रांची: संथाल परगना को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ कहा जाता है. 6 जिले वाले इस प्रमंडल में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 18 है. इनमें नौ सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि पांच सीटें जेएमएम के पास हैं. इन पांच सीटों में दुमका जिले की शिकारीपाड़ा सीट ऐसी है, जहां से जेएमएम के नलिन सोरेन लगातार 6 बार चुनाव जीत चुके हैं.
सातवीं बार ठोकेंगे ताल
2019 के चुनाव में नलिन सोरेन इसी सीट से सातवीं बार ताल ठोकने को तैयार हैं. शिकारीपाड़ा में अशिक्षा और पलायन एक बड़ी समस्या है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान नलिन सोरेन ने इन बातों को स्वीकार भी किया. उन्होंने कहा कि अशिक्षा को दूर करने के लिए एक विधायक की हैसियत से उन्होंने कई पहल किए हैं. जहां तक पलायन की बात है तो यहां के लोग मजदूरी के सिलसिले में पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में चले जाते हैं. वहां दो महीने तक मजदूरी के बाद कुछ पैसे लेकर अपने घर लौटते हैं.
रोजगार दिलाना सरकार का काम
नलिन सोरेन ने कहा कि रोजगार का अवसर मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं कर रही है. दुमका के मसानजोर डैम के पानी को शिकारीपाड़ा के कृषियोग्य भूमि तक लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में उनकी तरफ से हमेशा पहल की जाती रही है. चूंकि यह दो राज्यों के बीच का मामला है लिहाजा, इसके लिए सीधे-सीधे रघुवर सरकार जिम्मेवार है.
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मलूटी मंदिर पर नहीं हुई कोई पहल
दुमका को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले मलूटी मंदिर इसी शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में अवस्थित हैं, लेकिन इसके संरक्षण के लिए कोई ठोस पहल नहीं किए गए. नलिन सोरेन ने इस बात को स्वीकार किया और कहा कि इसके लिए उन्होंने सरकार को कई सुझाव दिए. फिर भी कोई सकारात्मक पहल नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री रघुवर दास का चुनावी सभाओं में यह कहना कि इस बार संथाल से जेएमएम गायब हो जाएगा. इसके जवाब में नलिन सोरेन ने कहा कि इस बार के चुनाव में जेएमएम 2009 की जीत दोहराएगा और बीजेपी को उसकी हैसियत मालूम चल जाएगी.
लगातार चुनाव जीतने का क्या है फॉर्मूला
शिकारीपाड़ा के विधायक की हैसियत से नलिन सोरेन ऐसा कोई काम नहीं गिना सके जिसकी चर्चा की जाए. अब सवाल है कि इसके बावजूद यहां की जनता ने उन्हें पिछले 6 चुनावों में क्यों आशीर्वाद दिया. इसपर नलीन सोरेन ने कहा कि वह अपने क्षेत्र के लोगों के बीच एक विधायक की हैसियत से कभी नहीं जाते. उनका सीधा मानना है कि वह खुद को एक आम जनता समझते हैं और उनके सुख-दुख में हमेशा साथ रहते हैं.