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डेंजर जोन में हावड़ा दिल्ली मुख्य रेलवे मार्ग, अवैध उत्खनन के कारण कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

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Published : Mar 7, 2022, 2:32 PM IST

Updated : Mar 7, 2022, 6:09 PM IST

धनबाद में कोयला का अवैध उत्खनन की वजह से हावड़ा दिल्ली रेल मुख्य मार्ग पर किसी बड़े हादसे की आशंका व्यक्त की जा रही है. रेल लाइन के नीचे कोयला ज्यादा होने की वजह से इसी साइट से कोयला काटा जा रहा है. लगतार अवैध उत्खनन से जमीन धंसने का खतरा बढ़ गया है.

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डेंजर जोन में हावड़ा दिल्ली मुख्य रेलवे मार्ग

धनबाद: जिला में अवैध उत्खनन की वजह से आए दिन कई मौत की घटनाएं सामने आती रहती है. लेकिन यहां के कोल माफियाओं शायद ही इससे कोई फर्क पड़ता हो. पूरे निरसा में सैकड़ों ऐसे मुहाने खुले हुए हैं जो सीधे सीधे मौत को आमंत्रण दे रहे हैं. मुगमा स्टेशन के समीप गलफरबाड़ी गेट संख्या पांच बी के समीप बंद पड़े खदान से भी बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन जारी है. जिसकी वजह से कभी भी जमीन धंसने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

ये भी पढ़ें- धनबाद में बालू के अवैध कारोबार पर खनन विभाग का बेतुका जवाब, कहा- मीडिया आवेदन देगी तभी होगी कार्रवाई

अवैध उत्खनन से रेल मार्ग पर खतरा: मुगमा स्टेशन के समीप गलफरबाड़ी गेट संख्या पांच बी से महज चंद मीटर की दूरी पर हावड़ा दिल्ली रेल मुख्य मार्ग स्थित होने से खतरा बढ़ गया है. सूत्रों की मानें तो यहां रेल लाइन के नीचे कोयला ज्यादा होने की वजह से इसी साइट से कोयला काटा जाता है. आए दिन जिस प्रकार से डायनामाइट विस्फोट कर कोयला निकाला जा रहा है उससे किसी बड़े रेल हादसे की आशंका व्यक्त की जा रही है.

देखें पूरी खबर

प्रशासन की मिलीभगत से अवैध उत्खनन: कुछ लोगों के मुताबिक यह काला खेल प्नशासन की मिली भगत से हो रहा है. स्थानीय लोगों के मुताबिक अवैध उत्खनन स्थल से गलफरबाड़ी ओपी मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है. यहां जिस तरह दिन में डायनामाइट के द्वारा विस्फोट कर कोयला निकाला जाता है और रात के अंधेरे में सकेडो ट्रैक्टर के माध्यम से आस पास के भट्टों में पहुंचाया जाता है. उससे साफ होता है कि प्रशासन की सहमति के बिना संभव नहीं है. प्रशासन पर दबाब पड़ने के बाद बीच बीच में पुलिस द्वारा एक दिन पूर्व खदान की भराई की सुचना माइक के द्वारा की जाती है. जिसके बाद रात के अंधेरे में बिचाली लाकर खदानो मे डाल देते है और फिर उसके ऊपर से मिट्टी डाल देते है. जब मुहाने की भराई किया जाता है तो उसी रात को जेसीबी मशीन द्वारा ऊपर की मिट्टी से हटा दिया जाता है और लोग अपने काम मे लग जाते हैं.

ये भी पढ़ें- धनबाद में अवैध उत्खनन के दौरान चाल धंसने से दो की मौत, एक गंभीर

नहीं होती है कोल माफियाओं पर कार्रवाई: खबर के मुताबिक शुरुआत में यहां एक दो खदान ही बनाए गए थे. लेकिन किसी तरह की कोई कानून कार्रवाई नहीं होने पर जामताड़ा, मुर्शिदाबाद एवं पश्चिम बंगाल के लोग आकर यहां खदान बनाने लगे. बड़े पैमाने पर अवैध खनन के बावजूद आज तक किसी कोल माफिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है. ऐसे में लगातार अवैध खनन से रेल लाइन पर खतरा मंडरा रहा है. जिला परिषद प्रतिनिधि क्षेत्र संख्या 28 के तपन बाउरी ने आरोप लगाया कि प्रशासन की मिली भगत से यह खेल जारी हैं और अगर अंकुश नही लगाया तो बड़ी घटना से इंकार नही किया जा सकता हैं.

करोड़ों के राजस्व का नुकसान: निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता ने कहा कि कोयलांचल में प्रतिदिन खनिज संपदा को लूटा जा रहा है. जिससे झारखंड सरकार को प्रतिदिन करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो प्रशासन जिम्मेवार होगा.

धनबाद: जिला में अवैध उत्खनन की वजह से आए दिन कई मौत की घटनाएं सामने आती रहती है. लेकिन यहां के कोल माफियाओं शायद ही इससे कोई फर्क पड़ता हो. पूरे निरसा में सैकड़ों ऐसे मुहाने खुले हुए हैं जो सीधे सीधे मौत को आमंत्रण दे रहे हैं. मुगमा स्टेशन के समीप गलफरबाड़ी गेट संख्या पांच बी के समीप बंद पड़े खदान से भी बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन जारी है. जिसकी वजह से कभी भी जमीन धंसने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

ये भी पढ़ें- धनबाद में बालू के अवैध कारोबार पर खनन विभाग का बेतुका जवाब, कहा- मीडिया आवेदन देगी तभी होगी कार्रवाई

अवैध उत्खनन से रेल मार्ग पर खतरा: मुगमा स्टेशन के समीप गलफरबाड़ी गेट संख्या पांच बी से महज चंद मीटर की दूरी पर हावड़ा दिल्ली रेल मुख्य मार्ग स्थित होने से खतरा बढ़ गया है. सूत्रों की मानें तो यहां रेल लाइन के नीचे कोयला ज्यादा होने की वजह से इसी साइट से कोयला काटा जाता है. आए दिन जिस प्रकार से डायनामाइट विस्फोट कर कोयला निकाला जा रहा है उससे किसी बड़े रेल हादसे की आशंका व्यक्त की जा रही है.

देखें पूरी खबर

प्रशासन की मिलीभगत से अवैध उत्खनन: कुछ लोगों के मुताबिक यह काला खेल प्नशासन की मिली भगत से हो रहा है. स्थानीय लोगों के मुताबिक अवैध उत्खनन स्थल से गलफरबाड़ी ओपी मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है. यहां जिस तरह दिन में डायनामाइट के द्वारा विस्फोट कर कोयला निकाला जाता है और रात के अंधेरे में सकेडो ट्रैक्टर के माध्यम से आस पास के भट्टों में पहुंचाया जाता है. उससे साफ होता है कि प्रशासन की सहमति के बिना संभव नहीं है. प्रशासन पर दबाब पड़ने के बाद बीच बीच में पुलिस द्वारा एक दिन पूर्व खदान की भराई की सुचना माइक के द्वारा की जाती है. जिसके बाद रात के अंधेरे में बिचाली लाकर खदानो मे डाल देते है और फिर उसके ऊपर से मिट्टी डाल देते है. जब मुहाने की भराई किया जाता है तो उसी रात को जेसीबी मशीन द्वारा ऊपर की मिट्टी से हटा दिया जाता है और लोग अपने काम मे लग जाते हैं.

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नहीं होती है कोल माफियाओं पर कार्रवाई: खबर के मुताबिक शुरुआत में यहां एक दो खदान ही बनाए गए थे. लेकिन किसी तरह की कोई कानून कार्रवाई नहीं होने पर जामताड़ा, मुर्शिदाबाद एवं पश्चिम बंगाल के लोग आकर यहां खदान बनाने लगे. बड़े पैमाने पर अवैध खनन के बावजूद आज तक किसी कोल माफिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है. ऐसे में लगातार अवैध खनन से रेल लाइन पर खतरा मंडरा रहा है. जिला परिषद प्रतिनिधि क्षेत्र संख्या 28 के तपन बाउरी ने आरोप लगाया कि प्रशासन की मिली भगत से यह खेल जारी हैं और अगर अंकुश नही लगाया तो बड़ी घटना से इंकार नही किया जा सकता हैं.

करोड़ों के राजस्व का नुकसान: निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता ने कहा कि कोयलांचल में प्रतिदिन खनिज संपदा को लूटा जा रहा है. जिससे झारखंड सरकार को प्रतिदिन करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो प्रशासन जिम्मेवार होगा.

Last Updated : Mar 7, 2022, 6:09 PM IST
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