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सावधान! कोरोना से भी खतरनाक है ये, पिछले 15 महीने में 300 लोगों ने गंवाई जान - दुर्घटना और आत्महत्या

हादसों और आत्महत्या में हुई मौत को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वह हैरान कर देने वाले हैं. पिछले 15 महीने में करीब 300 लोग असमय काल के गाल में समा गए. ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2020-2021 में दुमका में कोरोना से 47 लोगों की मौत हुई. जबकि हादसे और आत्महत्या में मरने वालों का आंकड़ा 300 है.

300 people lost their lives in last 15 months in Dumka
300 people lost their lives in last 15 months in Dumka
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Published : Mar 19, 2022, 7:58 AM IST

Updated : Mar 19, 2022, 8:23 AM IST

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका पिछले 15 महीने में 300 लोग असमय काल के गाल में समा गए. यह लापरवाही और नासमझी का परिणाम है. इसमें लापरवाही से वाहन चलाने या फिर बदहाल सड़कों की वजह से दुर्घटना में 190 लोगों की मौत हुई है. यह आंकड़ा इस वर्ष 2021 के साथ मौजूदा 2022 के मार्च महीने तक का है. वहीं ट्रेन की चपेट में आकर 17 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. इसमें दुर्घटना और आत्महत्या दोनों के मामले शामिल हैं.



बदहाल सड़क की वजह से हादसे: दुमका में सड़क दुर्घटना की संख्या अधिक होने की वजह तेज रफ्तार से वाहन चलाना तो है ही, साथ ही साथ जिले की कई ऐसी सड़कें हैं जिसकी स्थिति काफी बदतर है. इस वजह से भी आए दिन हादसे होते हैं और लोगों की मौत हो रही है. इसमें अगर हम घायलों की संख्या जोड़ें तो यह संख्या 600 से अधिक है.

देखें वीडियो



84 लोगों ने की आत्महत्या: सड़क दुर्घटना के बाद असमय मौत के मामले में बड़ा आंकड़ा आत्महत्या का है. मानसिक तनाव और नासमझी की वजह से इन 15 महीने में 84 लोगों ने खुद अपनी जान दे दी. इस अवधि में 60 लोगों ने फंदे डालकर मौत को गले लगाया जबकि 24 लोगों ने विषपान कर काल के गाल में समा गए.

ये भी पढ़ें: दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय सुविधा बढ़ने से बढ़ी मरीजों की संख्या, डॉक्टरों की कमी से नहीं हो रहा समुचित इलाज

स्वास्थ्य व्यवस्था लचर होने से बढ़े मौत के आंकड़े: दुमका में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं होने की वजह से भी मौत के आंकड़े अधिक नजर आते हैं. दरअसल अगर कोई सड़क दुर्घटना का शिकार फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचता है तो यहां समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है. उसे पश्चिम बंगाल या अन्य जिलों के लिए रेफर कर दिया जाता है. वहीं, कई मामले में तो ऐसे आए कि रेफर मरीज बड़े अस्पताल में जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

मौत के आंकड़े कम करना आवश्यक: आंकड़े बताते हैं किसी भी बीमारी के मुकाबले सड़क दुर्घटना या आत्महत्या से ज्यादा लोगों की जान जाती है. अगर हम कोविड-19 की ही बात करें तो वर्ष 2020 और 2021 मिलाकर दुमका में 47 लोगों की मौत हुई. जबकि सिर्फ 15 महीने में सड़क दुर्घटना और आत्महत्या की वजह से 300 लोग की जान जा चुकी है. यह ऐसे मामले होते हैं जिस पर अंकुश लगाना संभव है.

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका पिछले 15 महीने में 300 लोग असमय काल के गाल में समा गए. यह लापरवाही और नासमझी का परिणाम है. इसमें लापरवाही से वाहन चलाने या फिर बदहाल सड़कों की वजह से दुर्घटना में 190 लोगों की मौत हुई है. यह आंकड़ा इस वर्ष 2021 के साथ मौजूदा 2022 के मार्च महीने तक का है. वहीं ट्रेन की चपेट में आकर 17 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. इसमें दुर्घटना और आत्महत्या दोनों के मामले शामिल हैं.



बदहाल सड़क की वजह से हादसे: दुमका में सड़क दुर्घटना की संख्या अधिक होने की वजह तेज रफ्तार से वाहन चलाना तो है ही, साथ ही साथ जिले की कई ऐसी सड़कें हैं जिसकी स्थिति काफी बदतर है. इस वजह से भी आए दिन हादसे होते हैं और लोगों की मौत हो रही है. इसमें अगर हम घायलों की संख्या जोड़ें तो यह संख्या 600 से अधिक है.

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84 लोगों ने की आत्महत्या: सड़क दुर्घटना के बाद असमय मौत के मामले में बड़ा आंकड़ा आत्महत्या का है. मानसिक तनाव और नासमझी की वजह से इन 15 महीने में 84 लोगों ने खुद अपनी जान दे दी. इस अवधि में 60 लोगों ने फंदे डालकर मौत को गले लगाया जबकि 24 लोगों ने विषपान कर काल के गाल में समा गए.

ये भी पढ़ें: दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय सुविधा बढ़ने से बढ़ी मरीजों की संख्या, डॉक्टरों की कमी से नहीं हो रहा समुचित इलाज

स्वास्थ्य व्यवस्था लचर होने से बढ़े मौत के आंकड़े: दुमका में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं होने की वजह से भी मौत के आंकड़े अधिक नजर आते हैं. दरअसल अगर कोई सड़क दुर्घटना का शिकार फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचता है तो यहां समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है. उसे पश्चिम बंगाल या अन्य जिलों के लिए रेफर कर दिया जाता है. वहीं, कई मामले में तो ऐसे आए कि रेफर मरीज बड़े अस्पताल में जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

मौत के आंकड़े कम करना आवश्यक: आंकड़े बताते हैं किसी भी बीमारी के मुकाबले सड़क दुर्घटना या आत्महत्या से ज्यादा लोगों की जान जाती है. अगर हम कोविड-19 की ही बात करें तो वर्ष 2020 और 2021 मिलाकर दुमका में 47 लोगों की मौत हुई. जबकि सिर्फ 15 महीने में सड़क दुर्घटना और आत्महत्या की वजह से 300 लोग की जान जा चुकी है. यह ऐसे मामले होते हैं जिस पर अंकुश लगाना संभव है.

Last Updated : Mar 19, 2022, 8:23 AM IST
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