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'मैं रांची में हूं अभी मदद नहीं कर सकता' स्वास्थ्य सचिव ने यह बोलकर काट दिया फोन, तो परिजनों ने उठाया ये कदम

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Published : Jul 11, 2019, 10:21 AM IST

धनबाद में एक युवक को लीवर में शिकायत के बाद उसे पीएमसीएम में भर्ती कराया गया. हालांकि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. उसकी अंतिम इच्छा थी कि उसके नेत्रदान कर दिए जाए. जब मृतक के परिजनों ने इस बाबत पीएमसीएच अधीक्षक से बात की, तो उन्होंने कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाले केमिकल खत्म होने की बात कहकर फिलहाल नेत्रदान के लिए मना कर दिया.

नेत्रदान के लिए भटकते रहे मृतक के परिजन

धनबाद: लोगों की अंतिम इच्छा पूरी करने में भी सरकारी तंत्र पूरी तरह से विफल है. पीएमसीएच में पिछले माह कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाला केमिकल खत्म हो चुका है. अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मौत के बाद उसकी नेत्रदान करने की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए परिजनों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. नेत्रदान के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा हाथ खड़े करने पर परिजन खुद आसनसोल से केमिकल लाए और नेत्रदान कराया.

वीडियो में देखें पूरी खबर

आसनसोल रानीगंज के रहने वाले सुरेश अग्रवाल को लीवर की शिकायत होने पर उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया. बुधवार रात करीब दस बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. सुरेश अग्रवाल की अंतिम इच्छा थी कि उनके नेत्रदान किये जाए. उसकी नेत्रदान की अंतिम इच्छा पूरी करने लिए उनके परिजन ने पीएमसीएच अस्पताल के अधीक्षक एचके सिंह से बात की, तो उन्होंने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिये कि आई बैंक में कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाला केमिकल नहीं है. परिजन अंकित के मुताबिक उसने मामले की सूचना फोन पर स्वास्थ्य सचिव नितिन कुलकर्णी को भी दी. हालांकि उन्होंने भी यह कहते हुए फोन डिस्कनेक्ट कर दिया कि मैं रांची में हूं फिलहाल कुछ नहीं कर सकता.

अंकित द्वारा फिर बीजीएच को फोन कर नेत्रदान के संबंध में बात की, लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा. आखिरकार अंकित के द्वारा रोटरी क्लब के राजेश मतालिया से सम्पर्क किया गया. आसनसोल के पुनरदृष्टि बैंक से मतालिया ने फोन पर सम्पर्क साधा, जिसके बाद वो केमिकल देने के लिए राजी हो गया. दृष्टि बैंक द्वारा पीएमसीएच अधीक्षक से आवेदन देने की मांग की गई. अंकित द्वारा व्हाट्सएप पर अधीक्षक के आवेदन की कॉपी दृष्टि बैंक को भेजी गई. आसनसोल के ही रहने वाले मृतक के परिजन दृष्टि बैंक से केमिकल कलेक्ट कर पीएमसीएच अस्पताल पहुंचे. पीएमसीएच केमिकल पहुंचने में रात के करीब डेढ़ बजे गए.

2 तरह का होता है केमिकल
अस्पताल में पहले से ही आई बैंक की टीम तैयार थी. केमिकल आने के बाद आई बैंक के सहायक संजय कुमार और मेडिकल स्टॉफ ने मृतक की कॉर्निया को निकालकर सुरक्षित रख लिया. आई बैंक सहायक संजय कुमार ने बताया कि कॉर्निया को सुरक्षित रख लिया गया है. केमिकल का ड्यूरेशन चार दिनों का है. चार दिनों के अंदर इस कॉर्निया को जरूरतमंद को लगा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि एमके मीडिया नाम का यह केमिकल 2 तरह का होता है. एक 4 दिन के ड्यूरेशन होता है, जिसकी कीमत करीब 400-500 रु है. वहीं, दूसरे का ड्यूरेशन 14 दिन होता है, जिसकी कीमत करीब 1हजार रुपये है.

