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धनबाद में सहिया सम्मेलन का आयोजन, बगोदर विधायक ने कहा- सीएम को दिल्ली सरकार से लेनी चाहिए सीख

धनबाद के भूलन बरारी में सहियाओं का सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन के दौरान सहियाओं ने अपनी समस्याओं को जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा. 40 माह से बकाए वेतन पर सहियाओं ने अपनी बात रखी. नगर निगम के सफाईकर्मी भी इस सम्मेलन में उपस्थित थे. इसमें वैसे सफाईकर्मी थे, जिन्हें कार्य से छंटनी कर दिया गया है.

Sahia conference organized in Dhanbad
सहिया सम्मेलन
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Published : Jan 22, 2020, 11:08 PM IST

धनबाद: जिले के भूलन बरारी में सहियाओं का सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह, बगोदर से माले विधायक बिनोद सिंह और पूर्व विधायक अरूप चटर्जी सम्मलेन में मुख्य रूप से शामिल हुए.

देखिए पूरी खबर

सम्मेलन के दौरान सहियाओं ने अपनी समस्याओं को जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा. 40 माह से बकाए वेतन पर सहियाओं ने अपनी बात रखी. नगर निगम के सफाईकर्मी भी इस सम्मेलन में उपस्थित थे. इसमें वैसे सफाईकर्मी थे, जिन्हें कार्य से छंटनी कर दिया गया है. मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि सहियाओं को दूसरी बार काम पर रखने के बाद उन्हें पिछले दो सालों से वेतन नहीं दिया गया है, जिसके लिए इन लोगों ने आंदोलन भी किया, लेकिन फिर वेतन का भुगतान नहीं हो सका.

ग्रामीण क्षेत्र के कई सहिया साथी को हटा दिया गया है. इसके साथ ही निगम के कुछ सफाईकर्मियों को कार्य से हटा दिया गया है. इन सभी पर सरकार का ध्यान आकृष्ट हो और सकारात्मक कदम उठाए. वहीं, माले से बगोदर विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि हमारे राज्य के नए मुख्यमंत्री का कहना है कि हम दिल्ली और अन्य राज्यों की सरकारों से काम करने के तौर तरीके सीखेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को शिक्षा और स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में काम करना पड़ेगा. शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए दिल्ली सरकार से सिखना चाहिए.

स्वास्थ्य विभाग में सहिया एक मजबूत कड़ी है. यह कड़ी यदि कमजोर होगी तो परेशानी खड़ी होगी. उन्होंने मांग कि है कि अन्य राज्यों की तरह सहियाओं को मानदेय और सुविधाएं उपलब्ध कराएं. वहीं झरिया से कांग्रेस विधायक पूर्णिमा सिंह ने कहा कि पूर्व विधायक अरूप चटर्जी द्वारा सहियाओं के लिए एजेंडा बनाया गया है. उस एजेंडे को वह सदन में रखेंगी और सहियाओं को आगे बढ़ाने का काम करेगी.

ये भी पढे़ं: दो दिवसीय माइका महोत्सव का बाबूलाल मरांडी ने किया उद्घाटन, कहा- विकास एक सतत प्रक्रिया है
बता दें कि झरिया और धनबाद की सैकड़ों सहिया साथी को कार्य से हटा दिया गया था. पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के नेतृत्व में सहियाओं के आंदोलन के बाद उन्हें पुनः बहाल किया गया, लेकिन पिछले 40 माह से इनका वेतन बकाया है. राज्य में अब एक नई सरकार बनी है, जिनसे इनकी उम्मीद एक बार फिर जग गई है.

धनबाद: जिले के भूलन बरारी में सहियाओं का सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह, बगोदर से माले विधायक बिनोद सिंह और पूर्व विधायक अरूप चटर्जी सम्मलेन में मुख्य रूप से शामिल हुए.

देखिए पूरी खबर

सम्मेलन के दौरान सहियाओं ने अपनी समस्याओं को जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा. 40 माह से बकाए वेतन पर सहियाओं ने अपनी बात रखी. नगर निगम के सफाईकर्मी भी इस सम्मेलन में उपस्थित थे. इसमें वैसे सफाईकर्मी थे, जिन्हें कार्य से छंटनी कर दिया गया है. मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि सहियाओं को दूसरी बार काम पर रखने के बाद उन्हें पिछले दो सालों से वेतन नहीं दिया गया है, जिसके लिए इन लोगों ने आंदोलन भी किया, लेकिन फिर वेतन का भुगतान नहीं हो सका.

