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दुमका में बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरूआत, ग्रामीणों ने कहा- मजदूरी के लिए नहीं जाएंगे घर से दूर

गांवों में मजदूरों को रोजगार मिले इसके लिए झारखंड में बिरसा हरित ग्राम योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत रैयत और गैर मजरूवा भूमि पर फलदार और छाएदार पौधारोपण किया जा रहा है. इसको लेकर दुमका के ग्रमीणों में काफी खुशी है.

Birsa Green Village Scheme in jharkhand
बिरसा हरित ग्राम योजना
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Published : May 16, 2020, 12:12 PM IST

दुमका: कोरोना क्राइसिस और लॉकडाउन से जो हालात उपजे हैं उससे यह साफ हो गया है कि झारखंड के लाखों मजदूर दूसरे राज्य में काम कर रहे हैं. दुमका भी इससे अछूता नहीं रहा है और सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 15 हजार लोग दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए निर्भर हैं.

वीडियो में देखिए पूरी रिपोर्ट

सरकार को अब इस विषय पर गंभीरता दिखानी होगी कि लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उनके गांव में ही मिले. अब लॉकडाउन होने के बाद जो लोग दूसरे राज्यों से वापस आ रहे हैं उनके लिए भी सरकार को रोजगार की व्यवस्था करनी है. ऐसे में दुमका जिला प्रशासन जामा प्रखंड के सिकटिया पंचायत के दौंदिया गांव में लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए 50 एकड़ भूमि पर फलदार वृक्ष लगा रहा है. सरकार के इस प्रयास से ग्रामीणों में काफी हर्ष है.

क्या है पूरा मामला

झारखंड की उपराजधानी दुमका में लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करना है. नमूने के तौर पर जामा प्रखंड के दौंदिया गांव में 50 एकड़ भूमि पर आम-अमरूद जैसे फलदार वृक्ष लगाने की शुरुआत की गई है. इसमें दौंदिया गांव के अतिरिक्त अगल-बगल के भी गांव के 1000 परिवारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा. ग्रामीण वृक्ष लगाने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं, जिसकी मजदूरी उन्हें सरकार वहन कर रही है.

ये भी पढ़ें- प्रवासी मजदूरों पर एनएचआरसी ने गृह मंत्रालय से दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

क्या कहते हैं ग्रामीण

जामा प्रखंड के दौंदिया गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार मिल गया है. ये काफी मन लगाकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि अभी तो हमें काम मिला ही है साथ ही साथ यहां फलदार वृक्षों का पेड़ लगेगा तो यह रोजगार हमें लंबे समय तक रोजगार देता रहेगा. वहीं कुछ ग्रामीण कहते हैं कि अब काम करने के लिए हमें बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

प्रशासनिक अधिकारी की व्यवस्था पर नजर

मामला लोगों को रोजगार देने और उनकी आजीविका से जुड़ा है तो प्रशासनिक अधिकारी स्वय मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जामा के बीडीओ साधुचरण देवगम खुद सारी व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं. वह गांव में वृक्षारोपण के लिए जो अभी जमीन तैयार किया जा रहा है उसकी देखरेख ही नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद उनके साथ काम कर गांव वालों का हौसला अफजाई भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि रोजगार सृजन के दिशा में यह काफी सार्थक पहल साबित होगा.

क्या करती हैं उपायुक्त

ईटीवी भारत ने इस संबंध में दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमने बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत कर दी है. जामा प्रखंड में यह काम शुरू भी हो गया है. इसे मनरेगा के साथ टैग किया गया है, उद्देश्य है अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देना. उन्होंने कहा कि यह रोजगार सृजन का बेहतर योजना है और इसे जिले के सभी 10 प्रखंडों में चलाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- आवश्यक वस्तु अधिनियम में होगा संशोधन, अनाज, खाद्य तेल, दालों को कानूनी शिकंजे से मुक्त करेगी सरकार

इस लॉकडाउन ने लोगों को यह जरूर सिखा दिया कि जब मजदूरी ही करना है तो अपना गांव अपना शहर ही सबसे बेहतर है. अब जरूरी है कि लोग अपने गांव में रहें. इसके लिए जरूरी हो जाता है कि उन्हें रोजगार के बेहतर साधन उपलब्ध हो. गांव में ही रोजगार मिले. ऐसे में दुमका जिला प्रशासन ने जो यह पहल की है वह सचमुच सराहनीय है.

