाला भी तकनीकी खामियों से बंद पड़ा हुआ है ।










Body:क्या कहते हैं स्थानीय लोग ।
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कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थिति पर किसान और अन्य स्थानीय लोग काफी नाखुश है । उनका कहना है कि व्यवस्था तो काफी है पर त्रुटियों की वजह से इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता । वे सरकार से इसे दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं ।

बाईंट - कामदेव मल्लिक , किसान
बाईंट - अमरेन्द्र कुमार , स्थानीय नागरिक



Conclusion:
क्या कहते हैं अधिकारी ।
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इस संबंध में इस जोनल रिसर्च सेंटर के अधिकारी डॉ पी .बी. साहा कहते हैं कि तकनीकी खामियों की वजह से संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है पर इसकी जानकारी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को दी गई है और बहुत जल्द यह सब दुरुस्त हो जाएगा । उनका कहना है कि निश्चित समय तो नहीं बता सकते हैं पर जल्दी इस संस्थान का बेहतर लाभ किसानों को मिलेगा ।

फाइनल वीओ -
यह रिसर्च सेंटर दुमका शहर के बीचो बीच लगभग 52 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है ।जिसकी लागत करोड़ो में है । सरकार ने जिन उद्देश्यों को लेकर इसकी स्थापना की थी उसमें अब तक यह असफल ही माना जाएगा । सरकार को किसानों के हित में अविलंब इस पर ध्यान देना चाहिए ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका








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