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IIT-ISM का ताबड़तोड रिसर्च, अब डीप लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होगा कोरोना जांच - कोरोना जांच में तकनीकि विकास

देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान IIT-ISM कोरोना को लेकर लगातार रिसर्च में जुटा हुआ है, ताकि कोरोना संक्रमितों को जल्द लाभ मिल सके. इन सभी चीजों को लेकर संस्थान लगातार रिसर्च में कर रहा है. इस बार संस्थान ने सीटी स्कैन के जरिए मरीजों का पता लगाने पर लगा है.

Corona check up from CT Scan
डीप लर्निंग और आर्फिटिशियल इंटेलिजेंस से होगा कोरोना जांच
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Published : Jun 25, 2020, 9:47 PM IST

धनबाद: कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है. इस वायरस के कारण देश में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. लगातार मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. मौत का भी आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इस वायरस को लेकर धनबाद और देश के जाना-माना शिक्षण संस्थान IIT-ISM काफी चिंतित है. संस्थान के वैज्ञानिक कोरोना लेकर लगातार ऐसी तकनीके विकसित कर रहे हैं, जिससे लोगों को मदद मिल सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

हाल में IIT-ISM के माइनिंग मशीनरी इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर तन्मय मैती एक ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं जिससे कोरोना संदिग्ध के बारे में सीटी स्कैन से ही पता चल जाएगा. संस्थान के प्रोफेसर तन्मय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि इस तकनीक से एक ऐसा मॉडल तैयार किया जा रहा है, जो डीप लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे सीटी स्कैन का अध्ययन कर परिणाम बताएगा.

Research of IIT-ISM
आईएसएम के प्रोफेसर तन्मय मैती

ये भी पढ़ें- अब कोरोना से लड़ेगा 'पॉलीमेरिक सुपर हाइड्रोफोबिक कोटिंग', हर कपड़ा बनेगा पीपीई किट

प्रोफेसर तन्मय मैती ने कहा कि इसके लिए अस्पतालों से सीटी स्कैन के इमेज को लेकर उसका अध्ययन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह एक तरह का एप मॉडल होगा, जो कंप्यूटर में इंस्टॉल होगा. सीटी स्कैन के बाद इस इमेज के जरिए मरीज को कोरोना है या नॉर्मल फ्लू है, इसके बारे में पता लगया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि इस विधि में 4 से 5 मिनट का समय लगेगा और इतने समय में ही मरीज को कोरोना के बारे में पता चल पाएगा.

नहीं कराना होगा स्वाब जांच

प्रोफेसर ने बताया कि अभी जांच में लोगों को बहुत ज्यादा समय लग रहा है. स्वाब जांच हो रही है, इसमें लोगों को काफी कठिनाई भी हो रही है. स्वाब जांच एक जटिल प्रक्रिया है. साथ ही साथ प्राइवेट अस्पताल में जांच कराने पर खर्च भी ज्यादा हो रहा है. इस मॉडल तकनीक के सहारे लोगों को स्वाब जांच नहीं कराना पड़ेगा और खर्च भी बहुत कम होगा. क्योंकि इसे एक बार ही कंप्यूटर में इंस्टॉल कर लगातार मरीजों का जांच किया जा सकेगा. जिससे खर्च भी बहुत कम होगी.

ये भी पढ़ें- धनबाद: खनन के क्षेत्र में होगा क्रांतिकारी बदलाव, अब रोबोट करेंगे माइनिंग

प्रोफेसर तन्मय मैती ने बताया कि पूरा मॉडल तैयार कर लिया गया है, परीक्षण चल रहे हैं. अगर सब कुछ सही रहा तो कोविड-19 से संक्रमित मरीज की पहचान के लिए यह बेस्ट मॉडल साबित होगा. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज और सामान्य फ्लू जैसे निमोनिया के मरीज के फेफड़ों की सीटी स्कैन की इमेज एक जैसी नहीं होती. प्रस्तावित मॉडल में सीटी स्कैन की इन तस्वीरों में डीप लर्निंग विधि का इस्तेमाल कर दोनों में अंतर देखा जाएगा. इसी तकनीक के जरिए कोरोना संक्रमितों की पहचान आसानी से की जा सकती है.

धनबाद: कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है. इस वायरस के कारण देश में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. लगातार मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. मौत का भी आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इस वायरस को लेकर धनबाद और देश के जाना-माना शिक्षण संस्थान IIT-ISM काफी चिंतित है. संस्थान के वैज्ञानिक कोरोना लेकर लगातार ऐसी तकनीके विकसित कर रहे हैं, जिससे लोगों को मदद मिल सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

हाल में IIT-ISM के माइनिंग मशीनरी इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर तन्मय मैती एक ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं जिससे कोरोना संदिग्ध के बारे में सीटी स्कैन से ही पता चल जाएगा. संस्थान के प्रोफेसर तन्मय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि इस तकनीक से एक ऐसा मॉडल तैयार किया जा रहा है, जो डीप लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे सीटी स्कैन का अध्ययन कर परिणाम बताएगा.

Research of IIT-ISM
आईएसएम के प्रोफेसर तन्मय मैती

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प्रोफेसर तन्मय मैती ने कहा कि इसके लिए अस्पतालों से सीटी स्कैन के इमेज को लेकर उसका अध्ययन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह एक तरह का एप मॉडल होगा, जो कंप्यूटर में इंस्टॉल होगा. सीटी स्कैन के बाद इस इमेज के जरिए मरीज को कोरोना है या नॉर्मल फ्लू है, इसके बारे में पता लगया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि इस विधि में 4 से 5 मिनट का समय लगेगा और इतने समय में ही मरीज को कोरोना के बारे में पता चल पाएगा.

नहीं कराना होगा स्वाब जांच

प्रोफेसर ने बताया कि अभी जांच में लोगों को बहुत ज्यादा समय लग रहा है. स्वाब जांच हो रही है, इसमें लोगों को काफी कठिनाई भी हो रही है. स्वाब जांच एक जटिल प्रक्रिया है. साथ ही साथ प्राइवेट अस्पताल में जांच कराने पर खर्च भी ज्यादा हो रहा है. इस मॉडल तकनीक के सहारे लोगों को स्वाब जांच नहीं कराना पड़ेगा और खर्च भी बहुत कम होगा. क्योंकि इसे एक बार ही कंप्यूटर में इंस्टॉल कर लगातार मरीजों का जांच किया जा सकेगा. जिससे खर्च भी बहुत कम होगी.

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प्रोफेसर तन्मय मैती ने बताया कि पूरा मॉडल तैयार कर लिया गया है, परीक्षण चल रहे हैं. अगर सब कुछ सही रहा तो कोविड-19 से संक्रमित मरीज की पहचान के लिए यह बेस्ट मॉडल साबित होगा. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज और सामान्य फ्लू जैसे निमोनिया के मरीज के फेफड़ों की सीटी स्कैन की इमेज एक जैसी नहीं होती. प्रस्तावित मॉडल में सीटी स्कैन की इन तस्वीरों में डीप लर्निंग विधि का इस्तेमाल कर दोनों में अंतर देखा जाएगा. इसी तकनीक के जरिए कोरोना संक्रमितों की पहचान आसानी से की जा सकती है.

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