परिवार में कई लोगों ने किया नेत्रदान
अंकित राजगढ़िया का पूरा परिवार नेत्रदान के प्रति बेहद गंभीर है. सुरेश अग्रवाल रिश्ते में अंकित के मामा हैं. इनके अलावा बड़े चाचा स्व. देव प्रसाद राजगढ़िया 2012 में, पिता स्व. प्रकाश चंद्र राजगढ़िया 21 जून 2014, माता विमला देवी राजगढ़िया 29 अप्रैल 2018 को मरणोपरांत नेत्रदान कर चुके हैं.

धनबाद: लोगों की अंतिम इच्छा पूरी करने में भी सरकारी तंत्र पूरी तरह से विफल है. पीएमसीएच में पिछले माह कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाला केमिकल खत्म हो चुका है. अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मौत के बाद उसकी नेत्रदान करने की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए परिजनों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. नेत्रदान के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा हाथ खड़े करने पर परिजन खुद आसनसोल से केमिकल लाए और नेत्रदान कराया.

वीडियो में देखें पूरी खबर

आसनसोल रानीगंज के रहने वाले सुरेश अग्रवाल को लीवर की शिकायत होने पर उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया. बुधवार रात करीब दस बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. सुरेश अग्रवाल की अंतिम इच्छा थी कि उनके नेत्रदान किये जाए. उसकी नेत्रदान की अंतिम इच्छा पूरी करने लिए उनके परिजन ने पीएमसीएच अस्पताल के अधीक्षक एचके सिंह से बात की, तो उन्होंने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिये कि आई बैंक में कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाला केमिकल नहीं है. परिजन अंकित के मुताबिक उसने मामले की सूचना फोन पर स्वास्थ्य सचिव नितिन कुलकर्णी को भी दी. हालांकि उन्होंने भी यह कहते हुए फोन डिस्कनेक्ट कर दिया कि मैं रांची में हूं फिलहाल कुछ नहीं कर सकता.

अंकित द्वारा फिर बीजीएच को फोन कर नेत्रदान के संबंध में बात की, लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा. आखिरकार अंकित के द्वारा रोटरी क्लब के राजेश मतालिया से सम्पर्क किया गया. आसनसोल के पुनरदृष्टि बैंक से मतालिया ने फोन पर सम्पर्क साधा, जिसके बाद वो केमिकल देने के लिए राजी हो गया. दृष्टि बैंक द्वारा पीएमसीएच अधीक्षक से आवेदन देने की मांग की गई. अंकित द्वारा व्हाट्सएप पर अधीक्षक के आवेदन की कॉपी दृष्टि बैंक को भेजी गई. आसनसोल के ही रहने वाले मृतक के परिजन दृष्टि बैंक से केमिकल कलेक्ट कर पीएमसीएच अस्पताल पहुंचे. पीएमसीएच केमिकल पहुंचने में रात के करीब डेढ़ बजे गए.

2 तरह का होता है केमिकल
अस्पताल में पहले से ही आई बैंक की टीम तैयार थी. केमिकल आने के बाद आई बैंक के सहायक संजय कुमार और मेडिकल स्टॉफ ने मृतक की कॉर्निया को निकालकर सुरक्षित रख लिया. आई बैंक सहायक संजय कुमार ने बताया कि कॉर्निया को सुरक्षित रख लिया गया है. केमिकल का ड्यूरेशन चार दिनों का है. चार दिनों के अंदर इस कॉर्निया को जरूरतमंद को लगा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि एमके मीडिया नाम का यह केमिकल 2 तरह का होता है. एक 4 दिन के ड्यूरेशन होता है, जिसकी कीमत करीब 400-500 रु है. वहीं, दूसरे का ड्यूरेशन 14 दिन होता है, जिसकी कीमत करीब 1हजार रुपये है.

परिवार में कई लोगों ने किया नेत्रदान
अंकित राजगढ़िया का पूरा परिवार नेत्रदान के प्रति बेहद गंभीर है. सुरेश अग्रवाल रिश्ते में अंकित के मामा हैं. इनके अलावा बड़े चाचा स्व. देव प्रसाद राजगढ़िया 2012 में, पिता स्व. प्रकाश चंद्र राजगढ़िया 21 जून 2014, माता विमला देवी राजगढ़िया 29 अप्रैल 2018 को मरणोपरांत नेत्रदान कर चुके हैं.

