धनबाद: जिस उम्र में हाथों में कलम और किताब होना चाहिए, उस उम्र में नौनिहाल ई रिक्शा यानी टोटो की स्टेयरिंग संभाल रहे हैं. इनके लिए ई रिक्शा की स्टेयरिंग को मौत की स्टेयरिंग कहें तो शायद गलत नहीं होगा. धनबाद में ई रिक्शा (e rickshaw in dhanbad) दौड़ाते नाबालिग ना सिर्फ अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं बल्कि औरों के लिए भी खतरा साबित हो रहे हैं.
धनबाद की सड़कों पर नाबालिग लड़कों के हाथ में ई रिक्शा (टोटो) की स्टेयरिंग होती है और वे सड़कों पर फर्राटा लगाते नजर आते हैं. जिस उम्र में बच्चों के हाथों में कलम और किताबें होनी चाहिए उस उम्र में बच्चे ई रिक्शा का स्टेयरिंग पकड़े हुए हैं. इससे ना सिर्फ इन बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है बल्कि ये खुद और दूसरे के लिए जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. इन बच्चों की उम्र 14 वर्ष से 18 के बीच है. जिस तरह से ये बच्चे सड़कों पर ई रिक्शा को सरपट दौड़ाते हैं यह जानलेवा साबित हो सकता है और किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इन बच्चों का कहना है कि घर चलाने के लिए उन्हें मजबूरी में ई रिक्शा चलाना पड़ता है. जानकारी के मुताबिक शहर में कई ऐसे ई रिक्शा मालिक हैं जो भाड़े पर टोटो मुहैया करवाते हैं. वैसे वाहन मालिक भी इस बच्चो के हाथों में ई रिक्शा थमाने में अहम भूमिका निभाते हैं.
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वहीं, विनोद नगर के रहने वाले राहुल कुमार की उम्र महज 14 वर्ष है और वह सातवीं कक्षा का छात्र भी है. उन्होंने कहा कि यह ई रिक्शा उसके पिता की है. उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है इसलिए पिछले 1 महीने से वह इसे चला रहा है. इस ई रिक्शा से हर रोज वह लगभग 500 रुपए कमा लेता है जिससे उसके परिवार का भरण पोषण होता है. नौनिहालों के द्वारा धनबाद की सड़कों पर सरपट दौड़ा रहे ई रिक्शा में सब से अहम भूमिका ई रिक्शा मालिक निभा रहे हैं. धनबाद में ऐसे कई ई रिक्शा ऑनर हैं जिनके पास 10, 20 या इससे अधिक ई रिक्शा हैं जो 200 से 300 रुपये तक प्रतिदिन के किराये पर ई रिक्शा मुहैया करवाते हैं. जिसमे ई रिक्शा ऑनर अपनी कमाई के चक्कर में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी ई रिक्शा थमा देते हैं. वहीं, इस मामले में धनबाद के ट्रैफिक डीएसपी राजेश कुमार ने कहा कि बिना लाइसेंस के ई रिक्शा चलाने वालों खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा वैसे ई रिक्शा को जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है जिन्हें बच्चे चला रहे हैं.