धनबाद: एसएनएमएमसीएच अस्पताल में भर्ती नहीं किए जाने पर 6 माह की गर्भवती निरसा निवासी महिला लालू ने घर में मौत मामले पर अस्पताल प्रबंधन का पीछा अब भी नहीं छूट रहा है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा है कि आखिर महिला की मौत कैसे हुई. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने कुल 34 बिंदुओं पर दस्तावेज के साथ कोर्ट को स्टेटमेंट ऑफ फैक्ट्स भेज दिया है.
अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में लापरवाही से साफ इंकार किया है. लालू की मां सजनी देवी ने स्थानीय प्रशासन से न्याय की गुहार भी लगाई थी, लेकिन 8 माह बीत जाने के बाद उसे न्याय नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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20 वर्षीय लालू का विवाह उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. 6 माह की गर्भवती होने पर वह बिहार के जमुई में रह रही थी. लॉकडाउन के कारण यहां इलाज में कठिनाई हो रही थी, जिसके बाद उसे 19 अप्रैल को एंबुलेंस से निरसा के मंडमन कोलियरी स्थित ईस्ट इंडिया भुइयां धौड़ा मायके भेज दिया गया. इस दिन लालू की स्थानीय सीएचसी में थर्मल के साथ जांच भी कराई गई. 20 अप्रैल को कई प्राइवेट अस्पताल भी घूमे. 21 अप्रैल को परिजन उसे लेकर एसएनएमएमसीएच अस्पताल पहुंचे. यहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे छोड़ दिया गया.
परिजनों का कहना था कि उन्होंने लालू को भर्ती करने के लिए बार-बार आग्रह किया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि महिला बाहर से आई है. डॉक्टरों ने घर पर रखने की सलाह दी थी, जिसके बाद ऑटो से महिला को घर ले जाया गया और फिर एक घंटे बाद ही उसने दम तोड़ दिया. उस वक्त परिजनों का यह भी कहना था कि दवा देने के बाद लालू के दर्द कम नहीं हुआ. 108 नंबर एंबुलेंस को फोन कर अस्पताल ले जाने को कहा, जिस पर चालक ने अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस मामले की जांच के आदेश भी दिए थे. जांच के लिए एक कमिटी का गठन भी हुआ था.