दुमका: राजा नुनू मांझी की मनाई गई पुण्यतिथि, लोगों ने दी श्रद्धांजलि - दुमका में नुनू मांझी की पुण्यतिथि
दुमका के जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कुशमहा चिकनिया पंचायत के डूबा गांव में राजा नुनू मांझी का पुण्यतिथि मनाया गया. इस दौरान गणमान्य लोगों ने उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई.
दुमका: जिला के जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के डूबा गांव में राजा नुनू मांझी का 40वां पुण्यतिथि मनाया गया. पुण्यतिथि पर उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया और उनके किए गए कामों की चर्चा की गई. राजा नुनू मांझी के परपोते राजीव कुमार ने बताया कि राजा नुनू मांझी राजा तो नहीं थे लेकिन गरीबों और असहाय लोगों की मदद में दिन रात एक कर देने वाली नुनू मांझी को ग्रामीणों की ओर से राजा की उपाधि दी गई थी, उन्हें क्षेत्र के लोग राजा ही मानते थे.
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नुनू मांझी को दी गई थी राजा की उपाधि
उन्होंने अपने क्षेत्र में किसी भी प्रकार की लड़ाई झगड़ा को ग्रामीण स्तर पर पंचायती के माध्यम से ही निपटा लेते थे. थाना पुलिस को अपने क्षेत्र में नहीं आने देते थे. वह गरीब परिवार में जन्मे और कम पढ़ा लिखा होने के बाद भी नियम और कानून का काफी समझदार और प्रबुद्ध व्यक्ति थे. हाल ही में झारखंड विधानसभा में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की पहल पर राजा नुनू मांझी के तेलिय चित्र विधानसभा भवन में भी लगाया गया है.
नुनू मांझी थे काफी लोकप्रिय
क्षेत्र के जिला परिषद सदस्य चंद्रशेखर यादव ने कहा कि वह राजा तो नहीं थे लेकिन राजा की उपाधि उन्हें ग्रामीणों की ओर से ग्रामीणों की समस्या के समाधान और अंग्रेजों से लड़ाई के बाद ही मिला था. उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र में काफी लोकप्रिय और ईमानदार व्यक्ति थे. उन्होंने गरीबों का सहयोग किया गरीबों के लिए अंग्रजों से लड़ा, अंग्रेजों के शोषण से गरीबों को मुक्त कराया था, इसीलिए लोग उन्हें राजा नुनू मांझी कहकर बुलाते थे. उन्होंने एक कहावत भी कहा जो उनके बारे में काफी प्रचलित था. ढोल ना डाक अंग्रेजी बाजा, राज ना पाट नुनू मांझी राजा.