Intro:धनबाद।लोगों की अंतिम इच्छा पूरी करने में भी सरकार पूरी तरह से विफल है।पीएमसीएच में पिछले माह कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाला केमिकल्स समाप्त हो चुका है।अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मौत के बाद उसकी नेत्रदान करने की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए परिजनों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी।नेत्रदान के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा हांथ खड़े करने पर परिजनों ने खुद आसनसोल से केमिकल लाए और नेत्रदान को सफल कराया।


Body:आसनसोल रानीगंज रहनेवाले सुरेश अग्रवाल को लिवर की शिकायत होने पर उन्हें पीएमसीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया था।बुधवार की रात करीब दस बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।नेत्रदान करने की उनकी अंतिम इच्छा थी।

मृतक की नेत्रदान की अंतिम इच्छा पूरी करने लिए उनके परिजन अंकित राजगढ़िया ने पीएमसीएच अस्पताल के अधीक्षक एचके सिंह से बात की तो उन्होंने यह कहते हुए हांथ खड़ा कर दिया कि आई बैंक में कॉर्निया को सुरक्षित रखने वाला केमिकल्स नही है।पिछले माह ही केमिकल समाप्त हो चुका है।अंकित के मुताबिक उसने मामले की सूचना फोन पर स्वास्थ्य सचिव नितिन कुलकर्णी को भी दी।लेकिन उन्होंने भी यह कहते हुए फोन डिस्कनेक्ट कर दिया कि मैं रांची में हूँ फिलहाल कुछ नही कर सकता।

अंकित के द्वारा फिर बीजीएच बोकारो फोन कर नेत्रदान के संबंध में बात की गई।लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा।अंततः अंकित के द्वारा रोटरी क्लब के राजेश मतालिया से सम्पर्क किया गया।आसनसोल की पुनरदृष्टि बैंक से मतालिया ने फोन पर सम्पर्क साधा।जिसके बाद वह केमिकल्स देने के लिए राजी हो गया।दृष्टि बैंक द्वारा पीएमसीएच अधीक्षक से आवेदन देने की मांग की गई।अंकित द्वारा व्हाट्सएप पर अधीक्षक के आवेदन की कॉपी दृष्टि बैंक को भेजी गई।आसनसोल के ही रहनेवाले मृतक के परिजन मनोज अग्रवाल ने दृष्टि बैंक से केमिकल्स कलेक्ट कर पीएमसीएच अस्पताल पहुंचे।पीएमसीएच केमिकल्स पहुँचने में रात के करीब डेढ़ बजे चुके थे।

अस्पताल में पहले से ही आई बैंक की टीम तैयार थी।केमिकल्स आने के बाद आई बैंक के सहायक संजय कुमार एवं मेडिकल स्टाफ ने मृतक के कॉर्निया को निकालकर सुरक्षित रख लिया।

आई बैंक के सहायक संजय कुमार ने बताया कि कॉर्निया को सुरक्षित रख लिया गया है।केमिकल का ड्यूरेशन चार दिनों का ही है।चार दिनों के अंदर इस कॉर्निया को जरूरतमंद को लगा दिया जाएगा।उन्होंने बताया कि एमके मीडिया नाम की यह केमिकल्स दो तरह की होती है।एक 4 दिन का ड्यूरेशन है।जिसकी कीमत करीब 400-500 रु है।दूसरा 14 दिनों का ड्यूरेशन होता है।जिसकी कीमत करीब 1000 रु है।फिलहाल पीएमसीएच में यह केमिकल्स पिछले माह ही समाप्त हो चुका है।केमिकल्स की आपूर्ति के लिए विभाग को पत्राचार किया जा चुका है।

अंकित राजगढ़िया का पूरा परिवार नेत्रदान के प्रति बेहद गंभीर हैं।सुरेश अग्रवाल जो रिश्ते में अंकित के मामा है। इनके अलावे बड़े चाचा स्व देव प्रसाद राजगढ़िया 2012 में,पिता स्व प्रकाश चंद्र राजगढ़िया 21 जून 2014,माता विमला देवी राजगढ़िया 29 अप्रैल 2018 को मरणोपरांत नेत्रदान कर चुके हैं।









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