धनबाद: कोरोना काल के बीच राज्य के मनरेगा कर्मचारी 27 जुलाई से हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल का दूसरा दिन है, ऐसे में विभिन्न योजनाओं के तहत मनरेगा से होने वाले सभी विकास योजनाओं का काम प्रभावित हो रहा है.
मनरेगा जिला अध्यक्ष प्रकाश राम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 13 सालों से सरकार मनरेगा कर्मचारियों को सिर्फ ठगने का काम कर रही है. पूर्व से ही मनरेगा कर्मचारी समय-समय पर अपनी समस्याओं से सरकार को अवगत कराते रहे हैं लेकिन इस और आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि कोरोना के इस कहर काल में भी मनरेगा कर्मचारी अपनी जान हथेली पर लेकर कामों को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं. बाहर से लोटे सभी प्रवासी मजदूरों को मनरेगा ने काफी हद तक काम भी मिला और वे सफलतापूर्वक इसका क्रियान्वयन करा रहे हैं.
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मनरेगा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले माह में 3 दिनों की सांकेतिक हड़ताल की गई थी और अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाई गई थी. इसके बावजूद भी सरकार के विभागीय मंत्री इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिस कारण मजबूर होकर कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य मांगों में मनरेगा कर्मचारियों का स्थायीकरण, मनरेगा कर्मचारियों का 25 लाख का बीमा, अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को नौकरी, मातृत्व-पितृत्व अवकाश और बिहार की तर्ज पर मनरेगा कर्मचारियों को सभी सुविधाएं झारखंड में भी दी जाए.
मनरेगा कर्मचारियों का कहना है कि विगत 13 वर्षों से झारखंड राज्य के मनरेगा कर्मचारी सरकार सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर इस राज्य को आगे बढ़ाने में साथ खड़े रहे हैं. इसके बावजूद सरकार का रवैया मनरेगा कर्मचारियों को लेकर काफी उदासीन रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इस हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगा.