दुमका: आईआईटी, आईआईएम में कैंपस सेलेक्न में सैलरी पर लोगों की नजर रहती है. लेकिन साइबर क्राइम के लिए हब माने जाने वाले झारखंड में साइबर क्राइम के लिए भी हायरिंग शुरू हो गई है. इसकी सैलरी सुनकर आप चौंक जाएंगे. साइबर क्राइम की टीम के टेक्निकल सेल में 3 लाख से 10 लाख रुपए पर लोगों को हायर किया जा रहा है.
बड़े तकनीकी संस्थान से पास आउट छात्र छात्राओं को जितना वेतन नहीं दिया जाता है उससे अधिक राशि दुमका में साइबर अपराधी (Cyber Criminals In Dumka) टेक्निकल एक्सपर्ट को दे रहे हैं. यह सुनकर आपको भले ही अटपटा लगे लेकिन दुमका पुलिस ने ये खुलासा किया है कि दुमका में साइबर अपराधी (Cyber Criminals In Dumka) दूसरे के खाते से पैसा उड़ाने के लिए तीन लाख रुपये से लेकर दस लाख रुपये प्रति माह देकर टेक्निकल एक्सपर्ट को हायर कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
दुमका पुलिस ने मसलिया थाना क्षेत्र के गुमरो पहाड़ से तीन साइबर अपराधियों को लैपटॉप, कई मोबाइल, कई एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और पेन ड्राइव के साथ गिरफ्तार किया है. ये सभी पुलिस से बचने के लिए पहाड़ के ऊपर चढ़कर साइबर क्राइम की वारदात को अंजाम दे रहे थे. गिरफ्तार तीनों अपराधियों ने बताया कि उन लोगों का सरगना मनोज मंडल है. जिसके कहने पर ही वे काम कर रहे हैं.
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क्या कहते हैं साइबर डीएसपी
साइबर डीएसपी शिवेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि गिरफ्तार राकेश मंडल को उसका सरगना हर दिन 35 हजार रुपए, पंकज मंडल को 15 हजार और मानिक मंडल को 10 हजार देता है. मतलब तीन से दस लाख रुपये प्रतिमाह. इससे साफ पता चलता है कि जो मुख्य सरगना है वह बड़े पैमाने पर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा है.
क्या कहते हैं डीएसपी
जिस पुलिस टीम ने छापेमारी कर तीनों को गिरफ्तार किया है उसका नेतृत्व दुमका डीएसपी मुख्यालय विजय कुमार कर रहे थे. उन्होंने बताया कि पुलिस से बचने के लिए ये सभी पहाड़ के ऊपर चढ़कर वारदात को अंजाम दे रहे थे. डीएसपी ने जानकारी दी कि यह लोग अपना नंबर वेबसाइट में किसी कंपनी के हेल्पलाइन नंबर के रूप में डाल देते हैं. कोई व्यक्ति किसी प्रोडक्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करने या शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर में फोन करता है तो वह साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस जाता है. इसलिए किसी को भी कंपनी के हेल्पलाइन नंबर का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए. इसके अलावा किसी भी लिंक को डाउनलोड नहीं करना चाहिए. इससे व्यक्ति का पूरा गोपनीय डाटा साइबर अपराधियों के पास चला जाता है.