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धनबाद: बच्चों की लंबी आयु के लिए मनाया जाता है जिउतिया, महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत

धर्म आस्था का पर्व खर जिउतिया बिहार और झारखंड सहित पूरे देश में मनाया जाने वाला पर्व है. यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं.

जिउतिया पर्व
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Published : Sep 22, 2019, 9:59 AM IST

धनबाद: संतान की लंबी और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखे जाने वाला निर्जला वर्त जिउतिया पूरे देश में मनाया जा रहा है. जिउतिया व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस व्रत को खर जिउतिया भी कहा जाता है.

देखें पूरी खबर


जिउतिया व्रत का महत्व
जानकारी के अनुसार जिउतिया व्रत अश्विन महीने के कृष्‍ण पक्ष की सप्‍तमी से नवमी तक मनाया जाता है. महिलाएं अपने बच्‍चों की लंबी उम्र और उसकी रक्षा के लिए इस निर्जला व्रत को रखती हैं. यह व्रत पूरे तीन दिन तक चलता है. व्रत के दूसरे दिन व्रत रखने वाली महिला पूरे दिन और पूरी रात जल का एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती है.


जानें खर जिउतिया क्यों कहते हैं
जिउतिया पर्व में महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं. इसके दौरान अपने मुंह में अनाज का एक दाना भी नहीं लेती हैं. इस कारण इस व्रत को खर जिउतिया भी कहा जाता है. वहीं महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए यह व्रत बड़े ही निष्ठा पूर्वक करती हैं. मान्यता यह भी है कि इस व्रत में गरुड़ देव की पूजा की जाती है.


जिउतिया व्रत की पूजा विधि
जिउतिया में तीन दिन तक उपवास किया जाता है.

  • पहले दिन: जिउतिया व्रत में पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है. इस दिन महिलाएं नहाने के बाद एक बार भोजन करती हैं और फिर दिन भर कुछ नहीं खाती हैं.
  • दूसरा दिन: व्रत के दूसरे दिन को खर जिउतिया कहा जाता है. यही व्रत का विशेष और मुख्‍य दिन है, जो कि अष्‍टमी को पड़ता है. इस दिन महिलाएं निर्जला रहती हैं. यहां तक कि रात को भी पानी नहीं पिया जाता है.
  • तीसरा दिन: व्रत के तीसरे दिन पारण किया जाता है. इस दिन व्रत का पारण करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है.

धनबाद: संतान की लंबी और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखे जाने वाला निर्जला वर्त जिउतिया पूरे देश में मनाया जा रहा है. जिउतिया व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस व्रत को खर जिउतिया भी कहा जाता है.

देखें पूरी खबर


जिउतिया व्रत का महत्व
जानकारी के अनुसार जिउतिया व्रत अश्विन महीने के कृष्‍ण पक्ष की सप्‍तमी से नवमी तक मनाया जाता है. महिलाएं अपने बच्‍चों की लंबी उम्र और उसकी रक्षा के लिए इस निर्जला व्रत को रखती हैं. यह व्रत पूरे तीन दिन तक चलता है. व्रत के दूसरे दिन व्रत रखने वाली महिला पूरे दिन और पूरी रात जल का एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती है.


जानें खर जिउतिया क्यों कहते हैं
जिउतिया पर्व में महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं. इसके दौरान अपने मुंह में अनाज का एक दाना भी नहीं लेती हैं. इस कारण इस व्रत को खर जिउतिया भी कहा जाता है. वहीं महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए यह व्रत बड़े ही निष्ठा पूर्वक करती हैं. मान्यता यह भी है कि इस व्रत में गरुड़ देव की पूजा की जाती है.


जिउतिया व्रत की पूजा विधि
जिउतिया में तीन दिन तक उपवास किया जाता है.

  • पहले दिन: जिउतिया व्रत में पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है. इस दिन महिलाएं नहाने के बाद एक बार भोजन करती हैं और फिर दिन भर कुछ नहीं खाती हैं.
  • दूसरा दिन: व्रत के दूसरे दिन को खर जिउतिया कहा जाता है. यही व्रत का विशेष और मुख्‍य दिन है, जो कि अष्‍टमी को पड़ता है. इस दिन महिलाएं निर्जला रहती हैं. यहां तक कि रात को भी पानी नहीं पिया जाता है.
  • तीसरा दिन: व्रत के तीसरे दिन पारण किया जाता है. इस दिन व्रत का पारण करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है.
Intro:आस्था का पर्व खर जितिया


Body:निरसा/ धर्म आस्था का पर्व खर जितिया बिहार एवं झारखंड सहित पूरे देश में मनाने जाने वाला व्रत जितिया व्रत। यह व्रत बच्चों के लंबी उम्र के लिए महिलाओं द्वारा रखा जाता है। यह व्रत आश्विन महीने के अष्टमी में किया जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। जिसका आरंभ सप्तमी को महिलाएं नहा खाए के साथ होती है और अष्टमी को निर्जला उपवास किया जाता है तथा नवमी को पारण किया जाता है। इस व्रत को खर जितिया भी कहा जाता है। महिलाएं उपवास के दौरान अपने मुख में खरका एक भी दाना नहीं लेती है। इस कारण इस व्रत को खर जितिया भी कहा जाता है। जिससे महिलाएं अपने बच्चों के लंबी आयु के लिए यह व्रत बड़े ही निष्ठा पूर्वक करती है। मान्यता यह भी है कि इस व्रत में गरुड़ देव की पूजा याचना की जाती है


Conclusion:इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास कर अपनी बच्चों की लंबी आयु के लिए कामना भगवान गरुड़ देव से करती है। बाईट :-- सुनीता सिंह (व्रतधारी)
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