दुमका: कोरोना क्राइसिस और लॉकडाउन से जो हालात उपजे हैं उससे यह साफ हो गया है कि झारखंड के लाखों मजदूर दूसरे राज्य में काम कर रहे हैं. दुमका भी इससे अछूता नहीं रहा है और सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 15 हजार लोग दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए निर्भर हैं.

वीडियो में देखिए पूरी रिपोर्ट

सरकार को अब इस विषय पर गंभीरता दिखानी होगी कि लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उनके गांव में ही मिले. अब लॉकडाउन होने के बाद जो लोग दूसरे राज्यों से वापस आ रहे हैं उनके लिए भी सरकार को रोजगार की व्यवस्था करनी है. ऐसे में दुमका जिला प्रशासन जामा प्रखंड के सिकटिया पंचायत के दौंदिया गांव में लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए 50 एकड़ भूमि पर फलदार वृक्ष लगा रहा है. सरकार के इस प्रयास से ग्रामीणों में काफी हर्ष है.

क्या है पूरा मामला

झारखंड की उपराजधानी दुमका में लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करना है. नमूने के तौर पर जामा प्रखंड के दौंदिया गांव में 50 एकड़ भूमि पर आम-अमरूद जैसे फलदार वृक्ष लगाने की शुरुआत की गई है. इसमें दौंदिया गांव के अतिरिक्त अगल-बगल के भी गांव के 1000 परिवारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा. ग्रामीण वृक्ष लगाने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं, जिसकी मजदूरी उन्हें सरकार वहन कर रही है.

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क्या कहते हैं ग्रामीण

जामा प्रखंड के दौंदिया गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार मिल गया है. ये काफी मन लगाकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि अभी तो हमें काम मिला ही है साथ ही साथ यहां फलदार वृक्षों का पेड़ लगेगा तो यह रोजगार हमें लंबे समय तक रोजगार देता रहेगा. वहीं कुछ ग्रामीण कहते हैं कि अब काम करने के लिए हमें बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

प्रशासनिक अधिकारी की व्यवस्था पर नजर

मामला लोगों को रोजगार देने और उनकी आजीविका से जुड़ा है तो प्रशासनिक अधिकारी स्वय मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जामा के बीडीओ साधुचरण देवगम खुद सारी व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं. वह गांव में वृक्षारोपण के लिए जो अभी जमीन तैयार किया जा रहा है उसकी देखरेख ही नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद उनके साथ काम कर गांव वालों का हौसला अफजाई भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि रोजगार सृजन के दिशा में यह काफी सार्थक पहल साबित होगा.

क्या करती हैं उपायुक्त

ईटीवी भारत ने इस संबंध में दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमने बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत कर दी है. जामा प्रखंड में यह काम शुरू भी हो गया है. इसे मनरेगा के साथ टैग किया गया है, उद्देश्य है अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देना. उन्होंने कहा कि यह रोजगार सृजन का बेहतर योजना है और इसे जिले के सभी 10 प्रखंडों में चलाया जाएगा.

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इस लॉकडाउन ने लोगों को यह जरूर सिखा दिया कि जब मजदूरी ही करना है तो अपना गांव अपना शहर ही सबसे बेहतर है. अब जरूरी है कि लोग अपने गांव में रहें. इसके लिए जरूरी हो जाता है कि उन्हें रोजगार के बेहतर साधन उपलब्ध हो. गांव में ही रोजगार मिले. ऐसे में दुमका जिला प्रशासन ने जो यह पहल की है वह सचमुच सराहनीय है.

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