धनबाद: कोविड-19 के फैलाव और रोकथाम के लिए नदियों, तालाबों, डैम के किनारे छठ पूजा करने को लेकर प्रशासन ने रोक लगा दी. सरकारी आदेश लागू होने के बाद धनबादवासियों ने विरोध किया. उपायुक्त सह अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद उमा शंकर सिंह ने छठ पूजा के अवसर पर सार्वजनिक तालाब, नदी, डैम या अन्य जलस्रोतों के किनारे छठ पूजा के आयोजन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि कोरोना के फैलाव से बचाव और रोकथाम के लिए गृह, कारा, आपदा प्रबंधन विभाग, रांची के निर्गत दिशा निर्देश का अनुपालन करने का निर्देश प्राप्त हुआ है.
दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 महमारी के चलते जिले की नदियों, तालाबों, डैम और अन्य जल स्रोतों के तट पर आयोजित होने वाली पवित्र छठ पूजा की अनुमति नहीं मिलेगी. इसके साथ ही किसी को भी छठ तलाब में बैरिकेडिंग करने, पूजा के लिए स्थान घेरने, विद्युत साज-सज्जा की अनुमति नहीं मिलेगी. छठ घाट के आसपास कहीं भी स्टॉल लगाने, संगीत या सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन और पटाखे चलाने पर भी रोक रहेगी.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विशेष सावधानी बरती जा रही है. छठ पर्व में बड़ी संख्या में लोग आसपास की नदी, तालाब और अन्य जल स्रोतों पर एकत्रित होते हैं. लिहाजा इससे लोगों में कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंका रहेगी. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इस साल सार्वजनिक तौर पर छठ पूजा करने और इसके आयोजन, सजावट आदि पर रोक लगाने का फैसला किया है.
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उपायुक्त ने कहा कि लोग उपरोक्त आदेश को अत्यंत गंभीरता से लें. लापरवाही, उदासीनता और निर्देश का अनुपालन नहीं करने वालों पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सख्त कार्रवाई हो सकती है. हालांकि इसके विपरीत जिले के रणधीर वर्मा चौक पर कई लोगों ने हेमंत सरकार का पुतला दहन किया और सरकार और जिला प्रशासन को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि छठ पूजा का आयोजन सार्वजनिक जगह और नदियों, तालाबों में किया जाएगा. अगर जिला प्रशासन या सरकार रोकना चाहती है तो उस पर बुलडोजर चलवा कर यह कार्य रुकवा सकती है.