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इस मंदिर में 900 सालों से होती है मां काली की पूजा, सभी धर्म के लोगों की मनोकामनाएं होती है पूरी

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Published : Oct 11, 2021, 6:09 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 5:41 PM IST

धनबाद के कतरास में स्थित नीलकंठवासिनी मंदिर (Neelkanthvasini Temple) में मां काली की पूजा 900 सालों से होते आ रही है. यहां दुर्गा पूजा के समय खास तैयारी की जाती है. इस मंदिर में झारखंड के अलावा कई राज्यों से भक्त पूजा करने पहुंचते हैं. मान्यता के अनुसार इस मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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नीलकंठवासिनी मंदिर

धनबाद: जिले के कतरास इलाके में विराजमान नीलकंठवासिनी मंदिर (Neelkanthvasini Temple) में मां काली की पूजा 900 वर्षों से होते आ रही है. लोग इस मंदिर को लिलोरी मंदिर के नाम से भी जानते हैं. यहां पर सभी धर्म समुदाय के लोग पहुंचते हैं और मां सबकी मनोकामना पूरी करती है. कतरास गढ़ के राजा के पूर्वजों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. जिसे कोयलांचल के लोग शक्तिपीठ भी कहते हैं.

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धनबाद मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी में अवस्थित मां नीलकंठवासिनी मंदिर में लगभग 900 वर्षों से अधिक समय से पूजा होते आ रही है. मंदिर में धनबाद के अलावा दूरदराज से भी काफी संख्या में लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. मां सबकी मुरादें भी पूरी करती हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी हराधन बनर्जी ने बताया कि हमारा 13 पीढ़ी यहां बीत चुका है. कतरास गढ़ के राजा के 16- 17 पीढ़ी के पहले के पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

देखें पूरी रिपोर्ट

कई राज्यों से लोग पूजा करने आते हैं नीलकंठवासिनी मंदिर


मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में कोयलांचल धनबाद के साथ-साथ पूरे झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा, यूपी, मुंबई और विदेशों से भी लोग पूजा करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि 900 वर्षों से यहां पर प्रतिदिन पूजा होती है और हर दिन बलि भी दी जाती है. यहां पूजा से संबंधित लगभग सभी खर्च राज परिवार ही वहन करता है. नवरात्रि के समय में यहां पर विशेष प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. शाम की आरती में लगभग हजारों की भीड़ होती है. लेकिन कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए इस साल संध्या आरती भी वर्जित है और बच्चों को भी आने पर रोक है.

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मंदिर में पूजा करने से होती है सभी मन्नतें पूरी


धनबाद के विभिन्न इलाकों से आए हुए प्रधानों ने कहा कि मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है, मां उसे जरूर पूरा करती हैं. वहीं महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि कोरोना के समय में मंदिर के बंद होने से जितनी छटपटाहट भक्तों को हुई है. उससे कहीं ज्यादा छटपटाहट माता को हुई है. क्योंकि माता भी भक्तों के बिना नहीं रह सकती. श्रद्धालुओं ने कहा कि अब मां से यही कहना है कि कोरोना का खत्म कर दें और अपने भक्तों को इस परेशानी से सदा के लिए मुक्त कर दें.

गीत गातीं महिलाएं


कोरोना काल में दुकानदारों का रोजगार बंद


वहीं स्थानीय दुकानदारों ने भी अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि 2 सालों से दुकानदारी नहीं के बराबर हो रही है. लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. क्योंकि कोरोना के कारण लगभग 100 से अधिक दुकान यहां पर बंद थे. जिस कारण लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई थी. अब माता से यही निवेदन है कि मां हमेशा के लिए इस समस्या से मुक्ति दिला दें.

