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संक्रांति को लेकर सजा कोयलांचल का बाजार, तिलकुट बनाने में जुटे 'गया के कारीगर'

गया का तिलकुट बिहार समेत देश भर में विख्यात हैं. साथ ही यहां के कारीगर भी तिलकुट बनाने में प्रसिद्ध हैं. वहीं गया में ज्यादा तिलकुट कारीगर होने के कारण लोगों को अपने शहर में काम नहीं मिल पाता, जिस कारण इन्हें जिला या राज्य से बाहर काम करने जाना पड़ता है.

market decorated for Makar Sankranti
गया के तिलकुट कारीगर
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Published : Jan 13, 2020, 1:57 PM IST

धनबाद: मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक आ गया है और कोयलांचल का बाजार तिलकुट और पतंगों से सज गया है. धनबाद में तिलकुट बनाने के लिए खासकर गया के कारीगरों को बुलाया जाता है. तिलकुट बनाने के लिए यहां के दुकानदार गया के कारीगरों को धनबाद बुलाते हैं और तिलकुट बनवाने का काम करते हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

आपको बता दें कि गया के तिलकुट का एक विशेष पहचान है और वहां के कारीगरों को तिलकुट बनाने में महारत हासिल है जो बहुत ही उत्तम किस्म के तिलकुट बनाते हैं. लोग भी इसे खुब पसंद करते हैं.

10 साल से आ रहे हैं काम करने

गया से आए हुए कारीगरों ने बताया कि वह लगभग 10 वर्षों से यहां पर तिलकुट बनाने का काम करने के लिए आते हैं. कारीगरों ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में ही वह यहां पर तिलकुट बनाने पहुंच जाते हैं, और लगभग 15 जनवरी तक तिलकुट बनाने का काम होता है. डेढ़ महीनों के लिए वह धनबाद आते हैं इन्हें प्रत्येक दिन मजदूरी के रूप में 400रू मिलता है.

ये भी पढ़ें- रांची रेल मंडल में गब्बर फैला रहा है जागरूकता, गंदगी फैलाने पर 500 रुपये जुर्माना

15 जनवरी के बाद घर वापस लौट कर ये कारीगर खेती-बाड़ी में जुट जाते हैं या फिर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में निकल जाते हैं. गया में तिलकुट कारीगर ज्यादा होने के कारण इन कारीगरों को स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिल पाता, जिस कारण तिलकुट बनाने के लिए इन्हें दूसरे राज्यों के साथ-साथ धनबाद का भी रुख करना पड़ता है.

धनबाद: मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक आ गया है और कोयलांचल का बाजार तिलकुट और पतंगों से सज गया है. धनबाद में तिलकुट बनाने के लिए खासकर गया के कारीगरों को बुलाया जाता है. तिलकुट बनाने के लिए यहां के दुकानदार गया के कारीगरों को धनबाद बुलाते हैं और तिलकुट बनवाने का काम करते हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

आपको बता दें कि गया के तिलकुट का एक विशेष पहचान है और वहां के कारीगरों को तिलकुट बनाने में महारत हासिल है जो बहुत ही उत्तम किस्म के तिलकुट बनाते हैं. लोग भी इसे खुब पसंद करते हैं.

10 साल से आ रहे हैं काम करने

गया से आए हुए कारीगरों ने बताया कि वह लगभग 10 वर्षों से यहां पर तिलकुट बनाने का काम करने के लिए आते हैं. कारीगरों ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में ही वह यहां पर तिलकुट बनाने पहुंच जाते हैं, और लगभग 15 जनवरी तक तिलकुट बनाने का काम होता है. डेढ़ महीनों के लिए वह धनबाद आते हैं इन्हें प्रत्येक दिन मजदूरी के रूप में 400रू मिलता है.

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15 जनवरी के बाद घर वापस लौट कर ये कारीगर खेती-बाड़ी में जुट जाते हैं या फिर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में निकल जाते हैं. गया में तिलकुट कारीगर ज्यादा होने के कारण इन कारीगरों को स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिल पाता, जिस कारण तिलकुट बनाने के लिए इन्हें दूसरे राज्यों के साथ-साथ धनबाद का भी रुख करना पड़ता है.

Intro:धनबाद: मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक आ गया है और कोयलांचल धनबाद का बाजार तिलकुट और पतंगों से सज गया है. धनबाद में तिलकुट बनाने के लिए खासकर गया के कारीगरों को बुलाया जाता है और गया के कारीगर ही यहां पर तिलकुट बनाने का काम करते हैं.

Body:आपको बता दें कि धनबाद के प्रमुख बाजारों में तिलकुट और पतंगों की दुकानों से बाजार सज गया है. तिलकुट बनाने के लिए यहां के दुकानदार तिलकुट बनाने में महारत हासिल गया के कारीगरों को धनबाद बुलाते हैं और तिलकुट बनवाने का काम करते हैं. आपको बता दें कि तिलकुट का गया में एक विशेष पहचान है और वहां के कारीगर को तिलकुट बनाने में महारत हासिल है जो बहुत ही उन्नत किस्म के तिलकुट बनाने का काम करते हैं जिसे लोग कुछ ज्यादा ही पसंद करते हैं.

गया से आए हुए कारीगरों ने बताया कि वह लगभग 10 वर्षों से यहां पर तिलकुट बनाने का काम करने के लिए आते हैं.कारीगरों ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में ही वह यहां पर तिलकुट बनाने पहुंच जाते हैं और लगभग 15 जनवरी तक तिलकुट बनाने का काम होता है. डेढ़ महीनों के लिए वह धनबाद आते हैं इन्हें प्रत्येक दिन मजदूरी के रूप में 400 मिलता है. 15 जनवरी के बाद फिर घर वापस लौट कर ये कारीगर खेती-बाड़ी में जुट जाते हैं या फिर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में निकल जाते हैं.

Conclusion:बिहार के गया में तिलकुट के एक विशेष पहचान है वहां का तिलकुट प्रसिद्ध है लेकिन वहां पर कारीगर ज्यादा होने के कारण इन कारीगरों को स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिल पाता है जिस कारण तिलकुट बनाने के लिए इन्हें दूसरे राज्यों के साथ-साथ धनबाद का भी रुख अपनाना पड़ता है. धनबाद के दुकानदार भी इन कारीगरों को अपने पास तिलकुट बनाने के लिए रख लेते हैं क्योंकि इनके द्वारा बनाया गया तिलकुट ग्राहकों को पसंद आता है.

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