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दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रही विकास की रोशनी, लोगों आधारभूत सुविधा भी मयस्सर नहीं

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Published : Aug 18, 2022, 9:27 PM IST

Updated : Aug 18, 2022, 9:38 PM IST

झारखंड की उपराजधानी दुमका में ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. यहां लोगों को ना तो पीने का साफ पानी मिल पा रहा है और ना ही रोजगार के साधन.

Dumka does not have basic amenities in rural area
Dumka does not have basic amenities in rural area

दुमका: सरकार के लाख प्रयास के बाद भी झारखंड की उपराजधानी दुमका (Sub Capital Of Jharkhand Dumka) के ग्रामीण इलाकों तक विकास की रोशनी सही ढंग से नहीं पहुंच पा रही है. दुमका जिला के जामा प्रखंड (Jama Block) के कमार दुधानी गांव में न सड़क है. किसानों को सिंचाई के लिए भी कोई साधन भी नहीं है. यहां रोजगार की बात करना भी बेमायने लगता है.



कमार दुधानी गांव में तीन टोले हैं. तीनों में अलग-अलग सोलर वाटर प्लांट लगाए (Solar Water Plant) गए, इसमें लाखों रुपए खर्च हुए. एक सोलर वाटर प्लांट (Solar Water Plant) तो लगभग 25 लाख खर्च कर बनाया गया, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में तीनों लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं. लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. गांव में नाश्ते की दुकान चलाने वाली रश्मि हेम्ब्रम ने बताया कि वे काफी दूर से पानी लाकर अपना काम करते हैं. यहां जो वाटर प्लांट लगाया गया वह खराब पड़ा हुआ है. इधर, गांव के ताला टोला की रहने वाली पानसुरी मरांडी ने कहा कि हमारे टोले का जो वाटर प्लांट है वह लगभग 3 वर्षों से खराब है. लगने के एक-दो महीने ही यह सही ढंग से चला फिर जो खराब हुआ वह आज तक बेकार पड़ा हुआ है.

देखें वीडियो



सड़क की भी स्थिति जर्जर: कमार दुधानी गांव से होकर एक ग्रामीण सड़क गुजरती है. उसकी स्थिति काफी जर्जर है. आवागमन करने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस सड़क से होकर गुजर रहे एक टेंपो चालक हराधन मंडल ने बताया कि प्रतिदिन हम इस रास्ते से गुजरते हैं जर्जर होने की वजह से हमें काफी परेशानी होती है, हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

गांव में ना सिंचाई के साधन और न ही रोजगार की उपलब्धता: कमार दुधानी गांव में लगभग एक हजार लोग करते हैं. अधिकांश आदिवासी समाज के हैं और लगभग सभी खेती पर आश्रित हैं, कृषि कार्य के लिए ये सभी बारिश के पानी पर निर्भर हैं. गांव में किसी भी तरह के सिंचाई के साधन विकसित नहीं हुए. इस वर्ष बारिश अच्छी नहीं हुई तो खेत सूखे पड़े हुए हैं. ऐसे में रोजगार की तलाश में गांव के लोग अब काम के लिए बाहर जा रहे हैं, क्योंकि कमाकर नहीं लायेंगे तो परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. गांव की एक महिला बसंती टुडू ने बताया कि उसका पति होपना मरांडी कमाने के लिए चेन्नई चला गया है, क्योंकि उसने देख लिया कि इस बार धान का फसल बर्बाद हो गया. वह कहती हैं कि गांव में कोई काम ही नहीं है. कुछ पैसे नहीं आएंगे तो बाल-बच्चों का लालन-पालन मुश्किल हो जाएगा.

दुमका: सरकार के लाख प्रयास के बाद भी झारखंड की उपराजधानी दुमका (Sub Capital Of Jharkhand Dumka) के ग्रामीण इलाकों तक विकास की रोशनी सही ढंग से नहीं पहुंच पा रही है. दुमका जिला के जामा प्रखंड (Jama Block) के कमार दुधानी गांव में न सड़क है. किसानों को सिंचाई के लिए भी कोई साधन भी नहीं है. यहां रोजगार की बात करना भी बेमायने लगता है.



कमार दुधानी गांव में तीन टोले हैं. तीनों में अलग-अलग सोलर वाटर प्लांट लगाए (Solar Water Plant) गए, इसमें लाखों रुपए खर्च हुए. एक सोलर वाटर प्लांट (Solar Water Plant) तो लगभग 25 लाख खर्च कर बनाया गया, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में तीनों लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं. लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. गांव में नाश्ते की दुकान चलाने वाली रश्मि हेम्ब्रम ने बताया कि वे काफी दूर से पानी लाकर अपना काम करते हैं. यहां जो वाटर प्लांट लगाया गया वह खराब पड़ा हुआ है. इधर, गांव के ताला टोला की रहने वाली पानसुरी मरांडी ने कहा कि हमारे टोले का जो वाटर प्लांट है वह लगभग 3 वर्षों से खराब है. लगने के एक-दो महीने ही यह सही ढंग से चला फिर जो खराब हुआ वह आज तक बेकार पड़ा हुआ है.

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सड़क की भी स्थिति जर्जर: कमार दुधानी गांव से होकर एक ग्रामीण सड़क गुजरती है. उसकी स्थिति काफी जर्जर है. आवागमन करने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस सड़क से होकर गुजर रहे एक टेंपो चालक हराधन मंडल ने बताया कि प्रतिदिन हम इस रास्ते से गुजरते हैं जर्जर होने की वजह से हमें काफी परेशानी होती है, हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

गांव में ना सिंचाई के साधन और न ही रोजगार की उपलब्धता: कमार दुधानी गांव में लगभग एक हजार लोग करते हैं. अधिकांश आदिवासी समाज के हैं और लगभग सभी खेती पर आश्रित हैं, कृषि कार्य के लिए ये सभी बारिश के पानी पर निर्भर हैं. गांव में किसी भी तरह के सिंचाई के साधन विकसित नहीं हुए. इस वर्ष बारिश अच्छी नहीं हुई तो खेत सूखे पड़े हुए हैं. ऐसे में रोजगार की तलाश में गांव के लोग अब काम के लिए बाहर जा रहे हैं, क्योंकि कमाकर नहीं लायेंगे तो परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. गांव की एक महिला बसंती टुडू ने बताया कि उसका पति होपना मरांडी कमाने के लिए चेन्नई चला गया है, क्योंकि उसने देख लिया कि इस बार धान का फसल बर्बाद हो गया. वह कहती हैं कि गांव में कोई काम ही नहीं है. कुछ पैसे नहीं आएंगे तो बाल-बच्चों का लालन-पालन मुश्किल हो जाएगा.

Last Updated : Aug 18, 2022, 9:38 PM IST
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