इसे भी पढे़ं: देश में ऐसा अनूठा मंदिर जिसकी सीढ़ियां एक राज्य में तो दूसरे राज्य में गर्भगृह, जानें इस मंदिर की और खूबियां

दो साल बाद दुर्गा पूजा का आयोजन


कोयलांचल धनबाद के विभिन्न मंदिरों में शारदीय नवरात्र को लेकर विशेष तैयारी देखी जा रही है. क्योंकि 2 सालों के बाद इस वर्ष मां दुर्गा की पूजा लोग कर पा रहे हैं. 2 सालों से कोरोना के कारण सभी तरह के आयोजन पर रोक था. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा कहीं भी मेला लगाने की छूट नहीं दी गई है. मूर्तियों की साइज और पंडालों के साइज भी जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार ही की गई है.

धनबाद: जिले के कतरास इलाके में विराजमान नीलकंठवासिनी मंदिर (Neelkanthvasini Temple) में मां काली की पूजा 900 वर्षों से होते आ रही है. लोग इस मंदिर को लिलोरी मंदिर के नाम से भी जानते हैं. यहां पर सभी धर्म समुदाय के लोग पहुंचते हैं और मां सबकी मनोकामना पूरी करती है. कतरास गढ़ के राजा के पूर्वजों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. जिसे कोयलांचल के लोग शक्तिपीठ भी कहते हैं.

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धनबाद मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी में अवस्थित मां नीलकंठवासिनी मंदिर में लगभग 900 वर्षों से अधिक समय से पूजा होते आ रही है. मंदिर में धनबाद के अलावा दूरदराज से भी काफी संख्या में लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. मां सबकी मुरादें भी पूरी करती हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी हराधन बनर्जी ने बताया कि हमारा 13 पीढ़ी यहां बीत चुका है. कतरास गढ़ के राजा के 16- 17 पीढ़ी के पहले के पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

देखें पूरी रिपोर्ट

कई राज्यों से लोग पूजा करने आते हैं नीलकंठवासिनी मंदिर


मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में कोयलांचल धनबाद के साथ-साथ पूरे झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा, यूपी, मुंबई और विदेशों से भी लोग पूजा करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि 900 वर्षों से यहां पर प्रतिदिन पूजा होती है और हर दिन बलि भी दी जाती है. यहां पूजा से संबंधित लगभग सभी खर्च राज परिवार ही वहन करता है. नवरात्रि के समय में यहां पर विशेष प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. शाम की आरती में लगभग हजारों की भीड़ होती है. लेकिन कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए इस साल संध्या आरती भी वर्जित है और बच्चों को भी आने पर रोक है.

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मंदिर में पूजा करने से होती है सभी मन्नतें पूरी


धनबाद के विभिन्न इलाकों से आए हुए प्रधानों ने कहा कि मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है, मां उसे जरूर पूरा करती हैं. वहीं महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि कोरोना के समय में मंदिर के बंद होने से जितनी छटपटाहट भक्तों को हुई है. उससे कहीं ज्यादा छटपटाहट माता को हुई है. क्योंकि माता भी भक्तों के बिना नहीं रह सकती. श्रद्धालुओं ने कहा कि अब मां से यही कहना है कि कोरोना का खत्म कर दें और अपने भक्तों को इस परेशानी से सदा के लिए मुक्त कर दें.

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कोरोना काल में दुकानदारों का रोजगार बंद


वहीं स्थानीय दुकानदारों ने भी अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि 2 सालों से दुकानदारी नहीं के बराबर हो रही है. लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. क्योंकि कोरोना के कारण लगभग 100 से अधिक दुकान यहां पर बंद थे. जिस कारण लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई थी. अब माता से यही निवेदन है कि मां हमेशा के लिए इस समस्या से मुक्ति दिला दें.

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दो साल बाद दुर्गा पूजा का आयोजन


कोयलांचल धनबाद के विभिन्न मंदिरों में शारदीय नवरात्र को लेकर विशेष तैयारी देखी जा रही है. क्योंकि 2 सालों के बाद इस वर्ष मां दुर्गा की पूजा लोग कर पा रहे हैं. 2 सालों से कोरोना के कारण सभी तरह के आयोजन पर रोक था. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा कहीं भी मेला लगाने की छूट नहीं दी गई है. मूर्तियों की साइज और पंडालों के साइज भी जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार ही की गई है.

Last Updated : Oct 14, 2021, 5:41 PM IST
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