ग्रामीण क्षेत्र के कई सहिया साथी को हटा दिया गया है. इसके साथ ही निगम के कुछ सफाईकर्मियों को कार्य से हटा दिया गया है. इन सभी पर सरकार का ध्यान आकृष्ट हो और सकारात्मक कदम उठाए. वहीं, माले से बगोदर विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि हमारे राज्य के नए मुख्यमंत्री का कहना है कि हम दिल्ली और अन्य राज्यों की सरकारों से काम करने के तौर तरीके सीखेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को शिक्षा और स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में काम करना पड़ेगा. शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए दिल्ली सरकार से सिखना चाहिए.

स्वास्थ्य विभाग में सहिया एक मजबूत कड़ी है. यह कड़ी यदि कमजोर होगी तो परेशानी खड़ी होगी. उन्होंने मांग कि है कि अन्य राज्यों की तरह सहियाओं को मानदेय और सुविधाएं उपलब्ध कराएं. वहीं झरिया से कांग्रेस विधायक पूर्णिमा सिंह ने कहा कि पूर्व विधायक अरूप चटर्जी द्वारा सहियाओं के लिए एजेंडा बनाया गया है. उस एजेंडे को वह सदन में रखेंगी और सहियाओं को आगे बढ़ाने का काम करेगी.

ये भी पढे़ं: दो दिवसीय माइका महोत्सव का बाबूलाल मरांडी ने किया उद्घाटन, कहा- विकास एक सतत प्रक्रिया है
बता दें कि झरिया और धनबाद की सैकड़ों सहिया साथी को कार्य से हटा दिया गया था. पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के नेतृत्व में सहियाओं के आंदोलन के बाद उन्हें पुनः बहाल किया गया, लेकिन पिछले 40 माह से इनका वेतन बकाया है. राज्य में अब एक नई सरकार बनी है, जिनसे इनकी उम्मीद एक बार फिर जग गई है.

Intro:धनबाद।सहियाओं का सम्मेलन जिले के भूलन बरारी में आयोजित किया गया।जिसमें झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह, बगोदर से माले विधायक बिनोद सिंह और पूर्व विधायक निरसा अरूप चटर्जी सम्मलेन में मुख्य रूप से शामिल हुए।


Body:सम्मेलन के दौरान सहियाओं ने अपनी समस्याओं को जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा।40 माह से बकाए वेतन पर सहियाओं ने अपनी बात को रखा।नगर निगम के सफाई कर्मी भी इस सम्मेलन में उपस्थित थे।इसमें वैसे सफाई कर्मी थे।जिन्हें कार्य से छंटनी कर दिया गया है।मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि सहियाओं को दूसरी बार काम पर रखने के बाद उन्हें पिछले दो सालों से वेतन नही दिया गया है।जिसके लिए इन लोगों ने आंदोलन भी किया।लेकिन फिर वेतन का भुगतान नही हो सका।ग्रामीण क्षेत्र के कई सहिया साथी को हटा दिया गया है।इसके साथ ही निगम के कुछ सफाई कर्मियों कार्य से हटा दिया गया है।इन सभी पर सरकार का ध्यान आकृष्ट हो और सकारात्मक कदम उठाए।
वहीं माले से बगोदर विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि हमारे राज्य के नए मुख्यमंत्री का कहना है कि हम दिल्ली एवं अन्य राज्यों की सरकारों काम करने के तौर तरीके सीखेंगे।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को शिक्षा और स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में काम करना पड़ेगा।शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए दिल्ली सरकार से सिखना चाहिए।स्वास्थ्य विभाग में सहिया एक मजबूत कड़ी है।यह कड़ी यदि कमजोर होगी तो परेशानी खड़ी होगी।उन्होंने मांग कि है कि अन्य राज्यों की तरह सहियाओं को मानदेय एवं सुविधाएं उपलब्ध कराए।
वहीं झरिया से कांग्रेस विधायक पूर्णिमा सिंह ने कहा कि पूर्व विधायक अरूप चटर्जी द्वारा सहियाओं के लिए एजेंडा बनाया गया है।उस एजेंडे को वह सदन में रखेगी और सहियाओं को आगे बढ़ाने का काम करेगी।


Conclusion:बता दें कि झरिया एवं धनबाद की सैकड़ों सहिया साथी को कार्य से हटा दिया गया था।पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के नेतृत्व में सहियाओं के आंदोलन के बाद उन्हें पुनः बहाल किया गया।लेकिन पिछले 40 माह से इनका वेतन बकाया है।राज्य में अब एक नई सरकार बनी है।जिनसे इनकी उम्मीद एक बार फिर जग गई है।कि शायद सरकार की नजरें इनायत इन पर भी हो।
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