ETV Bharat / city

आदिवासियों की अनूठी परंपरा है दसाय पर्व, दूर्गा पूजा की सप्तमी से होती है शुरुआत

धनबाद में आदिवासी समुदाय ने दसाय पर्व मनाया. इस पर्व की शुरुआत दुर्गा पूजा की सप्तमी के दिन से होती है और दशमी के दिन इस पर्व का अंतिम दिन होता है. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग गांव-गाव जाकर नाच-गान करते हैं.

आदिवासियों का दसाय पर्व
author img

By

Published : Oct 7, 2019, 1:08 PM IST

धनबाद: झारखंड को आदिवासियों का राज्य कहा जाता है. झारखंड में काफी संख्या में आदिवासी रहते हैं. राज्य में आदिवासियों की परंपरा देखने के लायक होती है. आज की 21 वीं शताब्दी में भी आदिवासी अपनी की परंपरा को सहेजे हुए हैं. उसमें ऐसी चीजें देखने को मिलती है जो आदिवासी संस्कृति की पहचान है. दुर्गा पूजा में मनाये जाने वाले आदिवासियों का दसाय पर्व इसका जीवंत उदाहरण है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-दुर्गा पूजा को लेकर अलर्ट पर रांची रेलवे स्टेशन, चलाया गया गहन जांच अभियान

गौरतलब है कि नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी मांदर, नगाड़ा, झाल आदि लेकर नृत्य करते हुए गांव, मेला और पूजा पंडालों का भ्रमण करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. वर्तमान में इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले लोगों का कहना है कि इसकी शुरुआत कब से हुई है, यह वह नहीं जानते. उन्होंने कहा कि पूर्वजों को करते देखा है इसलिए आज की आने वाली पीढ़ी को इसका ज्ञान दे रहे हैं, ताकि उनकी परंपरा विलुप्त न हो.

आदिवासियों का दसाय पर्व

आदिवासी समुदाय के लोगों ने बताया कि दसाय पर्व की शुरुआत सप्तमी के दिन से ही होती है और विजयादशमी को इस पर्व का अंतिम दिन होता है. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग पूजा पंडाल और सभी जगह जाकर नाच-गान करते हैं और इस रूप में लोग खुश होकर इन्हें दान-दक्षिणा भी देते हैं.

धनबाद: झारखंड को आदिवासियों का राज्य कहा जाता है. झारखंड में काफी संख्या में आदिवासी रहते हैं. राज्य में आदिवासियों की परंपरा देखने के लायक होती है. आज की 21 वीं शताब्दी में भी आदिवासी अपनी की परंपरा को सहेजे हुए हैं. उसमें ऐसी चीजें देखने को मिलती है जो आदिवासी संस्कृति की पहचान है. दुर्गा पूजा में मनाये जाने वाले आदिवासियों का दसाय पर्व इसका जीवंत उदाहरण है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-दुर्गा पूजा को लेकर अलर्ट पर रांची रेलवे स्टेशन, चलाया गया गहन जांच अभियान

गौरतलब है कि नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी मांदर, नगाड़ा, झाल आदि लेकर नृत्य करते हुए गांव, मेला और पूजा पंडालों का भ्रमण करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. वर्तमान में इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले लोगों का कहना है कि इसकी शुरुआत कब से हुई है, यह वह नहीं जानते. उन्होंने कहा कि पूर्वजों को करते देखा है इसलिए आज की आने वाली पीढ़ी को इसका ज्ञान दे रहे हैं, ताकि उनकी परंपरा विलुप्त न हो.

आदिवासियों का दसाय पर्व

आदिवासी समुदाय के लोगों ने बताया कि दसाय पर्व की शुरुआत सप्तमी के दिन से ही होती है और विजयादशमी को इस पर्व का अंतिम दिन होता है. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग पूजा पंडाल और सभी जगह जाकर नाच-गान करते हैं और इस रूप में लोग खुश होकर इन्हें दान-दक्षिणा भी देते हैं.

Intro:धनबाद: झारखंड को आदिवासियों का ही राज्य कहा जाता है. झारखंड में काफी संख्या में आदिवासी रहते हैं सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की ही है और आदिवासियों के लिए ही झारखंड राज्य की स्थापना भी की गई है. आदिवासियों की परंपरा देखने के लायक होती है. आज के 21 शताब्दी में भी आदिवासियों की परंपरा अनोखी है और ऐसी चीजें देखने को मिलती है जो आदिवासी संस्कृति की पहचान है. दुर्गा पूजा में आदिवासियों का दशाएं ऐने इसका जीवंत उदाहरण है.


Body:गौरतलब है कि नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी मांदर, थाप नगाड़ा, झाल आदि लेकर नृत्य करते हुए गांव,मेला और पूजा पंडालों का भ्रमण करते हैं और नृत्य करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है वर्तमान में यह कार्य कर रहे लोगों का कहना है कि इसकी शुरुआत कब से हुई है यह वह नहीं जानते पूर्वजों को करते देखते थे और पूर्वजों के साथ यह परंपरा करते-करते आज की आने वाली पीढ़ी को इसका ज्ञान दे रहे हैं ताकि हमारी परंपरा विलुप्त ना हो.

आदिवासी समुदाय इसे दशाएं के नाम से जानते हैं और इसकी शुरुआत सप्तमी के दिन से होती है ओर विजयदशमी तक होती है. इसमें आदिवासी समुदाय के लोग सभी जगह जाकर नाच- गान करते हैं और इस रूप में लोग खुश होकर इन्हें दान दक्षिणा भी देते हैं. आदिवासियों की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है कि यह चलता ही रहेगा.


Conclusion:वैसे तो आदिवासी समुदाय की सभी पर्व त्योहारों में अलग-अलग परंपरा है और यह परंपरा देखने लायक होती है.

बाइट-
1. छोटेलाल सोरेन
2. दुर्गा किस्कू
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.