धनबाद: दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं. इसे बनाने वाले कुम्हारों की चाक अब तेजी से चलने लगी है. इस बार दीपावली में अच्छी बिक्री की उम्मीद लेकर कुम्हार का पूरा परिवार मिट्टी का सामान तैयार करने में व्यस्त है. एक दिन में 500 दीपक बना रहे कुम्हारों को इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद है.
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दीया बनाने में जुटे कुम्हार
धनबाद के निरसा में बड़े पैमाने पर मिट्टी के दीपक बनाए जा रहे हैं. कुम्हारों की उंगलियों के इशारे पर घूमते चाक और उससे बनते दीपक न केवल आपके घर को रोशन करेंगे साथ ही कुम्हारों के घर में भी खुशियां लाएंगे. दीया बना रहे ये लोग दिन रात मेहनत कर रहे हैं. क्योंकि जितने मिट्टी के दीपक बिकेंगे मां लक्ष्मी कुम्हारों से उतनी ही प्रसन्न होंगी.
नहीं बढ़ रही आमदनी
दीये बना रहे कुम्हार का कहना है कि दीपावली और गर्मी के सीजन में मिट्टी से निर्मित बर्तनों की मांग जरूर बढ़ जाती है, लेकिन बाद के दिनों में वे मजदूरी करके ही परिवार का पेट पालते हैं. दूर से मिट्टी लाना, कोयला, महंगी लकड़ी खरीदकर दीपक पकाने में जो खर्च आता है, उसके बदले आमदनी लगातार घटती जा रही है. मेहनत के अनुरूप बाजारों में हम सबों को उचित मूल्य नहीं मिलता हैं.
चाइनीज बल्बों के कारण कम हुई बिक्री
कुम्हारों की माने तो बाजारों में बिजली के झालरों की चमक दमक के कारण मिट्टी के दीयों की बिक्री कम हुई है. लोग केवल पूजन के लिए दीयों का उपयोग कर रहे हैं. कुम्हारों के मुताबिक आधुनिक चकाचौंध में लोग भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. कुम्हारों ने राज्य सरकार से हस्तशिल्प को ध्यान में रखते हुए मदद की मांग की है.