धनबाद: झारखंड को आदिवासियों का राज्य कहा जाता है. झारखंड में काफी संख्या में आदिवासी रहते हैं. राज्य में आदिवासियों की परंपरा देखने के लायक होती है. आज की 21 वीं शताब्दी में भी आदिवासी अपनी की परंपरा को सहेजे हुए हैं. उसमें ऐसी चीजें देखने को मिलती है जो आदिवासी संस्कृति की पहचान है. दुर्गा पूजा में मनाये जाने वाले आदिवासियों का दसाय पर्व इसका जीवंत उदाहरण है.
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गौरतलब है कि नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी मांदर, नगाड़ा, झाल आदि लेकर नृत्य करते हुए गांव, मेला और पूजा पंडालों का भ्रमण करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. वर्तमान में इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले लोगों का कहना है कि इसकी शुरुआत कब से हुई है, यह वह नहीं जानते. उन्होंने कहा कि पूर्वजों को करते देखा है इसलिए आज की आने वाली पीढ़ी को इसका ज्ञान दे रहे हैं, ताकि उनकी परंपरा विलुप्त न हो.
आदिवासी समुदाय के लोगों ने बताया कि दसाय पर्व की शुरुआत सप्तमी के दिन से ही होती है और विजयादशमी को इस पर्व का अंतिम दिन होता है. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग पूजा पंडाल और सभी जगह जाकर नाच-गान करते हैं और इस रूप में लोग खुश होकर इन्हें दान-दक्षिणा भी देते हैं.